जयपुर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण के आंकड़े काबू में आने के बाद आज सोमवार से प्राथमिक स्कूल भी खुल गए हैं. आज करीब 19 महीने के लंबे अंतराल के बाद पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चे स्कूल पहुंचे और अपने दोस्तों से मिले तो उनके चेहरे खिल गए. स्कूलों में बच्चों को कोरोना के संभावित खतरे से बचाने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
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आज सुबह जब पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चे स्कूल पहुंचे तो स्कूल के मुख्यद्वार पर ही उनका तापमान नोट किया गया. इसके साथ ही किसी बच्चे या उसके परिवार में किसी सदस्य को सर्दी, खांसी और जुकाम होने की जानकारी भी दर्ज की गई. जिन स्कूलों में कमरे बड़े हैं और बच्चों की संख्या कम है. वहां सभी बच्चों को स्कूल बुलाया गया है और पर्याप्त शारीरिक दूरी के साथ कमरों में बैठने की व्यवस्था की गई है.
वहीं, जिन स्कूलों में कमरे छोटे हैं वहां आधे-आधे बच्चों को स्कूल बुलाया जा रहा है. मास्क लगाने पर ही बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया जा रहा है और टिफिन व पानी की बोतल भी बच्चे घर से ही ला रहे हैं. फिलहाल, स्कूलों में प्रार्थना सभाओं जैसे आयोजनों पर रोक जारी रहेगी. बच्चे एक दूसरे के ज्यादा संपर्क में नहीं आए, इसलिए लंच का समय भी अलग-अलग रखा गया है. बच्चों के पाठ्य सामग्री या लंच शेयर करने पर भी शिक्षक निगरानी रखेंगे.
पोषाहार पर रोक रहेगी
सरकारी स्कूलों में फिलहाल पोषाहार नहीं बनेंगे. कच्चा पोषाहार बच्चों के घर पर भिजवाने की व्यवस्था जारी रहेगी. बच्चे अपना टिफिन और पानी की बोतल साथ लाएंगे. छोटे बच्चे पानी की बोतल और लंच बॉक्स आपस में शेयर नहीं करे. शिक्षक इसकी निगरानी भी करेंगे. जयपुर जिले में आसलपुर-जोबनेर की सरकारी स्कूल के प्रभारी जगदीश प्रसाद बुनकर का कहना है कि बच्चों को कोरोना के संभावित खतरे से बचाने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
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सरकारी स्कूलों में बढ़ी बच्चों की संख्या
कोरोना काल में फीस के मुद्दे पर निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच विवाद खुलकर सामने आया है. जबकि इस संकट में कई लोगों की नौकरी और काम-धंधे भी प्रभावित हुए हैं. ऐसे में कई अभिभावकों ने अपने बच्चों का निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाया है. ऐसे ही एक अभिभावक गोपाल कुमावत का कहना है कि सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की तुलना में ज्यादा योग्य शिक्षक हैं. कोरोना काल में निजी स्कूल संचालकों ने फीस वसूली को लेकर अभिभावकों को परेशान किया है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों ने निजी स्कूलों से अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में करवाया है.