ETV Bharat / city

SPECIAL : वार्षिक परीक्षा ऑनलाइन होगी या ऑफलाइन....निजी स्कूल VS अभिभावक, जंग जारी है...

author img

By

Published : Mar 5, 2021, 9:26 PM IST

अभिभावकों और निजी स्कूलों की पटरी पहले फीस को लेकर नहीं बैठ रही थी. अब बच्चों की वार्षिक परीक्षा को लेकर दोनों आमने-सामने हैं. बताया जा रहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन परीक्षा ऑफलाइन करवाने की बात कह रहे हैं. जबकि अभिभावकों की मांग है कि परीक्षा ऑनलाइन करवाई जाए.

Private school fees case High Court, Private school offline exam, Private schools and parents
अब वार्षिक परीक्षा के तरीके को लेकर उग्र हुए अभिभावक

जयपुर. देश और प्रदेश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा है. ऐसे में निजी स्कूल प्रबंधन और बच्चों के अभिभावक एक बार फिर आमने-सामने हो गए हैं. इस बार मामला वार्षिक परीक्षा करवाने के तरीके को लेकर है. देखिये यह रिपोर्ट...

अब वार्षिक परीक्षा के तरीके को लेकर उग्र हुए अभिभावक

दरअसल, अभिभावकों और निजी स्कूलों की पटरी पहले फीस को लेकर नहीं बैठ रही थी. अब बच्चों की वार्षिक परीक्षा को लेकर दोनों आमने-सामने हैं. बताया जा रहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन परीक्षा ऑफलाइन करवाने की बात कह रहे हैं. जबकि अभिभावकों की मांग है कि परीक्षा ऑनलाइन करवाई जाए.

दुनिया के कई देशों में जहां कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन मिलने की बातें सामने आ रही हैं. वहीं देशभर के कई इलाकों में एक बार फिर कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. कुछ दिन पहले राजस्थान में भी दम तोड़ता दिख रहा कोरोना वायरस एक बार फिर सांस ले रहा है.

कोरोना संक्रमण के एक बार फिर लगातार बढ़ रहे खतरे के बीच निजी स्कूल संचालक और बच्चों के अभिभावक एक बार फिर आमने-सामने हैं. कोरोना काल में जहां फीस वसूली के मुद्दे को लेकर दोनों पक्ष मैदान में उतरे थे. वहीं अब वार्षिक परीक्षा का आयोजन कैसे हो ? इस मुद्दे को लेकर अभिभावक और निजी स्कूल संचालक आमने-सामने हैं.

पढ़ें- मेहंदी लगे हाथ पर प्रेमी का नाम लिख प्रेमिका ने की खुदकुशी, आहत Lover ने भी की Suicide

अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों में परीक्षा ऑनलाइन करवाई जाए. अभिभावकों का यह भी आरोप है कि निजी स्कूल संचालक परीक्षा ऑफलाइन करवाने का दबाव बना रहे हैं. हालांकि निजी स्कूल संचालकों के कहना है कि परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों मोड पर करवाने का विकल्प दिया जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर बीते पांच दिन में दो बार स्कूलों के बाहर हंगामा भी हो चुका है.

संयुक्त अभिभावक संघ से जुड़ी अमृता सक्सेना कहती हैं कि स्कूल खुलने के बाद से कोरोना संक्रमण के मामलों में एक बार फिर तेजी आई है. प्रदेश में भी कई मामले ऐसे सामने आए हैं. जब विद्यार्थी या शिक्षक कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं. महाराष्ट्र के कुछ जिलों में तो पहले जैसी सख्ती कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ने के कारण की गई है.

Private school fees case High Court, Private school offline exam, Private schools and parents
वार्षिक परीक्षा ऑनलाइन होगी या ऑफलाइन, स्कूल और अभिभावक में जंग

उनका कहना है कि राजस्थान में सरकार और स्कूल प्रशासन मिलीभगत कर बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं. निजी स्कूल संचालकों को रुपए चाहिए तो स्कूल खुलने ही चाहिएं. लेकिन इससे बच्चे और उनके परिवार प्रभावित हो रहे हैं. उनका यहां तक कहना है कि कोरोना संक्रमण के एक बार फिर बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूलों को फिर से बंद किया जाना चाहिए. भले ही जीरो सेशन हो जाए. क्योंकि बच्चों के जीवन से ज्यादा कुछ भी जरूरी नहीं है.

उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि क्या बच्चों को प्रमोट नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद निजी स्कूल संचालक अभिभावकों पर फीस के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि जब क्लास ऑनलाइन ली जा सकती है तो परीक्षा ऑनलाइन लेने में क्या दिक्कत है. यह सही है कि इसमें नकल करने की संभावना है. लेकिन बच्चों का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है.

इसलिए बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन परीक्षा होनी चाहिए. कम से कम छोटे बच्चों की परीक्षा तो ऑनलाइन ही करवाई जानी चाहिए. बोर्ड परीक्षा की परीक्षा ऑफलाइन करवाई जा सकती है. लेकिन बाकी कक्षाओं की परीक्षा ऑनलाइन होनी चाहिए.

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन का कहना है कि जब पूरे साल निजी स्कूलों में कक्षाएं ऑनलाइन ली गई तो अब परीक्षा ऑनलाइन करवाने में कहां परेशानी हो रही है. स्कूल संचालक यहां तक कहते हैं कि ऑनलाइन क्लासेज में पढ़ाई सुचारू रूप से नहीं हो पाई. तो बड़ा सवाल यह है कि जब पढ़ाई ही ठीक से नहीं हुई तो परीक्षा कैसे ले सकते हैं. अब भी यह लड़ाई इसी बात को लेकर है.

पढ़ें- स्थानीय ज्ञान-विज्ञान को भी नई पीढ़ी तक पहुंचाएं विश्वविद्यालय: राज्यपाल मिश्र

हाल ही के दिनों में सामने आया है कि कोरोना अपना स्वरूप बदलकर सामने आ रहा है और संक्रमण का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. राज्य में भी बीते कुछ दिनों से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में अभिभावकों की यह मांग जायज है कि परीक्षा ऑफलाइन के बजाए ऑनलाइन करवाई जाए. सरकार की गाइड लाइन में भी साफ है कि अभिभावकों की लिखित सहमति के बाद ही बच्चों को स्कूल भेजा जाए.

Private school fees case High Court, Private school offline exam, Private schools and parents
नहीं थम रहा अभिभावकों का आंदोलन

ऐसे में परीक्षा देने के लिए जबरन स्कूल बुलाना क्या सरकार के निर्देशों का खुला उल्लंघन नहीं है. क्या स्कूल प्रबंधन सरकार से ऊपर हो गए हैं. उनका कहना है कि निजी स्कूल संचालक ऑफलाइन परीक्षा के नाम पर जबरन बच्चों को स्कूल बुला रहे हैं. संयुक्त अभिभावक संघ का यही कहना है कि जो अभिभावक ऑफलाइन परीक्षा दिलवाना चाहते हैं. उनके बच्चों की परीक्षा ऑफलाइन हो और जो अभिभावक ऑनलाइन परीक्षा दिलवाना चाहते हैं. उनके बच्चों की परीक्षा ऑनलाइन हो.

हालांकि स्कूल क्रांति संघ की प्रदेशाध्यक्ष हेमलता शर्मा अभिभावकों के इन आरोपों को गलत बता रही हैं. उनका कहना है कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि यह मुद्दा इतना तूल क्यों पकड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे और अभिभावक चाहें तो ऑफलाइन परीक्षा दे सकते हैं और वे चाहे तो बच्चे ऑनलाइन परीक्षा दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि कई ऐसे अभिभावक भी हैं जो सक्षम होने के बावजूद फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं. उन्होंने पूरे कोरोना काल में एक रुपया भी नहीं दिया. उन्हें भी इस बारे में सोचना चाहिए.

जयपुर. देश और प्रदेश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा है. ऐसे में निजी स्कूल प्रबंधन और बच्चों के अभिभावक एक बार फिर आमने-सामने हो गए हैं. इस बार मामला वार्षिक परीक्षा करवाने के तरीके को लेकर है. देखिये यह रिपोर्ट...

अब वार्षिक परीक्षा के तरीके को लेकर उग्र हुए अभिभावक

दरअसल, अभिभावकों और निजी स्कूलों की पटरी पहले फीस को लेकर नहीं बैठ रही थी. अब बच्चों की वार्षिक परीक्षा को लेकर दोनों आमने-सामने हैं. बताया जा रहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन परीक्षा ऑफलाइन करवाने की बात कह रहे हैं. जबकि अभिभावकों की मांग है कि परीक्षा ऑनलाइन करवाई जाए.

दुनिया के कई देशों में जहां कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन मिलने की बातें सामने आ रही हैं. वहीं देशभर के कई इलाकों में एक बार फिर कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. कुछ दिन पहले राजस्थान में भी दम तोड़ता दिख रहा कोरोना वायरस एक बार फिर सांस ले रहा है.

कोरोना संक्रमण के एक बार फिर लगातार बढ़ रहे खतरे के बीच निजी स्कूल संचालक और बच्चों के अभिभावक एक बार फिर आमने-सामने हैं. कोरोना काल में जहां फीस वसूली के मुद्दे को लेकर दोनों पक्ष मैदान में उतरे थे. वहीं अब वार्षिक परीक्षा का आयोजन कैसे हो ? इस मुद्दे को लेकर अभिभावक और निजी स्कूल संचालक आमने-सामने हैं.

पढ़ें- मेहंदी लगे हाथ पर प्रेमी का नाम लिख प्रेमिका ने की खुदकुशी, आहत Lover ने भी की Suicide

अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों में परीक्षा ऑनलाइन करवाई जाए. अभिभावकों का यह भी आरोप है कि निजी स्कूल संचालक परीक्षा ऑफलाइन करवाने का दबाव बना रहे हैं. हालांकि निजी स्कूल संचालकों के कहना है कि परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों मोड पर करवाने का विकल्प दिया जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर बीते पांच दिन में दो बार स्कूलों के बाहर हंगामा भी हो चुका है.

संयुक्त अभिभावक संघ से जुड़ी अमृता सक्सेना कहती हैं कि स्कूल खुलने के बाद से कोरोना संक्रमण के मामलों में एक बार फिर तेजी आई है. प्रदेश में भी कई मामले ऐसे सामने आए हैं. जब विद्यार्थी या शिक्षक कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं. महाराष्ट्र के कुछ जिलों में तो पहले जैसी सख्ती कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ने के कारण की गई है.

Private school fees case High Court, Private school offline exam, Private schools and parents
वार्षिक परीक्षा ऑनलाइन होगी या ऑफलाइन, स्कूल और अभिभावक में जंग

उनका कहना है कि राजस्थान में सरकार और स्कूल प्रशासन मिलीभगत कर बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं. निजी स्कूल संचालकों को रुपए चाहिए तो स्कूल खुलने ही चाहिएं. लेकिन इससे बच्चे और उनके परिवार प्रभावित हो रहे हैं. उनका यहां तक कहना है कि कोरोना संक्रमण के एक बार फिर बढ़ते खतरे को देखते हुए स्कूलों को फिर से बंद किया जाना चाहिए. भले ही जीरो सेशन हो जाए. क्योंकि बच्चों के जीवन से ज्यादा कुछ भी जरूरी नहीं है.

उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि क्या बच्चों को प्रमोट नहीं किया जा सकता. उनका कहना है कि हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद निजी स्कूल संचालक अभिभावकों पर फीस के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि जब क्लास ऑनलाइन ली जा सकती है तो परीक्षा ऑनलाइन लेने में क्या दिक्कत है. यह सही है कि इसमें नकल करने की संभावना है. लेकिन बच्चों का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है.

इसलिए बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन परीक्षा होनी चाहिए. कम से कम छोटे बच्चों की परीक्षा तो ऑनलाइन ही करवाई जानी चाहिए. बोर्ड परीक्षा की परीक्षा ऑफलाइन करवाई जा सकती है. लेकिन बाकी कक्षाओं की परीक्षा ऑनलाइन होनी चाहिए.

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन का कहना है कि जब पूरे साल निजी स्कूलों में कक्षाएं ऑनलाइन ली गई तो अब परीक्षा ऑनलाइन करवाने में कहां परेशानी हो रही है. स्कूल संचालक यहां तक कहते हैं कि ऑनलाइन क्लासेज में पढ़ाई सुचारू रूप से नहीं हो पाई. तो बड़ा सवाल यह है कि जब पढ़ाई ही ठीक से नहीं हुई तो परीक्षा कैसे ले सकते हैं. अब भी यह लड़ाई इसी बात को लेकर है.

पढ़ें- स्थानीय ज्ञान-विज्ञान को भी नई पीढ़ी तक पहुंचाएं विश्वविद्यालय: राज्यपाल मिश्र

हाल ही के दिनों में सामने आया है कि कोरोना अपना स्वरूप बदलकर सामने आ रहा है और संक्रमण का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. राज्य में भी बीते कुछ दिनों से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में अभिभावकों की यह मांग जायज है कि परीक्षा ऑफलाइन के बजाए ऑनलाइन करवाई जाए. सरकार की गाइड लाइन में भी साफ है कि अभिभावकों की लिखित सहमति के बाद ही बच्चों को स्कूल भेजा जाए.

Private school fees case High Court, Private school offline exam, Private schools and parents
नहीं थम रहा अभिभावकों का आंदोलन

ऐसे में परीक्षा देने के लिए जबरन स्कूल बुलाना क्या सरकार के निर्देशों का खुला उल्लंघन नहीं है. क्या स्कूल प्रबंधन सरकार से ऊपर हो गए हैं. उनका कहना है कि निजी स्कूल संचालक ऑफलाइन परीक्षा के नाम पर जबरन बच्चों को स्कूल बुला रहे हैं. संयुक्त अभिभावक संघ का यही कहना है कि जो अभिभावक ऑफलाइन परीक्षा दिलवाना चाहते हैं. उनके बच्चों की परीक्षा ऑफलाइन हो और जो अभिभावक ऑनलाइन परीक्षा दिलवाना चाहते हैं. उनके बच्चों की परीक्षा ऑनलाइन हो.

हालांकि स्कूल क्रांति संघ की प्रदेशाध्यक्ष हेमलता शर्मा अभिभावकों के इन आरोपों को गलत बता रही हैं. उनका कहना है कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि यह मुद्दा इतना तूल क्यों पकड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चे और अभिभावक चाहें तो ऑफलाइन परीक्षा दे सकते हैं और वे चाहे तो बच्चे ऑनलाइन परीक्षा दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि कई ऐसे अभिभावक भी हैं जो सक्षम होने के बावजूद फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं. उन्होंने पूरे कोरोना काल में एक रुपया भी नहीं दिया. उन्हें भी इस बारे में सोचना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.