जयपुर. स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में पिछड़ने के बावजूद लगातार बिगड़ती सफाई और सीवरेज व्यवस्था चिंता का सबब बनी हुई है. इसे लेकर अब आपातकालीन कार्य योजना बनाई जाएगी. उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने बिगड़ी सफाई व्यवस्था की जिम्मेदार बीवीजी कंपनी को तुरंत (BVG Company Terminated Process) कार्यमुक्त करने के लिए ग्रेटर निगम (Greater Municipal Corporation Jaipur) आयुक्त को पत्र लिखा है. साथ ही ग्रेटर क्षेत्र में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए संसाधन और अन्य वैकल्पिक व्यवस्था के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए लिखा है.
अनुबंध की शर्तों का बार-बार उल्लंघन करने और सफाई व्यवस्था सम्भालने में नाकाम रहने पर ग्रेटर निगम ने पहली बोर्ड की मीटिंग में 28 जनवरी 2021 को बीवीजी का करार रद्द करके वैकल्पिक व्यवस्था करने का प्रस्ताव पारित किया था. लेकिन कंपनी के कोर्ट चले जाने से प्रक्रिया रूक गई थी. कंपनी की मनमानी, हठधर्मिता और बार-बार हड़ताल के कारण शहर की सफाई व्यवस्था बद से बदतर होती चली गई. परिणाम स्वरूप स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में पिछड़कर ग्रेटर निगम की रैंक 36वें स्थान पर पहुंच गई.
उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि 1 मार्च से शुरू हो रहे स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में (Swachh Survekshan 2022) जयपुर शहर की छवि सुधारने की चुनौती ग्रेटर निगम के सामने है. इसे लेकर नोटशीट चलाकर ग्रेटर निगम आयुक्त को लिखा है कि सफाई के वर्तमान हालातों के मद्देनजर बीवीजी को कार्यमुक्त किया जाए और निगम के खुद के संसाधनों और अन्य वैकल्पिक उपायों के माध्यम से आपातकालीन और पुख्ता कार्ययोजना तैयार कर ग्रेटर निगम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके. साथ ही शहर की सफाई व्यवस्था के लिए जिम्मेदार निगम के एसआई, सीएसआई, एईएन, जेईएन, एक्सईएन और जोन उपायुक्तों को फील्ड में रहकर काम करने के निर्देश जारी किए जाएं.
कर्णावट ने बताया कि नगर निगम का पहला दायित्व शहर की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करना होता है. लेकिन शहर में जगह-जगह पड़े कचरे के ढेर और चरमराती सफाई व्यवस्था से एक ओर जहां जयपुर की जनता परेशान है, वहीं दूसरी ओर कंपनी की नाकामियों का नकारात्मक प्रभाव निगम की छवि पर भी पड़ रहा है. आपको बता दें कि ग्रेटर निगम क्षेत्र में डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम कर रही बीवीजी कंपनी के सफाई कर्मचारी 3 महीने से वेतन भुगतान नहीं होने की वजह से हड़ताल पर हैं. जिसकी वजह से घरों का कचरा अब सड़कों पर आने (Garbage On Road In Jaipur) लगा है. कंपनी का तर्क है कि 3 महीने का 14 करोड़ का भुगतान बकाया चल रहा है. हर महीने जेब से करीब 4 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. ऐसे में कर्मचारियों को वेतन देना संभव नहीं है.