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ग्रेटर निगम की समितियों के गठन को रद्द करने के आदेश पर रोक - Prohibition on order to cancel the formation of committees

राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम ग्रेटर की समितियों के गठन को रद्द करने के संबंध में जारी राज्य सरकार के गत 25 फरवरी के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले को अंतिम निस्तारण के लिए 29 अप्रैल को सूचीबद्ध करने को कहा है.

Rajasthan High Court,  The matter of constitution of committees of Greater Corporation,  Prohibition on order to cancel the formation of committees
ग्रेटर निगम की समितियों के गठन को रद्द करने के आदेश पर रोक
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Published : Mar 26, 2021, 8:57 PM IST

Updated : Mar 26, 2021, 10:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम ग्रेटर की समितियों के गठन को रद्द करने के संबंध में जारी राज्य सरकार के गत 25 फरवरी के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले को अंतिम निस्तारण के लिए 29 अप्रैल को सूचीबद्ध करने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर व समितियों के चैयरमेन की याचिका पर दिए.

ग्रेटर निगम की समितियों के गठन को रद्द करने के आदेश पर रोक

अदालत ने कहा कि निगम में सारा काम कमेटियों के जरिए ही होता है. ऐसे में याचिका के निस्तारण तक सरकार के आदेश पर रोक लगाई जा रही है, ताकि निगम का काम सूचारू चलता रहे. याचिका में अधिवक्ता आशीष शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी रिविजनल शक्तियों का प्रयोग करते हुए समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त किया है. जबकि इसके तहत पहले याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुना जाना जरूरी था. लेकिन राज्य सरकार ने उनका पक्ष नहीं सुना.

पढ़ें- कांस्टेबल MBC और RAC पदों को उसी विभाग के दूसरे पदों पर समायोजित किया जाए : हाईकोर्ट

इसके अलावा नगर पालिका अधिनियम के तहत यदि बैठक के किसी प्रस्ताव से आयुक्त असहमत है तो उसे बैठक में ही अपनी असहमति जतानी होगी. यदि फिर भी कार्रवाई नहीं हो तो वह राज्य सरकार को अपना डिसेंट लेटर भेज सकते हैं. जबकि इस मामले में आयुक्त ने समितियों के गठन के संबंध में आयोजित बैठक में अपनी असहमति नहीं दर्शाई और बाद में नियमों के विपरीत जाकर राज्य सरकार को अपना डिसेंट लेटर भेज दिया. याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने यदि आयुक्त के डिसेंट लेटर के आधार पर सभी समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त किया है तो भी वह नियमानुसार सही नहीं माना जा सकता.

क्योंकि आयुक्त ने सिर्फ सात अतिरिक्त समितियों के गठन को लेकर अपना डिसेंट लेटर भेजा था, लेकिन राज्य सरकार ने सभी समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि हर समिति में तीन सदस्य गैर पार्षद हैं. इन सदस्यों के नामों के अतिरिक्त अन्य कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. यह भी संभावना है कि कोई अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति भी इस समितियों में शामिल हो गया हो. ऐसे में सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने समितियों को निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम ग्रेटर की समितियों के गठन को रद्द करने के संबंध में जारी राज्य सरकार के गत 25 फरवरी के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले को अंतिम निस्तारण के लिए 29 अप्रैल को सूचीबद्ध करने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश ग्रेटर महापौर सौम्या गुर्जर व समितियों के चैयरमेन की याचिका पर दिए.

ग्रेटर निगम की समितियों के गठन को रद्द करने के आदेश पर रोक

अदालत ने कहा कि निगम में सारा काम कमेटियों के जरिए ही होता है. ऐसे में याचिका के निस्तारण तक सरकार के आदेश पर रोक लगाई जा रही है, ताकि निगम का काम सूचारू चलता रहे. याचिका में अधिवक्ता आशीष शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी रिविजनल शक्तियों का प्रयोग करते हुए समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त किया है. जबकि इसके तहत पहले याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुना जाना जरूरी था. लेकिन राज्य सरकार ने उनका पक्ष नहीं सुना.

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इसके अलावा नगर पालिका अधिनियम के तहत यदि बैठक के किसी प्रस्ताव से आयुक्त असहमत है तो उसे बैठक में ही अपनी असहमति जतानी होगी. यदि फिर भी कार्रवाई नहीं हो तो वह राज्य सरकार को अपना डिसेंट लेटर भेज सकते हैं. जबकि इस मामले में आयुक्त ने समितियों के गठन के संबंध में आयोजित बैठक में अपनी असहमति नहीं दर्शाई और बाद में नियमों के विपरीत जाकर राज्य सरकार को अपना डिसेंट लेटर भेज दिया. याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने यदि आयुक्त के डिसेंट लेटर के आधार पर सभी समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त किया है तो भी वह नियमानुसार सही नहीं माना जा सकता.

क्योंकि आयुक्त ने सिर्फ सात अतिरिक्त समितियों के गठन को लेकर अपना डिसेंट लेटर भेजा था, लेकिन राज्य सरकार ने सभी समितियों के गठन के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि हर समिति में तीन सदस्य गैर पार्षद हैं. इन सदस्यों के नामों के अतिरिक्त अन्य कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. यह भी संभावना है कि कोई अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति भी इस समितियों में शामिल हो गया हो. ऐसे में सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने समितियों को निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है.

Last Updated : Mar 26, 2021, 10:08 PM IST
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