जयपुर. राजस्थान सरकार ने राजस्थान महामारी विधेयक- 2020 में संशोधन के जरिए अब मास्क पहनना कानूनी रूप से अनिवार्य किया है. हालांकि यह विधेयक अब राज्यपाल और राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद कानून की शक्ल लेगा. विधेयक में अधिनियम के संख्या- 21 की धारा- 4 का संशोधन किया गया है, जिसके तहत लोक स्थान, लोक परिवहन, निजी परिवहन, कार्यस्थल या किसी सामाजिक, राजनैतिक या आम समारोह अथवा जमाव में ऐसे व्यक्ति के आवागमन को प्रतिबंधित करना सुनिश्चित किया गया है, जिसका अपने मुंह और नाक पर फेस कवर या फेस मास्क से समुचित रूप से ढका हुआ नहीं है.
प्रदेश सरकार ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए यह संशोधन विधेयक पारित किया है. अधिनियम में धारा- 4 उप बंधित करती है कि राज्य सरकार ऐसे अस्थाई विनियम का आदेश जारी कर सकेगी, जिसकी पालना महामारी के फैलाव को रोकने के लिए जनता द्वारा किया जाना जरूरी होगा. अधिनियम में इस बारे में भी जिक्र किया गया है कि समूचे विश्व के स्वास्थ्य विशेषज्ञ की राय है कि मास्क का उपयोग कोविड- 19 के फैलाव को नियंत्रित करने में बड़े पैमाने पर सहायक हो सकता है और लाखों जीवन बचा सकता है.
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इससे पहले सदन में इस अधिनियम पर चर्चा की गई, जिसमें भाजपा के ज्ञानचंद पारख ने शामिल होते हुए कहा कि राजस्थान कोविड-19 के संक्रमण की दृष्टि से देश में बेहतर राज्यों में शुमार है. यह सब रोकथाम आगे भी तभी जारी रह सकती है. जब हम सब एकजुट होकर इस महामारी से लड़ें. पारख ने इस दौरान यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने कोविड- 19 महामारी रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के जरिए जो कुछ पूछना है और सेंटर खोलने की बात कही थी. उस पर भी जल्द अमलीजामा बनाया जाए.
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वहीं निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी इस विधेयक पर बोलते हुए प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना की रोकथाम को लेकर उठाए गए कदमों की प्रशंसा की. वहीं केंद्र सरकार द्वारा चाइना में जनवरी में कोविड- 19 के बाद विदेशों में जिस तरह कोविड- 19 संक्रमण फैला. उसके बाद भी देश में विदेशी नागरिकों के आने पर लंबे समय तक रोक नहीं लगाने का भी जिक्र किया, जिसके कारण भारत में संक्रमण फैला. वहीं पिछले दिनों प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी नेताओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र किया और कहा कि उस दौरान भी बड़ी संख्या में कोरोना का संक्रमण फैला और भाजपा कार्यकर्ता और नेताओं ने एडवाइजरी की धज्जिया भी उड़ाई. वहीं सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने भी अधिनियम पर अपने विचार रखें.
कोरोना से सामूहिक जंग लेकिन चर्चा में नदारद रहे 9 विधायक
इस संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए विधायकों के नाम पहले से देख कर रखे थे. लेकिन जब उनका नाम पुकारा गया तो लगातार 9 विधायकों के नाम पुकारे गए. लेकिन वह सदन में मौजूद नहीं थे. इनमें अधिकतर भाजपा के विधायक थे.