जयपुर. प्रदेश में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच प्रदेश भाजपा नेता लगातार गहलोत सरकार पर कोरोना कुप्रबंधन लगाने में जुटे है. गुरुवार को बयान जारी कर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने जहां मुख्यमंत्री के गृह जिले में कोरोना से हो रही मौत के आंकड़ों को लेकर सवाल खड़ा किया तो वहीं विधायक वासुदेव देवनानी ने वैक्सीनेशन मामले में प्रदेश सरकार पर निशाना साधा.
पूनिया की ओर से जारी बयान में अशोक गहलोत सरकार को हर क्षेत्र में विफल बताया गया. पूनिया ने कहा कि यह तो हालात ही बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर के क्या स्थिति है. पूनिया ने कहा कि गहलोत के अपने गृह क्षेत्र जोधपुर में उनकी सरकार कहती है कि 618 मौतें हुई हैं, जबकि 433 गांवों में लगभग 2912 मौतें हुई हैं, ये साफ तौर पर सत्य आंकड़े लोगों की जुबां से पता चलते हैं. इसके अलावा निगमों के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जहां बनते हैं, लोगों की वह भीड़ इस बात को साबित करती है. पूनिया ने कहा कि मुझे लगता है कि राजस्थान सरकार के इस तरीके के विफल रवैये के कारण राजस्थान की जनता अशोक गहलोत, उनकी सरकार और कांग्रेस पार्टी को कभी माफ नहीं करेगी.
केंद्र को कोसने की बजाय कुप्रबंधन के मामले में प्रदेशवासियों से माफी मांगे गहलोतः देवनानी
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने एक बयान जारी कर कहा कि गहलोत अपने कुप्रबंधन का ठीकरा केंद्र पर फोड़ने का अनावश्यक प्रयास न करें. राजस्थान में 18+ वालों का कोरोना टीका खत्म होने के मामले में केंद्र को कोसने की बजाय गहलोत अपनी गलती स्वीकार करते हुए केन्द्र की सलाह के बाद भी समय पर कोरोना टीका की व्यवस्था नहीं कर सकने के मामले में प्रदेशवासियों से माफी मांगें.
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देवनानी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का वैक्सीनेशन कार्यक्रम पूर्ण रूप से गोलमोल रहा है. 18+ से 44 वर्ष आयु वर्ग को व्यवस्थित वैक्सीनेशन करना तो दूर 45 से 60 साल आयु वालों के भी वैक्सीनेशन करने का कार्यक्रम राज्य में पूर्ण अव्यवस्थित है. किन व्यक्तियों को कहां पर वैक्सीन लगवानी है और कब कब लगवानी है इसकी जानकारी तक के लिए भी लोगों को चक्कर लगाना पड़ रहा है.
'राज्य में कानून व्यवस्था फेल'
देवनानी ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमा गई है. रोटी के बदले अस्मत लूटने का प्रदेश की राजधानी जयपुर में बागड़ हॉस्पिटल के बाहर घटित एक महिला के साथ घटना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. ताज्जुब की बात तो यह है कि गृह मंत्रालय स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री के संभालने के बाद भी यह दयनीय स्थिति है. मुख्यमंत्री आवास की नाक के नीचे और राजधानी में पुलिस प्रशासन की लंबी 'फौज' तैनात होने के बाद भी ऐसी घटनाएं घटित हो जाना निश्चित रूप से विचारणीय प्रश्न है.