जयपुर. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए 3 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं. सहाड़ा और सुजानगढ़ में जहां कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की तो वहीं राजसमंद में भाजपा का कमल खिला. मतलब 3 सीटों पर हार-जीत के लिहाज से वही स्थिति रही जो साल 2018 में हुए विधानसभा के दौरान थी. इस उपचुनाव में ना तो कांग्रेस जीती और ना भाजपा हारी, लेकिन सियासी पंडितों के आकलन में नुकसान बीजेपी को ही होना बताया जा रहा है. वहीं ऐसा पहली बार हुआ है जब उपचुनाव में दिवंगत विधायकों के परिजन जीते हो.
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बीजेपी के खाते में राजसमंद सीट, लेकिन जीत का अंतर पहले से कम
राजसमंद परंपरा गत भाजपा की सीट रही है. इस बार भाजपा प्रत्याशी और पूर्व दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की पुत्री दीप्ति माहेश्वरी इस सीट पर विजयी रही. दीप्ति ने कांग्रेस प्रत्याशी को यहां 5000 से अधिक वोटों से शिकस्त दी. हालांकि जीत का यह आंकड़ा साल 2018 की तुलना में कम रहा. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की किरण माहेश्वरी ने 24623 मतों से इस सीट पर चुनाव जीता था, लेकिन अब जीत का अंतर कम हो गया. ऐसा होना लाजिमी भी है क्योंकि प्रदेश में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और भाजपा विपक्ष में. वहीं, कोरोना महामारी के दौरान मतदान का प्रतिशत भी कम रहा.
सहाड़ा और सुजानगढ़ में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत
उपचुनाव में सहाड़ा और सुजानगढ़ सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. यहां पर कांग्रेस प्रत्याशियों को भारी मतों से जीत हासिल हुई. सहाड़ा में यदि बात की जाए तो दिवंगत कांग्रेसी विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री देवी 42 हजार से अधिक मतों से जीती और भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर रतनलाल जाट को हार का मुंह देखना पड़ा. गायत्री देवी को कुल 81700 मत मिले हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर दिवंगत कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी महज 7006 वोटों से जीते थे. मतलब इस बार सहानुभूति की लहर पर सवार होकर उनकी धर्मपत्नी ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है.
सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर दिवंगत नेता मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल को जीत मिली. कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मेघवाल यहां 35 हजार से भी अधिक मतों से विजयी रहे और उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी खेमाराम मेघवाल को हराया. हेमाराम मेघवाल को 46,642 मत मिले. वहीं इस विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी प्रत्याशी में भी 32,210 मत हासिल किए जो कहीं ना कहीं बीजेपी के लिए परेशानी का सबब है.
इन नेताओं का बढ़ा सियासी कद
सहाड़ा और सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस को मिली जीत के बाद ना केवल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बल्कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, प्रदेश प्रभारी अजय माकन का भी सियासी कद बढ़ा है. डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष और अजय माकन को प्रदेश प्रभारी बनाए जाने के बाद यह पहला बड़ा चुनाव था और डोटासरा ने खुद सुजानगढ़ सीट पर फोकस किया था. ऐसे में यह जीत इन दोनों ही राजनेताओं का सियासी कद बढ़ाने वाली है. वहीं चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी लगातार इस उपचुनाव में सक्रिय दिखे और उन्होंने सहाड़ा में पूरी कमान संभाली हुई थी और वहां भी कांग्रेस को अच्छे मतों से जीत हासिल हुई है. हालांकि राजसमंद सीट पर जिन कांग्रेस नेताओं को बतौर प्रभारी और संगठनात्मक रूप से जिम्मेदारी दी थी वहां परफॉर्मेंस डाउन हुआ है.
भाजपा तीन दिग्गजों की प्रतिष्ठा हुई धूमिल
मौजूदा उपचुनाव में केवल राजसमंद सीट पर ही भाजपा को जीत हासिल हुई, जिससे यहां तैनात सांसद और प्रदेश महामंत्री दीया कुमारी, वरिष्ठ नेता वासुदेव देवनानी का सियासी कद बढ़ा है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उदयपुर संभाग से आते हैं लिहाजा राजसमंद सीट पर हुई जीत के बाद उनका भी मनोबल बढ़ा होगा क्योंकि महाराणा प्रताप से जुड़े बयान के विवाद के बाद यहां स्थिति बदल गई थी.
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया इस पूरे उपचुनाव की जिम्मेदारी संभाले हुए थे और 2 सीटों पर हार के बाद निश्चित रूप से अब विरोधी खेमा जरूर सक्रिय होगा क्योंकि बतौर प्रदेश अध्यक्ष इस हार की जिम्मेदारी भी उन पर ही आएगी. जिन केंद्रीय मंत्रियों ने इन सीटों पर जिम्मेदारी निभाई थी खासतौर पर बतौर संगठनात्मक प्रभारी और चुनाव पर्यवेक्षक जिन नेताओं को इन दोनों ही सीटों पर लगाया गया था उनका सियासी कद भी मौजूदा परिणामों से कम हुआ है.
खास तौर पर चूरू से आने वाले प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़, स्थानीय सांसद राहुल कस्वां की प्रतिष्ठा सुजानगढ़ सीट से जुड़ी हुई थी. वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी और अर्जुन राम मेघवाल भी इन सीटों पर चुनावी दौरे करके आए थे लेकिन उस का ज्यादा असर दिखा नहीं.
आरएलपी को मिली सुजानगढ़ सीट पर संजीवनी
मौजूदा उपचुनाव में हार जीत के लिहाज से बीजेपी की स्थिति 2008 की वाली रही और कांग्रेस की भी वही रही. लेकिन इस उपचुनाव में सुजानगढ़ सीट पर आरएलपी प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे और जिस प्रकार वोट मिले उससे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी खुश होगी. फिर जो परिणाम आए हैं उसके बाद भाजपा नेताओं ने जहां राजसमंद सीट पर मिली जीत पर खुशी जाहिर की है तो वहीं अन्य 2 सीटों पर हार के कारणों की समीक्षा की बात भी कही है. वहीं, कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने इस जीत के लिए कार्यकर्ताओं को श्रेय दिया है.