जयपुर. किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर जयपुर में किसान संगठनों और अन्य दलों ने राजभवन के लिए रैली निकाली. इस दौरान किसान संगठनों ने बीजेपी कार्यालय पर जमकर नारेबाजी की. वहीं जैसी ही रैली बीजेपी कार्यालय पहुंची, स्थिति हंगामे की हो गई. इस दौरान एक महिला ने बैरिकेड पर चढ़कर BJP कार्यालय (Rajasthan BJP office) की ओर चप्पल दिखाई.
आज पूरे देश में किसान संगठनों ने धरना-प्रदर्शन (Farmers' organizations protest) कर रहे हैं. इस कड़ी में जयपुर में शहीद स्मारक पर तमाम किसान संगठन और अन्य के दलों के कार्यकर्ता इकट्ठा हुए और रैली के लिए राजभवन रवाना (Farmers March to Raja bhavan) हुए. रैली के दौरान रास्ते में बीजेपी कार्यालय आया. ऐसे में किसान संगठन के कार्यकर्ता कार्यालय के बाहर नारेबाजी करने लगे और बैरिकेड पर चढ़ गए. इस दौरान प्रदर्शन में शामिल एक महिला नेता बैरिकेड पर चढ़कर बीजेपी कार्यालय की तरफ चप्पल दिखाने लगी. जिसे पुलिस ने मुश्किल से बैरिकेड से उतारा. इस दौरान कार्यालय के दौरान एकबारगी हंगामे की स्थिति हो गई. जिसे पुलिस ने संभाला. हालांकि, भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ता मौजूद नहीं थे. इसके चलते टकराव की स्थिति नहीं बनी.
किसान संगठनों को राजभवन जाने से पुलिस ने रोका
वहीं राज्यपाल को ज्ञापन देने जा रहे किसान संगठन और अन्य संगठनों के नेताओं को पुलिस ने सिविल लाइन फाटक के बाहर रोक लिया. इस दौरान किसान संगठन के नेताओं की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई. धक्का-मुक्की के दौरान अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम ने किसानों को राजभवन जाने से रोकने पर सवाल खड़े किए.
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अमराराम ने पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े किए
अमराराम (Amra Ram) ने कहा कि राजस्थान की गहलोत सरकार (Gehlot Government) दोहरा चरित्र अपना रही है. एक ओर वह किसानों को समर्थन दे रही है. दूसरी ओर उन्हें राजभवन नहीं जाने दिया जा रहा है. अमराराम ने प्रशासन के दोहरे चरित्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब राजस्थान में सरकार संकट में आई थी, मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्री राजभवन में जाकर नारेबाजी कर रहे थे. उस समय राजभवन का प्रोटोकॉल क्या प्रशासन को दिखाई नहीं दे रहा था.
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सड़क पर धरने पर बैठ गए किसान संगठन
रोके जाने के बाद सभी किसान सिविल लाइंस पर ही सड़क पर बैठ गए और धरना देने लगे. हालांकि, बाद में समझाइश के बाद यह किसान नेता इस बात को लेकर तैयार हो गए कि वह 11 सदस्य प्रतिनिधि मंडल के साथ जाकर राजभवन में अपना ज्ञापन सौंप देंगे. इसके बाद पुलिस ने किसान और अन्य संगठनों के 11 प्रतिनिधियों को राजभवन जाने की अनुमति दे दी. जिसके बाद यह 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राज भवन जाकर अपना ज्ञापन सौंपा.