जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेल प्रशासन ने प्रदेश की जेलों में बंद पात्र कैदियों को रिहा करने के संबंध में तैयारियां शुरू कर दी है. इसके तहत करीब 13 सौ से अधिक बंदियों को अब तक चिन्हित कर लिया गया है. इनमें 12 सौ से अधिक विचाराधीन कैदी और 100 से अधिक सजायाफ्ता कैदी है. इसी के साथ बीमार और पैरोल योग्य बंदियों की अलग से सूची तैयार की जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने गत दिनों से प्रेरणा पर सुनवाई करते हुए एक उच्च स्तरीय कमेटी इस संबंध में गठित करने के आदेश दिए थे. वहीं राजस्थान हाईकोर्ट ने भी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह पैरोल नियम के नियम 9-A के तहत पात्र कैदियों को रिहा करने पर विचार करे. माना जा रहा है कि इन कैदियों को पैरोल के साथ ही अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा.
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राह नहीं आसान...
कैदियों को रिहा करने के बाद भी सरकार को काफी मशक्कत उठानी पड़ेगी. प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों में से कुछ कैदी दूसरे प्रदेश के हैं. जबकि बड़ी संख्या में वे कैदी हैं जो दूसरे जिलों के रहने वाले हैं. देशभर में लॉक डाउन होने के चलते सार्वजनिक परिवहन सुविधा बंद है. ऐसे में सरकार को इन कैदियों को उनके आवास तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी.
सचिव पेश कर चुके है रिपोर्ट...
मिली जानकारी के अनुसार जेल प्रशासन ने पिछले 10 दिनों में जेलों में बंद क्षमता से अधिक कैदियों को दूसरी खाली जेलों में भी भेजा है. वहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों ने इस संबंध में हाईकोर्ट प्रशासन को अपनी रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में कहा गया है की जेलों में परिजनों की कैदियों से मुलाकात बंद है. वहीं जेलकर्मी स्क्रीनिंग के बाद ड्यूटी पर आ रहे हैं.