जयपुर. राजस्थान में आसमान से आग बरसाती गर्मी के बीच बिजली का संकट (Power Crisis in Rajasthan) आमजन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. संकट की यह घड़ी जल्द टलने के आसार कम नजर आ रहे हैं. क्योंकि प्रदेश में 1970 मेगावाट क्षमता की 5 विद्युत उत्पादन इकाइयां बंद हैं जबकि शेष इकाइयों में महज 4 से 5 दिन का कोयला स्टॉक ही शेष बचा (Coal stock in power production units in Rajasthan) है. मतलब आम उपभोक्ताओं को बिजली कटौती से जल्द राहत मिलने के आसार कम ही है.
इन 5 इकाइयों में उत्पादन पड़ा है ठप: राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की 5 इकाइयों में बिजली का उत्पादन बंद पड़ा (Power production closed in 5 units in Rajasthan) है. बंद पड़ी 5 इकाइयां 1970 मेगावाट क्षमता की हैं. इनमें 660 मेगावाट की सूरतगढ़ थर्मल सुपरक्रिटिकल, 600 मेगावाट की कालीसिंध, 210 मेगावाट की कोटा थर्मल और 250 मेगावाट क्षमता की सूरतगढ़ थर्मल व छबड़ा थर्मल विद्युत उत्पादन इकाई शामिल है. बताया जा रहा है कि 600 मेगावाट की कालीसिंध और 250 मेगावाट क्षमता की सूरतगढ़ थर्मल इकाई जल्द ही शुरू हो सकती है. इसमें सूरतगढ़ 250 मेगावाट की इकाई अगले 2 दिन में शुरू होने की संभावना है. जबकि कालीसिंध फरमान इकाई 15 मई तक उत्पादन शुरू कर देगी.
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प्रतिदिन 22 रैक कोयला लेकिन फिर भी 4 दिन का स्टॉक: राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की प्रदेश में कुल 23 उत्पादन इकाइयां हैं जिसमें से वर्तमान में 18 इकाइयों में बिजली का उत्पादन हो रहा है. इन इकाइयों की क्षमता महज 5610 मेगावाट है लेकिन इसमें उत्पादन 3 से 4000 मेगावाट प्रतिदिन हो रहा है. वहीं इन उत्पादन इकाइयों में 4 से 5 दिन का कोयला ही शेष है. जबकि नियमानुसार 20 से 26 दिन तक का कोयला स्टॉक में रहना जरूरी है. हालांकि कोयले का संकट देशव्यापी है. बावजूद इसके राजस्थान को प्रतिदिन 22 रैक कोयला मिल रहा है. जबकि जरूरत इससे कहीं ज्यादा है.