जयपुर. राज्य में बिजली दर बढ़ोत्तरी को लेकर राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग की दूसरे दिन भी जनसुनवाई जारी रही. दुर्गापुरा में कृषि अनुसंधान केन्द्र के ऑडिटोरियम में आयोग के चेयरमेन श्रीमत पांडे के सामने आपत्तिकर्ताओं ने डिस्कॉम्स के बिजली दर बढ़ोत्तरी प्रस्ताव पर कई सवाल उठाए.
औद्योगिक एसोसिएशन ने तो यहां तक कह दिया कि अफसरों ने पीटिशन में आयोग को गुमराह करने काम किया है. राजस्थान स्टील चैम्बर ने पॉवर इंसेंटिव और टाइम ऑफ डे (टीओडी) के नाम पर बिजली दर में छूट देने के प्रस्ताव को केवल दिखावा बताया.
इस दौरान राजस्थान सोलर एसोसिएशन सहित कई आपत्तिकर्ताओं ने अपनी बात रखी. इस बीच उदय योजना में हुए लॉस, एग्रीकल्चर के मुनाफे को कम बताकर उसका बोझ टैरिफ में डालने, क्रॉस सब्सिडी सहित कई बड़े मामले उठाए गए. इस बीच अन्य आपत्तिकर्ताओं ने अधिकतम 20 प्रतिशत ही सब्सिडी देने की जरूरत जताई.
इस तरह डिस्कॉम को घेरा...
- पॉवर इंसेंटिव के नाम पर 1.30 रुपए प्रति यूनिट की छूट तो प्रस्तावित की है, लेकिन फिक्स चार्ज 185 से बढ़ाकर 350 रुपए कर रहे हैं. इससे वास्तविक छूट का लाभ केवल 60 पैसे प्रति यूनिट ही मिलेगा
- उद्योगों में टाइम ऑफ डे (टीओडी) के तहत रात 10 से सुबह 6 बजे तक बिजली उपभोग पर 10 प्रतिशत छूट दे रहे हैं. लेकिन पीक ऑवर (सुबह 7 से 11 बजे तक) में बिजली उपभोग दर सामान्य टैरिफ के साथ 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि लेना प्रस्तावित कर दिया. यानि, एक हाथ से देकर, दूसरे हाथ से ले लेंगे
- बिजली खरीद दर करीब 4 रुपए आती है, लेकिन उद्योगों को 8 रुपए प्रति यूनिट में बेच रहे हैं. इसके बावजूद 3170.77 करोड़ रुपए का प्रोजेक्टेड लॉस दिखा दिया गया
- उदय योजना के तहत 80 हजार करोड़ रुपए आए थे. उस समय डिस्कॉम ने दावा किया था कि 252 करोड़ रुपए सरप्लस रहेंगे. उलटे, वित्तीय घाटा दिखाकर बोझ आमजन पर डाल दिया गया
- 15 हजार करोड़ रुपए के बॉण्ड मार्केट में फ्लो करने थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उलटे 5 प्रतिशत ब्याज देकर करीब 750 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार भी लोगों के बिजली बिल में डाला जा रहा है
- बिजली खरीद दर कम कैसे हो, इसकी राय के नाम पर 20.44 करोड़ रुपए उर्जा विकास निगम को दे दिए गए, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया
बताया 7 हजार करोड़ का घाटा, दर बढ़ी तो भी 2 हजार करोड़ रहेगा
याचिका में बताया गया है कि यदि टैरिफ में बढ़ोत्तरी नहीं होती है, तो डिस्कॉम्स पर करीब 7 हजार करोड़ रुपए का घाटा रहेगा. यदि टैरिफ बढ़ जाता है तो भी 2 हजार करोड़ रुपए का घाटा रहेगा. इस घाटे की पूर्ति जनता की जेब से होगी.
कृषि उपभोक्ताओं पर 75 पैसे तक वृद्धि, हम पर ही आएगा बोझ
कृषि उपभोक्ताओं की टैरिफ में भी 75 पैसे प्रति यूनिट तक की बढ़ोत्तरी प्रस्तावित की गई है. इसके अलावा फिक्स चार्ज बढ़ाना अलग है, जो करीब दोगुना हो सकता है. हालांकि, याचिका में साफ किया गया है कि बढ़ी हुई दर उपभोक्ताओं से नहीं ली जाकर इसमें सरकार सब्सिडी देगी. यानि, बढ़ी हुई दर का बोझ सरकार पर आएगा, जो फिर किसी न किसी टैक्स के रूप में जनता से ही वसूला जा सकता है.