जयपुर. उत्तर पश्चिम रेलवे में कई बार ट्रेनों के ड्राइवर या लोको पायलट और गार्ड को नशे की हालत में पाए जाते है. उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, जिसको देखते हुए रेल प्रशासन ने अब नए नियम जारी कर दिए गए हैं. जिसमें शराब का सेवन करने वाले कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. अभी तक नशे की स्थिति में मिलने पर रेल कर्मचारियों को कुछ समय के लिए निलंबित किया जाता था, लेकिन नए आदेश के अनुसार अब ऐसे कर्मचारियों को बर्खास्त भी किया जाएगा.
कर्मचारियों की बनाई 2 कैटेगरी
इस संबंध में रेलवे कर्मचारियों को 2 कैटेगरी में रखा गया है. पहली कैटेगरी उन्हें रखा गया है, जो ट्रेन का संचालन करते हैं. इनमें लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड शामिल है. जबकि दूसरी श्रेणी में ट्रेन ऑपरेशन सेफ्टी वेटिंग के कार्य में लगे कर्मचारियों को शामिल किया गया है. ट्रेन के संचालन में लोको पायलट और सहायक लोको पायलट का महत्वपूर्ण रोल होता है. ट्रेन की स्पीड भी लगातार बढ़ाई जा रही है. पहले ट्रेन 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलती था, लेकिन अब ट्रेन 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने लगी है. ऐसे में लोको पायलट की जिम्मेदारी पहले से अधिक बढ़ गई है, तो उन्हें ट्रेन चलाते समय पहले से ज्यादा अलर्ट रहना होता है.
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ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट के बाद ही होते हैं ऑन ड्यूटी
ट्रेन संचालन से जुड़े लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड की ड्यूटी के दौरान बार-बार जांच होती है. पहली बार तब होती है जब ऑन ड्यूटी होने के लिए लॉबी में जाते हैं, तो उनकी ब्रेथ एनालाइजर मशीन से जांच की जाती है. इसके बाद जब उनकी ड्यूटी ऑफ होती है, उस समय जांच होती है.