जयपुर. सियासत समय के साथ कई रंग बदलती है. प्रदेश की सियासत रंग बदल रही है और कहीं ना कहीं इसके निशां भी नजर आने लगे हैं. प्रदेश भाजपा मुख्यालय में अब एक बदलाव चर्चा का विषय है, ये बदलाव है मुख्यालय के बाहर लगे हार्डिंग जिसमें से समय के साथ कुछ प्रमुख नेताओं के फोटो गायब हुए हैं.
भाजपा सेवा सप्ताह के तहत लगाए गए विशाल होर्डिंग में सेवा सप्ताह के कार्यक्रम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी फोटो है, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के फोटो के साथ राजस्थान से केवल नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का ही फोटो है. मतलब इस होर्डिंग में अब पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ को कोई स्थान नहीं मिल पाया.
सालभर पहले लगे पार्टी के होर्डिंग में अब भी पूनिया के साथ राजे
चर्चा का विषय यह भी है कि ठीक 1 वर्ष पहले जब सतीश पूनिया को प्रदेश भाजपा का मुखिया बनाया गया था, तब पार्टी मुख्यालय के बाहर बदले गए बड़े होर्डिंग में विशेष तौर पर राजस्थान के तीन प्रमुख नेताओं को स्थान दिया गया. जिसमें सतीश पूनिया के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और प्रतिपक्ष उपनेता राजेंद्र राठौड़ के चित्र शामिल हैं. वहीं, ये हार्डिंग आज भी कायम है.
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पार्टी मुख्यालय के मुख्य द्वार पर ये विशालकाय होर्डिंग पार्टी की प्रदेश इकाई ने लगाया था, जो आज भी कायम है. लेकिन इसके ठीक सामने सेवा सप्ताह के तहत लगाया गया एक और विशालकाय हार्डिंग समय के साथ बदलती राजनीति के रंग को दर्शा रहा है.
संगठन कार्यक्रमों में राज्य से अधिक सक्रिय हैं राठौड़
होर्डिंग यदि किसी कार्यकर्ता की ओर से लगाया जाता तो इसमें उसका नाम भी होता और फोटो भी होती, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. मतलब पीएम मोदी के जन्मदिवस पर बनाए जा रहे सेवा सप्ताह के तहत यह होर्डिंग पार्टी की ओर से ही लगाया गया है और इसमें वसुंधरा राजे और प्रतिपक्ष नेता राजेन्द्र राठौड़ का फोटो शामिल नहीं करना भी पार्टी इकाई का ही फैसला माना जाएगा.
वर्तमान में बीते 15 दिनों से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया संक्रमण के कारण भाजपा मुख्यालय नहीं आए हैं और यही स्थिति प्रतिपक्ष उपनेता राजेंद्र राठौड़ की भी है. पिछले एक साल के दौरान संगठन स्तर पर जितने भी महत्वपूर्ण अभियान चलाए गए या गतिविधियां हुई, उसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सक्रियता शून्य रही. लेकिन प्रतिपक्ष उपनेता सक्रिय रूप से अभियान में बैठकों में शामिल होते रहे, लेकिन अब पार्टी के होर्डिंग से वह गायब हो चुके हैं. यही सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.