जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना महामारी के इस दौर में भी बजट घोषणाओं का अंबार लगा दिया. विपक्ष के रूप में भाजपा को की गई बजट घोषणा भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान लगती है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के अनुसार मुख्यमंत्री द्वारा पेश किया गया बजट कट, कॉपी और पेस्ट जैसा है. इसके जरिए केवल मुख्यमंत्री ने फेस सेविंग का काम किया है.
मौजूदा बजट को लेकर ईटीवी से बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने बजट घोषणाओं में बेरोजगारों और संविदा कर्मियों को नियमित करने को लेकर कुछ नहीं कहा पुनिया के अनुसार अगले 2 साल में 50,000 भर्तियों की घोषणा तो मुख्यमंत्री ने कर दी, लेकिन राजस्थान में तो 12 लाख से अधिक बेरोजगार है जो पंजीकृत है.
पूनिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने तो संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा भी किया था, लेकिन बजट में इसको लेकर कोई घोषणा नहीं हो पाई. जिससे बेरोजगार युवाओं को भी निराशा ही हाथ लगी तो वही संविदा कर्मी भी निराश हुए. उन्होंने कहा कि ना तो बजट घोषणा में बिजली के 833 की किसानों को मिलने वाली सब्सिडी को वापस शुरू करने के बारे में कुछ कहा गया और ना ही बजरी के अवैध खनन को लेकर जो मामले उठे उसकी रोकथाम को लेकर कोई रोड में रखा गया. सतीश पूनिया के अनुसार कांग्रेस के जन घोषणा पत्र से लेकर बजट तक के बीच अब भी 78 घोषणाएं अधूरी हैं, जो कागज से बाहर निकलकर धरातल तक नहीं पहुंच पाई.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने पिछले दिनों दिवंगत हुए 4 मौजूदा विधायकों के नाम पर उनके क्षेत्र में महाविद्यालय खोले जाने के बजट घोषणा को एथिकली सही बताया, लेकिन यह भी संदेह जताया कि हो सकता है इसके पीछे भी सरकार की कोई राजनीतिक फायदा लेने की मंशा हो. पूनिया ने कहा कि जो काम बजट में किए जाने चाहिए थे. वह घोषणा नहीं की गई और पूर्व में जो कॉलेज स्कूल खोले जाने की घोषणा की थी. अब तक वह धरातल पर नहीं उतरी कई कॉलेज तो आज भी किराए की बिल्डिंगों में चल रहा है और कुछ के भवन बन गए तो वहां फैकल्टी नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इस बजट से राजस्थान का कोई भला नहीं होने वाला है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बजट घोषणाओं में मुख्यमंत्री ने शेरो शायरी तो की, लेकिन मौजूदा बजट सरकार के दूरगामी विकास के विजन को नहीं दर्शाया पाया.