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राजस्थान विधानसभा उपचुनाव : चुनावी चौसर पर सियासी चालों की तैयारी...कांग्रेस राम के सहारे तो भाजपा टटोल रही नब्ज

राजस्थान की दो विधानसभा सीट वल्लभनगर और धारियावद के उपचुनाव (By-Election in Rajasthan) की घोषणा होना अभी बाकी है. लेकिन दोनों सीटों जीत का परचम लहराने के लिए भाजपा और कांग्रेस चुनावी चौसर (congress Strategy) पर अपने-अपने चालों को सेट करने में अभी से जुट गई हैं. किसका क्या है दावा और क्या है सियासी समीकरण, देखिये इस रिपोर्ट में...

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राजस्थान विधानसभा उपचुनाव
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Published : Aug 5, 2021, 8:00 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 8:35 PM IST

जयपुर. मेवाड़ की दोनों सीटों पर जीत हासिल करना कांग्रेस के साथ ही भाजपा के लिए भी काफी अहम है. कांग्रेस जहां गुलाबचंद कटारिया की ओर से भगवान राम को लेकर दिए बयान पर भाजपा को घेरने को लेकर रणनीति बना रही है, वहीं भाजपा भी इन दोनों सीटों की राजनीतिक नब्जों को टटोलते हुए जीत की राह बनाने में जुटी है.

कांग्रेस पिछले उपचुनाव की तरह ही इस बार भी जीत बुलंद करने के लिए रणनीति बनाने में लग गई है. इसके लिए कांग्रेस की तरफ से 7-7 सदस्यों की चुनाव समन्वय समिति बनाई है. वहीं भाजपा के लिए ये चुनाव काफी अहम है. इससे पहले तीन सीटों को लेकर हुए चुनाव में भाजपा को महज एक सीट पर संतोष करना पड़ा था. ऐसे में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उनकी टीम पिछले हिसाब को इस उपचुनाव में बराबर करना चाहती है. इस लिहाज से पार्टी के भीतर चुनावी उम्मीदवारी को लेकर राय-मशविरे का दौर शुरू हो गया है.

कांग्रेस का आरएसएस-भाजपा पर हमला....

बता दें कि मेवाड़ की धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. फिलहाल, उपचुनाव (Rajasthan Byelection) को लेकर निर्वाचन विभाग (EC) ने अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर अपने नेताओं को जिम्मेदारी सौंप रही है.

इस बार के चुनाव में सबकी निगाहें वल्लभनगर विधानसभा सीट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि वल्लभनगर विधानसभा सीट पर विगत वर्षों से त्रिकोणीय मुकाबला रहा है. ऐसे में जहां सत्तापक्ष को अपनी जीत बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है तो वहीं भाजपा और जनता सेना भी फिर से जमीन तलाशने में जुटी हुई है. हालांकि, इस सीट पर शक्तावत परिवार का दबदबा देखने को मिला है.

स्वर्गीय विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. ऐसे में चुनाव की घोषणा होने से पहले ही चुनावी रंग में फिजा रंगी हुई नजर आ रही है. इस बार के चुनाव में जहां कांग्रेस को अपनी जीत बरकरार रखने की चुनौती है, तो वहीं भाजपा को पिछले उपचुनाव के प्रदर्शन को अच्छा करने का लक्ष्य है. वहीं, इस चुनाव को त्रिकोणीय बना रही है जनता सेना, जिसने इस पूरे चुनाव को एक नया रूप दे दिया है.

कांग्रेस दिख रही भाजपा से आगे...

हालांकि, बीजेपी (BJP) इसमें कांग्रेस (Congress) से थोड़ी पीछे नजर आ रही है. वहीं, RLP ने फिलहाल इन उपचुनाव (Rajasthan By Election) को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. मेवाड़ की इन दोनों सीटों के परिणाम भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य भी तय करेंगे.

पढ़ें : भाजपा की राह पर कांग्रेस, उपचुनाव में लेगी राम नाम का सहारा...डोटासरा-प्रताप तो इसी ओर कर रहे इशारा

बता दें कि राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल की खबरों के बीच कांग्रेस पार्टी दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव जीतने की रणनीति बनाने में जुट गई है. जिसके तहत वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीट को जीतने के लिए बनाई गई 7-7 स्दस्यीय समन्वय कमेटी की पहली बैठक आज यानी 5 अगस्त को पीसीसी चीफ डोटासरा ने ली.

rajasthan congress bjp politics
कांग्रेस भी लेगी राम नाम का सहारा...

उपचुनाव में कांग्रेस लेगी राम नाम का सहारा...

दरअसल, कांग्रेस पार्टी यह स्ट्रेटजी बना रही है कि कैसे मेवाड़ की इन दोनों सीटों पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के राम को लेकर दिए गए बयान पर घेरकर उसे मुद्दा बनाया जाए. यही कारण है कि गुरुवार 5 अगस्त को राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उपचुनाव में जीत के लिए सरकार और संगठन के साथ मिलकर काम करने और सरकार का जनता के लिए किए जा रहे कामों का उपचुनाव में फायदा मिलने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया के भगवान राम को लेकर दिए गए बयान को उपचुनाव के साथ जोड़ दिया. इस दौरान डोटासरा और खाचरियावास ने भाजपा और आरएसएस पर जमकर जुबानी हमला बोला.

विगत चुनाव के परिणाम पर एक नजर...

वहीं, विगत चुनाव में अगर नजर डालें तो यहां से शक्तावत परिवार का ही कांग्रेस में बोलबाला देखा गया. पूर्व विधायक गुलाब सिंह शक्तावत यहां से 6 बार परचम लहरा चुके हैं. जबकि उनके पुत्र गजेंद्र सिंह शक्तावत भी यहां से तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर दो बार जीत चुके हैं. यहां से एक बार फिर शक्तावत परिवार के सदस्य ही दावेदारी जता रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को परिवार के इन सभी लोगों में से एक को टिकट देना आसान नहीं है.

पढ़ें : Rajasthan By-Election : जमीन तलाशने में जुटीं राजनीतिक पार्टियां, कांग्रेस के सामने कई दावेदार

विगत दो चुनाव के विधानसभा नतीजों पर एक नजर...

2013 में वल्लभनगर में निर्दलीय रणधीर सिंह भिंडर ने जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत और भाजपा के गणपत लाल मेनारिया को हराया. जबकि इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी.

2018 के चुनाव में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत को यहां से जीत मिली, जबकि उन्होंने भाजपा और जनता सेना को शिकस्त दी.

पिछले तीन विधानसभा उपचुनाव के साथ ही वल्लभनगर में चुनाव होना था, लेकिन यहां पर 6 महीने पूरे नहीं होने पर विधानसभा चुनाव नहीं हो सका, लेकिन राजनीतिक पंडित इसके कई कयास लगाते हैं कि यहां भाजपा को सशक्त उम्मीदवार नहीं मिला था. इसलिए उन्होंने चुनाव की घोषणा नहीं की थी. अब चुनाव से पहले ही भाजपा कांग्रेस और जनता सेना में तलवारें खिंच गई हैं. जहां इस बारिश के मौसम में राजनीतिक बयानों की बौछार हो रही है. रणधीर सिंह भिंडर और गुलाबचंद कटारिया का आरोप प्रत्यारोप भी फिलहाल जारी है.

जयपुर. मेवाड़ की दोनों सीटों पर जीत हासिल करना कांग्रेस के साथ ही भाजपा के लिए भी काफी अहम है. कांग्रेस जहां गुलाबचंद कटारिया की ओर से भगवान राम को लेकर दिए बयान पर भाजपा को घेरने को लेकर रणनीति बना रही है, वहीं भाजपा भी इन दोनों सीटों की राजनीतिक नब्जों को टटोलते हुए जीत की राह बनाने में जुटी है.

कांग्रेस पिछले उपचुनाव की तरह ही इस बार भी जीत बुलंद करने के लिए रणनीति बनाने में लग गई है. इसके लिए कांग्रेस की तरफ से 7-7 सदस्यों की चुनाव समन्वय समिति बनाई है. वहीं भाजपा के लिए ये चुनाव काफी अहम है. इससे पहले तीन सीटों को लेकर हुए चुनाव में भाजपा को महज एक सीट पर संतोष करना पड़ा था. ऐसे में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उनकी टीम पिछले हिसाब को इस उपचुनाव में बराबर करना चाहती है. इस लिहाज से पार्टी के भीतर चुनावी उम्मीदवारी को लेकर राय-मशविरे का दौर शुरू हो गया है.

कांग्रेस का आरएसएस-भाजपा पर हमला....

बता दें कि मेवाड़ की धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. फिलहाल, उपचुनाव (Rajasthan Byelection) को लेकर निर्वाचन विभाग (EC) ने अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर अपने नेताओं को जिम्मेदारी सौंप रही है.

इस बार के चुनाव में सबकी निगाहें वल्लभनगर विधानसभा सीट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि वल्लभनगर विधानसभा सीट पर विगत वर्षों से त्रिकोणीय मुकाबला रहा है. ऐसे में जहां सत्तापक्ष को अपनी जीत बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है तो वहीं भाजपा और जनता सेना भी फिर से जमीन तलाशने में जुटी हुई है. हालांकि, इस सीट पर शक्तावत परिवार का दबदबा देखने को मिला है.

स्वर्गीय विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. ऐसे में चुनाव की घोषणा होने से पहले ही चुनावी रंग में फिजा रंगी हुई नजर आ रही है. इस बार के चुनाव में जहां कांग्रेस को अपनी जीत बरकरार रखने की चुनौती है, तो वहीं भाजपा को पिछले उपचुनाव के प्रदर्शन को अच्छा करने का लक्ष्य है. वहीं, इस चुनाव को त्रिकोणीय बना रही है जनता सेना, जिसने इस पूरे चुनाव को एक नया रूप दे दिया है.

कांग्रेस दिख रही भाजपा से आगे...

हालांकि, बीजेपी (BJP) इसमें कांग्रेस (Congress) से थोड़ी पीछे नजर आ रही है. वहीं, RLP ने फिलहाल इन उपचुनाव (Rajasthan By Election) को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. मेवाड़ की इन दोनों सीटों के परिणाम भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य भी तय करेंगे.

पढ़ें : भाजपा की राह पर कांग्रेस, उपचुनाव में लेगी राम नाम का सहारा...डोटासरा-प्रताप तो इसी ओर कर रहे इशारा

बता दें कि राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल की खबरों के बीच कांग्रेस पार्टी दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव जीतने की रणनीति बनाने में जुट गई है. जिसके तहत वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीट को जीतने के लिए बनाई गई 7-7 स्दस्यीय समन्वय कमेटी की पहली बैठक आज यानी 5 अगस्त को पीसीसी चीफ डोटासरा ने ली.

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कांग्रेस भी लेगी राम नाम का सहारा...

उपचुनाव में कांग्रेस लेगी राम नाम का सहारा...

दरअसल, कांग्रेस पार्टी यह स्ट्रेटजी बना रही है कि कैसे मेवाड़ की इन दोनों सीटों पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के राम को लेकर दिए गए बयान पर घेरकर उसे मुद्दा बनाया जाए. यही कारण है कि गुरुवार 5 अगस्त को राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उपचुनाव में जीत के लिए सरकार और संगठन के साथ मिलकर काम करने और सरकार का जनता के लिए किए जा रहे कामों का उपचुनाव में फायदा मिलने के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया के भगवान राम को लेकर दिए गए बयान को उपचुनाव के साथ जोड़ दिया. इस दौरान डोटासरा और खाचरियावास ने भाजपा और आरएसएस पर जमकर जुबानी हमला बोला.

विगत चुनाव के परिणाम पर एक नजर...

वहीं, विगत चुनाव में अगर नजर डालें तो यहां से शक्तावत परिवार का ही कांग्रेस में बोलबाला देखा गया. पूर्व विधायक गुलाब सिंह शक्तावत यहां से 6 बार परचम लहरा चुके हैं. जबकि उनके पुत्र गजेंद्र सिंह शक्तावत भी यहां से तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर दो बार जीत चुके हैं. यहां से एक बार फिर शक्तावत परिवार के सदस्य ही दावेदारी जता रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को परिवार के इन सभी लोगों में से एक को टिकट देना आसान नहीं है.

पढ़ें : Rajasthan By-Election : जमीन तलाशने में जुटीं राजनीतिक पार्टियां, कांग्रेस के सामने कई दावेदार

विगत दो चुनाव के विधानसभा नतीजों पर एक नजर...

2013 में वल्लभनगर में निर्दलीय रणधीर सिंह भिंडर ने जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत और भाजपा के गणपत लाल मेनारिया को हराया. जबकि इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी.

2018 के चुनाव में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत को यहां से जीत मिली, जबकि उन्होंने भाजपा और जनता सेना को शिकस्त दी.

पिछले तीन विधानसभा उपचुनाव के साथ ही वल्लभनगर में चुनाव होना था, लेकिन यहां पर 6 महीने पूरे नहीं होने पर विधानसभा चुनाव नहीं हो सका, लेकिन राजनीतिक पंडित इसके कई कयास लगाते हैं कि यहां भाजपा को सशक्त उम्मीदवार नहीं मिला था. इसलिए उन्होंने चुनाव की घोषणा नहीं की थी. अब चुनाव से पहले ही भाजपा कांग्रेस और जनता सेना में तलवारें खिंच गई हैं. जहां इस बारिश के मौसम में राजनीतिक बयानों की बौछार हो रही है. रणधीर सिंह भिंडर और गुलाबचंद कटारिया का आरोप प्रत्यारोप भी फिलहाल जारी है.

Last Updated : Aug 5, 2021, 8:35 PM IST
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