जयपुर. राजस्थान में कोरोना काल में निजी अस्पतालों ने मरीजों के मुफ्त उपचार करने से इनकार कर दिया है. यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल एसोसिएशन ऑफ राजस्थान ने अब अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. ऐसे में अब निजी अस्पताल सरकारी बीमा योजना में मुक्त उपचार नहीं करेंगे.
उपचार स्टेट वर्किंग कमेटी के सदस्य डॉ. रामदेव चौधरी ने कहा कि, 12 दिसंबर 2019 से पहले जो बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस थी, उसने अब तक 65 करोड़ रुपए से ज्यादा का पेमेंट अटका रखा है और 90 हजार क्लेम्स पेंडिंग में रखे हुए हैं. ऐसे में वो भामाशाह योजना की जगह परिवर्तित हुए 'आयुष्मान भारत' योजना में मुफ्त उपचार नहीं कर सकते. वहीं, डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने सरकार से मुख्यतः 'भामाशाह' योजना का बकाया भुगतान करने, अस्वीकृत क्लेम्स का निश्चित समय में सुनवाई करके उनका निस्तारण करने, एमओयू उल्लंघन करने वाले बीमा कंपनी को शामिल नहीं करने और स्टेट लेवल और जिला स्तरीय एम्पेनलमेंट और ग्रीवेंस कमिटी में निजी अस्पताल एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल करने की मांग की है.
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ऐसे में अब 'आयुष्मान भारत' योजना के लिए ही जब निजी अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए हैं, तो करोना काल में गंभीर कोरोना पॉजिटिव मरीजों के प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त उपचार का दावा दूर की कौड़ी ही साबित होता नजर आ रहा है. जिस पर सरकार को जल्दी कुछ फैसला लेना होगा.