जयपुर. रीट प्रकरण को लेकर राजस्थान में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन नए बयान सामने आ रहे हैं और वार-पलटवार का सिलसिला लगातार जारी है. अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने (Ahok Gehlot on Paper Leak Issue) पेपर आउट को लेकर भाजपा से सवाल पूछा है.
गुजरात में एक पेपर चार बार स्थगित हुआ : सीएम गहलोत ने कहा कि गुजरात में 13 फरवरी को प्रस्तावित नॉन सेक्रेटेरिएट क्लर्क की परीक्षा को स्थगित (Non Secretariat Clerk Exam Postponed in Gujarat) किया गया है. इस परीक्षा को चार सालों में तीन बार स्थगित किया गया है. मैंने पूर्व में भी कहा कि विभिन्न राज्यों में पेपर लीक, नकल, फर्जी डिग्री आदि के संगठित गिरोह से सभी परीक्षाओं में परेशानियां आ रही हैं.
हरियाणा में पुलिस कांस्टेबल पेपर, मध्य प्रदेश में SDO, RAEO व नर्स भर्ती परीक्षा, यूपी में दरोगा भर्ती, UPPCL भर्ती, यूपी लोअर सबॉर्डिनेट परीक्षा, ग्राम विकास अधिकारी, यूपी पीएटी, यूपी टीईटी परीक्षा, केन्द्र सरकार द्वारा आयोजित यूजीसी नेट 2021, नीट परीक्षा, SSC-CGL भर्ती, थल सेना में जनरल ड्यूटी भर्ती आदि की परीक्षाओं के पेपर लीक हुए एवं तमाम परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं. केन्द्र और राज्यों की सरकारों के सामने यह चिंता का विषय होना चाहिए. राज्यों में हुए पेपर लीक की जांच वहां की एजेंसियों ने ही की. भाजपा बताए कि इन सब (CM Gehlot Targets BJP) भर्तियों की जांच CBI को क्यों नहीं दी ?
सदन की गरिमा तार-तार हुई : गहलोत ने कहा कि भाजपा ने प्रदेश के युवाओं को भड़काकर जिस तरह का हिंसात्मक माहौल बनाया है उसके कारण रीट लेवल 2 की परीक्षा रद्द की गई. इससे करीब 15 हजार युवाओं की आशाओं को धक्का लगा. अब विधानसभा की कार्यवाही में व्यवधान पैदा कर भाजपा राज्य के विकास के मुद्दों पर चर्चा नहीं होने देना चाहती है. हमारी सरकार पेपर लीक, नकल और परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर कठोर कानून वाला बिल लेकर आ रही है.
इसके साथ हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के लिए कमेटी बनाई है, जो 15 मार्च तक अपने सुझाव देगी. लेकिन भाजपा चर्चा नहीं सिर्फ हंगामा कर (Ruckus on the second day of budget session) माहौल खराब करना चाहती है. राज्य भाजपा के नेता किसी के इशारे पर लगातार हंगामा करने की नीति बनाए हुए हैं, जिससे समय पर भर्ती संभव न हो और सरकार को बदनाम कर सकें. इस तरह विधानसभा में विपक्ष अब राज्य के विकास के मुद्दों पर चर्चा करने की बजाय सदन की गरिमा को तार-तार करने का कार्य कर रहा है.