जयपुर. पूर्व पंचायती राज मंत्री और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर राज्य सरकार द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग के माध्यम से शेष ग्राम पंचायत चुनाव की तिथि की घोषणा पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव की तिथि की घोषणा न करके मात्र ग्राम पंचायतों के चुनाव की तिथि की घोषणा कर सरकार बिना दल के होने वाले सरपंचों के चुनाव के माध्यम से पिछले दरवाजे से जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव पर कब्जा करने का षड़यंत्र रच रही है.
प्रतिपक्ष के उपनेता ने कहा कि 73वें संविधान संशोधन की मंशानुसार त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्थाओं के चुनाव की घोषणा एक साथ नहीं कर राज्य सरकार द्वारा टुकड़ों-टुकड़ों में करवाने से संविधान के संशोधन का मखौल उड़ रहा है, जो लोकतंत्र का अपमान है. राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की 7463 ग्राम पंचायतों में पंच व सरपंच के आम चुनाव माह जनवरी और मार्च 2020 में सम्पन्न कराए जा चुके हैं.
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वहीं, 3848 ग्राम पंचायतों के पंच और सरपंच के चुनाव कार्यक्रम के लिए चार चरणों में मतदान की तिथि क्रमशः 28 सितंबर, 3 अक्टूबर, 6 अक्टूबर व 10 अक्टूबर की घोषणा की गई है. जबकि जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव की तिथि की घोषणा न कर सरकार संवैधानिक नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का कुत्सित प्रयास कर रही है.
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राठौड़ ने राज्य सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में जब राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के चुनाव कराए जा सकते है तो पंचायत समिति व जिला परिषद के चुनाव क्यों नहीं करवाए जा सकते हैं? जबकि नियमानुसार त्रिस्तरीय संस्थाओं के कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व इनके चुनाव की घोषणा एक साथ किया जाना अनिवार्य है.
राठौड़ ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार है जब राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में पूर्व में भी जानबूझकर देरी की गई. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव नहीं करवाना सर्वथा अनुचित है और राजनीतिक दलों को दरकिनार करते हुए जनप्रतिनिधियों व मतदाताओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है.