जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर निजी स्कूल संचालक आंदोलन कर रहे हैं. ये आंदोलन निजी स्कूलों पर कशी जा रही लगाम के खिलाफ है, जिसमें अब सरकार के खिलाफ निजी स्कूलों के प्रबंधक आवाज बुलंद करने जा रहे हैं. 9 फरवरी को प्रदेश स्तरीय आंदोलन की रूपरेखा जयपुर में तैयार होगी.
बता दें कि प्रदेश के अभिभावकों को निजी स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी से राहत देने के लिए 2016 में फीस अधिनियम का गठन किया गया. उस समय भी निजी स्कूल संचालकों ने इसको हाईकोर्ट में चैलेंज किया था, लेकिन 14 अगस्त 2019 को हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करके इस अधिनियम की शक्तियों को जारी रखा.
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जिसके बाद स्वयंसेवी शिक्षण संस्थान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसपर सुप्रीम कोर्ट से निजी स्कूल संचालक को राहत मिली है. बता दें कि 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों को राहत देते हुए अधिनियम के खिलाफ स्थगन आदेश दिए. साथ ही आगामी आदेशों तक निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ किसी तरह का एक्शन नहीं लेने के निर्देश भी दिए.
स्वयंसेवी शिक्षण संस्थान के प्रदेश मंत्री केशन मित्तल ने बताया कि फीस अधिनियम से उन पर कुठाराघात हो रहा है और बढ़ती महंगाई में वह कम फीस में स्कूल संचालित नहीं कर पा रहे हैं. निजी स्कूल संचालकों का ज्यादा विरोध, फीस अधिनियम में बनाई गई कमेटी के सदस्यों को लेकर है. जिसमें पांच अभिभावक शामिल है तो वहीं 3 शिक्षक, एक प्रिंसिपल और एक मैनेजमेंट सदस्य है.
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स्कूल संचालकों का कहना है कि उनकी स्कूल की पैरवी वह पूरी तरह से नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अभिभावक और शिक्षक उनके साथ नहीं चलेंगे. उधर, हाल ही में स्कूल में अलग से फैकल्टी के लिए 50 हजार रुपए अलग से चार्ज करने को भी गलत ठहराया है. इसके साथ ही बालिका शिक्षा फाउंडेशन में दी जाने वाली राशि को लेकर भी संचालकों की मांग है कि, उसको पहले की तर्ज पर किया जाए. जिससे स्कूल संचालक अपनी ओर से दी गई राशि को समय पर काम में ले सकें. दो पारी में चलने वाले स्कूलों के लिए 3 लाख रुपए देने के निर्देश दिए गए हैं, जिसका पहले कोई प्रावधान नहीं था. स्कूल संचालकों के इन बिंदु के साथ और भी मांगे हैं जो कि सरकार के सामने रखी जाएगी.
प्रदेश में लगभग आधी आबादी सीधे तौर पर निजी स्कूलों के साथ जुड़ी हुई है. फिर चाहे अभिभावक के नाते हो या फिर शिक्षक होने के नाते. लेकिन अक्सर अभिभावकों की निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायतें रही है. जिसके बाद फीस अधिनियम को लागू किया गया. लेकिन अब स्कूल संचालक अपना संरक्षण कर रहे हैं और निजी स्कूलों के लिए एक प्राधिकरण बनाने की मांग कर रहे हैं.