जयपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद बुधवार भाजपा में शामिल हो गए. हालांकि, जितिन प्रसाद का राजस्थान से सीधा कोई जुड़ाव नहीं है, लेकिन जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद राजस्थान कांग्रेस में भी सियासी उठापटक की आशंकाएं तेज हो गई हैं. इसका कारण है पूर्व राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की साल भर बाद फिर नाराजगी.
दरअसल, सचिन पायलट इस बात से नाराज हैं कि पंजाब में बनी कमेटी 10 दिन में ही सुनवाई कर रही है, लेकिन इनके मामले में बनी कमेटी 10 महीने बाद भी सुनवाई नहीं कर पाई. जितिन प्रसाद को सचिन पायलट से इसलिए भी जोड़ा जा रहा है क्योंकि दोनों ही राहुल गांधी के करीबी रहे हैं और आपस में दोनों की दोस्ती भी रही है. बहरहाल राजस्थान के नेताओं ने इस मामले में सरकार पर खतरे की किसी भी तरीके की आशंका पर विराम लगा दिया है. चाहे कांग्रेस महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह हों, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह हों या फिर मुख्य सचेतक महेश जोशी. सभी नेताओं ने यही कहा है कि फिलहाल राजस्थान सरकार कोरोना से लड़ने में जुटी हुई है और राजस्थान के सभी नेताओं कर सोनिया गांधी और राहुल गांधी में पूरा भरोसा है, ऐसे में राजस्थान में सरकार को कोई खतरा नहीं है.
कोरोना के समय पार्टी बदलने वालों को भगवान सद्बुद्धि देंः खाचरियावास
जितिन प्रसाद जैसे बड़े नेता के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने को लेकर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि नेता दो तरह के होते हैं. एक तो एसी (AC) के कमरों में बैठकर राजनीति करते हैं, दूसरे मेरे जैसे रोड पर पसीना बहा कर राजनीति करने वाले. यह समय ऐसा है जिसमें सभी को अपनी अपनी पार्टी में रहकर जनता के बीच जाकर जनता के लिए काम करना चाहिए. अगर कोई इस वक्त भी जनता की सेवा करने के बजाय राजनीतिक धर्म निभा रहा है कि मुझे अपनी राजनीति करनी है और मैं पार्टी छोड़कर जा रहा हूं तो वह कभी देश की सेवा नहीं कर सकता.
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खाचरियावास ने कहा कि अगर किसी नेता को जनता को लेकर पार्टी से कोई शिकायत है तो वह जनता के बीच जाकर पार्टी से लड़े. ऐसे समय में जब लॉकडाउन खुला है और कोई नेता कांग्रेस छोड़कर जा रहा है तो उसे भगवान सद्बुद्धि दें. वहीं, राजस्थान में सचिन पायलट की नाराजगी को लेकर उन्होंने कहा की राजस्थान में सब मामले परिवार के आपसी हैं और सरकार को कोई दिक्कत नहीं है. राजनीतिक पार्टियों में इस तरीके की बातें चलती रहती हैं, लेकिन सरकार को कोई दिक्कत नहीं है. सरकार का काम जन सेवा करने का है और उसमें वह कोई कमी नहीं छोड़ रही.
पायलट को सिंधिया और जितिन प्रसाद के साथ जोड़ना तर्कसंगत नहींः जोशी
प्रदेश के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि राजस्थान में सरकार को कोई खतरा नहीं है, जिन्हें जाना होता है वह जाते हैं यह कोई नई बात नहीं है. पहले भी कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है और जिनका सिद्धांतों और नैतिकता में यकीन नहीं होता उन्हें राजनीति में आया राम गया राम कहा जाता है. जितिन प्रसाद पार्टी छोड़कर गए उससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गए थे, लेकिन आज मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति हर किसी को मालूम है, जो स्थान उन्हें कांग्रेस में मिला हुआ था वह भाजपा में उसके आसपास भी नहीं है.
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जोशी ने कहा कि राजस्थान का कोई भी कांग्रेस नेता ऐसा कदम नहीं उठा सकता. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि थोड़े बहुत मतभेद नेताओं के बीच किस पार्टी में नहीं होते. राजस्थान भाजपा के भी वसुंधरा राजे और राजेंद्र राठौड़ के फोटो पोस्टर से गायब हुए हैं. राजस्थान में कांग्रेस के नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी में भरोसा रखते हैं, हो सकता है कि किसी का किसी से मतभेद हो, लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी में सभी आस्था रखते हैं.
महेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है इसीलिए हाईकमान को हर कोई अपनी बात रख सकता है. सचिन पायलट ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को लेकर कोई बात नहीं कही है ऐसे में जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सचिन पायलट को जोड़ना तर्कसंगत नहीं है. सचिन पायलट ने जो बात आलाकमान से कही है आलाकमान उन्हें सुनेगा, कोई भी प्रदेश में यह नहीं कहता कि राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए या किसी की सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन परिस्थितियों का आकलन करके ही आलाकमान निर्णय लेता है और अभी सभी का ध्यान कोरोना से बचाव में है.
11 जून को राजेश पायलट की पुण्यतिथि, पायलट कैंप के शक्ति प्रदर्शन की आशंका से कांग्रेस में चिंता
11 जून को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे राजेश पायलट की पुण्यतिथि है. इस बार कोरोना के चलते वैसे तो कोई बड़ा कार्यक्रम दौसा में नहीं किया जा रहा है, लेकिन ये कहा जा रहा है कि सचिन पायलट और उनके कैम्प के विधायक उस दिन दौसा के भंडाना में राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देने जाएंगे. इस कार्यक्रम में पायलट कैंप के नेता और विधायक भी मौजूद रहेंगे.
हालांकि, कोरोना के चलते केवल विधायक और प्रमुख नेता ही राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे, लेकिन विधायकों की संख्या को पायलट के शक्ति प्रदर्शन के रूप में माना जा रहा है. अगर विधायकों की संख्या कम रही तो ऐसे में सचिन पायलट यह कार्यक्रम वर्चुअल भी कर सकते हैं, तो वहीं पायलट कैंप के नेता और विधायक साफ कह रहे हैं कि वह 11 जून को राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने जरूर जाएंगे.
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अब 11 जून की तारीख के नजदीक आने के साथ ही राजस्थान में राजनीतिक हलचल और सरकार पर संभावित खतरे की आशंकाओं वाली खबरें फिर से सुर्खियां बनने लगी हैं. पिछले साल भी यही दिन था जब अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के सामने अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर समर्थक विधायकों के साथ सचिन पायलट ने शक्ति प्रदर्शन किया था, उसके बाद करीब 50 दिन तक सरकार को अपने ही विधायकों को होटल में रखकर सत्ता पर आए इस संकट को दूर करना पड़ा था. इस बार जहां फिर से पायलट समर्थकों की ओर से 11 जून को ही शक्ति प्रदर्शन की खबरें सामने आ रही हैं. कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद के बीजेपी का दामन थाम लेने के बाद इन अटकलों को और भी हवा मिल गई है कि कहीं नाराज सचिन पायलट कोई बड़ा कदम न उठा लें.