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Pradosh Vrat December 2021: प्रदोष व्रत 16 दिसंबर को, इस विधि से पूजा करने से मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

प्रदोष व्रत इस बार 16 दिसंबर (Pradosh Vrat December 2021) को है. गुरुवार के दिन होने से इसे गुरु प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. इस दिन प्रदोष काल शाम 5:27 बजे से रात 8:11 बजे तक रहेगा. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना से विशेष फल मिलता है.

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Published : Dec 14, 2021, 9:11 PM IST

pradosh vrat december 2021
प्रदोष व्रत 16 दिसंबर को

जयपुर. भगवान शिव को विशेष प्रिय प्रदोष व्रत इस बार 16 दिसंबर (Pradosh Vrat December 2021) को है. किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है.

मान्यता है कि प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जानकारी के अनुसार, मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी 16 दिसंबर को है और प्रदोष काल शाम 5:27 बजे से रात 8:11 बजे तक रहेगा.

पढ़ें: Malmas 2021: 16 दिसंबर की रात से शुरू होंगे मलमास, एक महीने तक मांगलिक कार्यों पर विराम

गुरु प्रदोष पूजा से मिलता है खास फल

प्रदोष का व्रत गुरुवार को हो तो उसे गुरु प्रदोष कहा जाता है. इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना और व्रत करने से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह व्रत करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है. सुख समृद्धि मिलती है और शत्रुओं का विनाश होता है.

पढ़ें: बूंदी रियासत के राव राजा पर असमंजसः भंवर जितेंद्र सिंह ने वंश वर्धन सिंह का नाम किया आगे...दो दिन पहले भूपेश हाड़ा को बांधी गई है पाग

यह है प्रदोष व्रत और पूजा की विधिसुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. इस दिन व्रत रखें. भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक कर पुष्प अर्पित करें. भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें और सात्विक वस्तुओं का भोग लगाएं. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें. इस दिन भगवान भोलेनाथ का अधिक से अधिक ध्यान करना चाहिए.

जयपुर. भगवान शिव को विशेष प्रिय प्रदोष व्रत इस बार 16 दिसंबर (Pradosh Vrat December 2021) को है. किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है.

मान्यता है कि प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जानकारी के अनुसार, मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी 16 दिसंबर को है और प्रदोष काल शाम 5:27 बजे से रात 8:11 बजे तक रहेगा.

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गुरु प्रदोष पूजा से मिलता है खास फल

प्रदोष का व्रत गुरुवार को हो तो उसे गुरु प्रदोष कहा जाता है. इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना और व्रत करने से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह व्रत करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है. सुख समृद्धि मिलती है और शत्रुओं का विनाश होता है.

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यह है प्रदोष व्रत और पूजा की विधिसुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. इस दिन व्रत रखें. भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक कर पुष्प अर्पित करें. भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें और सात्विक वस्तुओं का भोग लगाएं. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें. इस दिन भगवान भोलेनाथ का अधिक से अधिक ध्यान करना चाहिए.

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