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राजमार्ग के मार्ग अधिकार, रेलवे लाइन और रक्षा मंत्रालय के एस्टेब्लिशमेंट से दूरी को लेकर तय किए गए प्रावधान

राष्ट्रीय अथवा राज्य मार्ग के मार्ग अधिकार, रेलवे लाइन से निर्धारित दूरी छोड़े जाने और रक्षा मंत्रालय के एस्टेब्लिशमेंट्स से नए निर्माण और पट्टा देने में दूरी छोड़े जाने के संबंध में राज्य सरकार ने पूर्व निर्धारित प्रावधानों को भवन विनियमों के आधार पर दोबारा स्पष्ट किया है.

भवन विनियमों के आधार पर प्रावधान तय
भवन विनियमों के आधार पर प्रावधान तय
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Published : Sep 3, 2021, 9:52 PM IST

जयपुर. भवन विनियमों के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा राज्य राजमार्ग के मार्गाधिकार में जिक्र है कि राज्य के सभी शहरों-कस्बों के मास्टर प्लान में नगरीयकरण योग्य क्षेत्र के बाहर राष्ट्रीय राज्य मार्गों या राज्य मार्गों का मार्गाधिकार आईआरसी और सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से निर्धारित मापदण्डों अनुसार 200 फीट रखा जाए. 200 फीट सड़क मार्गाधिकार के बाद दोनों तरफ 100 फीट चौड़ी वृक्षारोपण पट्टी का भी प्रावधान रखा जाए.

नगरीयकरण क्षेत्र के अन्दर मास्टर प्लान में निर्धारित सड़क मार्गाधिकार के अनुसार स्वीकृति की कार्रवाई की जाए. जिन शहरों में राष्ट्रीय/राज्य राजमार्गों के बायपास निर्मित हो चुके हैं, उन शहरों के मास्टर प्लानों में नगरीयकरण योग्य क्षेत्र में मौके पर हो चुके निर्माणों और स्थानीय निकायों की ओर से दी गई स्वीकृतियों के दृष्टिगत स्थापित भवन रेखा को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग की चौड़ाई का पुनर्निर्धारण स्थानीय निकायों की ओर से मास्टर प्लान में संशोधन की प्रक्रिया के तहत किया जा सकेगा.

रेलवे सीमा से लगते हुए क्षेत्र में पट्टा दिये जाने के सम्बन्ध में

रूपान्तरण/नियमन/भू-उपयोग परिवर्तन के प्रकरणों में रेलवे सीमा के बाद नियमन कर पट्टे जारी किये जा सकते हैं, लेकिन रेलवे सीमा से लगती हुई 30 मीटर क्षेत्र में भूमि पर निर्माण से पूर्व सम्बन्धित रेलवे ऑथोरिटी को सूचित किया जाना आवश्यक होगा. भारतीय रेलवे वर्क्स मेनुअल 2000 के प्रावधानानुसार रेलवे सीमा से 30 मीटर की दूरी में भवन निर्माण किये जाने से 90 दिन पहले रेलवे ऑथोरिटी को सूचित किये जाने का प्रावधान है.

पढ़ें- सफल ऑपरेशन : 9 साल के बच्चे के सिर में था 100 ग्राम वजनी ट्यूमर...लंबे समय तक सिर दर्द को हल्के में न लें

सम्बन्धित निर्माणकर्ता की ओर से स्थानीय निकाय के माध्यम से इन दस्तावेजों को रेलवे विभाग को प्रेषित किया जाना आवश्यक है. जिसमें सभी संबंधित दस्तावेजों द्वारा समर्थित आवेदक के पक्ष में भूमि का स्पष्ट शीर्षक, भवन का विस्तृत चित्र जिसमें पूरा लेआउट दिखाया गया है (ऊंचाई, चौड़ाई और लंबाई सहित) और सिविल/स्ट्रक्चरल इंजीनियर द्वारा स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट होना जरूरी होगा.

90 दिवस की अवधि में रेलवे ऑथोरिटी से सम्बन्धित स्थानीय निकाय/निर्माणकर्ता को आपत्ति प्राप्त नहीं होने के स्थिति में निर्माणकर्ता द्वारा रेलवे ऑथोरिटी को लिखित में सूचित कर नियमानुसार निर्माण कार्य किया जा सकेगा.

आर्मी एरिया या रक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित एस्टेब्लिशमेंट के प्रावधान

रक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित का रक्षा एस्टेब्लिशमेंट की सीमा से लगते हुए क्षेत्र में निर्माण किये जाने के सम्बन्ध में प्रावधान है. नगरीय विकास विभाग के ये स्पष्ट किया जा चुका है कि राज्य के नगरीय क्षेत्र में स्थित रक्षा एस्टेब्लिशमेंट की सीमा से 500 मीटर तक की परिधि क्षेत्र में निर्माणों की स्वीकृति के लिए रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार कार्रवाई की जायेगी. एस्टेब्लिशमेंट सीमा से 100 मीटर के अन्दर किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए और 100 मीटर से अधिक लेकिन 500 मीटर तक की सीमा में चार मंजिल से अधिक के निर्माण के लिए रक्षा विभाग के सक्षम अधिकारी से अनापत्ति लिया जाना आवश्यक है.

जयपुर. भवन विनियमों के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा राज्य राजमार्ग के मार्गाधिकार में जिक्र है कि राज्य के सभी शहरों-कस्बों के मास्टर प्लान में नगरीयकरण योग्य क्षेत्र के बाहर राष्ट्रीय राज्य मार्गों या राज्य मार्गों का मार्गाधिकार आईआरसी और सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से निर्धारित मापदण्डों अनुसार 200 फीट रखा जाए. 200 फीट सड़क मार्गाधिकार के बाद दोनों तरफ 100 फीट चौड़ी वृक्षारोपण पट्टी का भी प्रावधान रखा जाए.

नगरीयकरण क्षेत्र के अन्दर मास्टर प्लान में निर्धारित सड़क मार्गाधिकार के अनुसार स्वीकृति की कार्रवाई की जाए. जिन शहरों में राष्ट्रीय/राज्य राजमार्गों के बायपास निर्मित हो चुके हैं, उन शहरों के मास्टर प्लानों में नगरीयकरण योग्य क्षेत्र में मौके पर हो चुके निर्माणों और स्थानीय निकायों की ओर से दी गई स्वीकृतियों के दृष्टिगत स्थापित भवन रेखा को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय/राज्य राजमार्ग की चौड़ाई का पुनर्निर्धारण स्थानीय निकायों की ओर से मास्टर प्लान में संशोधन की प्रक्रिया के तहत किया जा सकेगा.

रेलवे सीमा से लगते हुए क्षेत्र में पट्टा दिये जाने के सम्बन्ध में

रूपान्तरण/नियमन/भू-उपयोग परिवर्तन के प्रकरणों में रेलवे सीमा के बाद नियमन कर पट्टे जारी किये जा सकते हैं, लेकिन रेलवे सीमा से लगती हुई 30 मीटर क्षेत्र में भूमि पर निर्माण से पूर्व सम्बन्धित रेलवे ऑथोरिटी को सूचित किया जाना आवश्यक होगा. भारतीय रेलवे वर्क्स मेनुअल 2000 के प्रावधानानुसार रेलवे सीमा से 30 मीटर की दूरी में भवन निर्माण किये जाने से 90 दिन पहले रेलवे ऑथोरिटी को सूचित किये जाने का प्रावधान है.

पढ़ें- सफल ऑपरेशन : 9 साल के बच्चे के सिर में था 100 ग्राम वजनी ट्यूमर...लंबे समय तक सिर दर्द को हल्के में न लें

सम्बन्धित निर्माणकर्ता की ओर से स्थानीय निकाय के माध्यम से इन दस्तावेजों को रेलवे विभाग को प्रेषित किया जाना आवश्यक है. जिसमें सभी संबंधित दस्तावेजों द्वारा समर्थित आवेदक के पक्ष में भूमि का स्पष्ट शीर्षक, भवन का विस्तृत चित्र जिसमें पूरा लेआउट दिखाया गया है (ऊंचाई, चौड़ाई और लंबाई सहित) और सिविल/स्ट्रक्चरल इंजीनियर द्वारा स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट होना जरूरी होगा.

90 दिवस की अवधि में रेलवे ऑथोरिटी से सम्बन्धित स्थानीय निकाय/निर्माणकर्ता को आपत्ति प्राप्त नहीं होने के स्थिति में निर्माणकर्ता द्वारा रेलवे ऑथोरिटी को लिखित में सूचित कर नियमानुसार निर्माण कार्य किया जा सकेगा.

आर्मी एरिया या रक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित एस्टेब्लिशमेंट के प्रावधान

रक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित का रक्षा एस्टेब्लिशमेंट की सीमा से लगते हुए क्षेत्र में निर्माण किये जाने के सम्बन्ध में प्रावधान है. नगरीय विकास विभाग के ये स्पष्ट किया जा चुका है कि राज्य के नगरीय क्षेत्र में स्थित रक्षा एस्टेब्लिशमेंट की सीमा से 500 मीटर तक की परिधि क्षेत्र में निर्माणों की स्वीकृति के लिए रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार कार्रवाई की जायेगी. एस्टेब्लिशमेंट सीमा से 100 मीटर के अन्दर किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए और 100 मीटर से अधिक लेकिन 500 मीटर तक की सीमा में चार मंजिल से अधिक के निर्माण के लिए रक्षा विभाग के सक्षम अधिकारी से अनापत्ति लिया जाना आवश्यक है.

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