जयपुर. प्रदेश का जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, बिजली और राजस्व की बचत के लिए पॉजिटिव इंजीनियरिंग का विशेष फार्मूला बनाएगा. राज्य में स्थित 200 किलोवाट से ज्यादा लोड वाले पंप हाउसों के संचालन में सूझबूझ के साथ तकनीकी पहलुओं को अपनाकर बिजली और पैसे की बचत के इस सकारात्मक कदम से जलदाय विभाग को फायदा होगा. वहीं, प्रदेश के विकास में भी अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भागीदारी निभाएगा.
जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने बताया कि प्रदेश में विभाग के ज्यादा लोड वाले पंपिंग स्टेशनों में विद्युत उपभोग के पैटर्न का विश्लेषण किया गया. इससे निष्कर्ष निकला कि कई जगह पानी की मोटर की विद्युत कंपनियों को दी जाने वाली 'कॉन्ट्रेक्ट डिमांड' बिजली के वास्तविक उपभोग की तुलना में अधिक है. इस कारण विद्युत कंपनियों के नियमों के अनुसार जलदाय विभाग को अधिक राजस्व का भुगतान करना पड़ता है. इसके अलावा कई पंपिंग स्टेशनों पर 'हायर पावर फैक्टर' को भी मेंटेन किया जाना जरूरी है. इन दोनों पहलुओं पर खास फोकस कर विभाग में एनर्जी प्लानिंग एंड कंजर्वेशन की पहल की गई है.
'पावर फैक्टर इंसेंटिव' के लिए बनाई कार्य योजना
जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने बताया कि पंप हाउसों पर 'कॉन्ट्रेक्ट डिमांड' से कम बिजली के उपभोग तथा 'हायर पावर फैक्टर' मेंटेन किए जाने की सूरत में विद्युत कंपनियो द्वारा पावर फैक्टर इंसेंटिव दिए जाने का प्रावधान है. इसे देखते हुए जलदाय विभाग ने ऊर्जा की बचत की विस्तृत कार्य योजना बनाई है. सभी अभियंताओं को इस बारे में निर्देश भी जारी किए गए हैं. इसके तहत अभियंताओं को पंप हाउस की बिजली कनेक्शन के लिए 'कॉन्ट्रेक्ट डिमांड' उस क्षमता तक ही लेने को कहा गया है. जिससे बिजली की वास्तविक खपत 'कॉन्ट्रेक्ट डिमांड' की तुलना में 100% से 75% के बीच में रहे. ऐसा करने पर करोड़ों के राजस्व बिजली की बचत हो सकेगी.
प्रमुख शासन सचिव के स्तर से होगी मॉनिटरिंग
जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने बताया कि विभाग के सभी पंपिंग स्टेशनों के लिए इंजीनियर द्वारा इन दो सुधारात्मक कदमों के लिए फील्ड में होने वाली प्रगति की प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा के स्तर से मॉनिटरिंग की जाएगी. जयपुर के मुख्य अभियंता (स्पेशल प्रोजेक्टस) को इस कार्य के लिए नोडल ऑफिसर बनाया गया है. सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को पंपिंग स्टेशनो पर विद्युत उपभोग का डाटा निर्धारित फॉर्मेट में भेजने के निर्देश दिए हैं. उनको राज्य स्तर से मार्गदर्शन व प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
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जलदाय विभाग में बिजली खर्च को कम करने की कवायद
जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा ने बताया कि बीसलपुर -अजमेर वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट की एक केस स्टडी के उदाहरण से 'एनर्जी प्लानिंग एंड कंजर्वेशन को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है. उन्होंने बताया कि बीसलपुर-अजमेर परियोजना में गत 3 वर्षों में मात्र 21 लाख रुपये पावर कैपेसिटर्स, फ्यूजेज तथा एचटी केबल लगाने के लिए खर्च किए गए. इसकी तुलना में 312.11 लाख रुपये के 'पावर फैक्टर इंसेंटिव' का सीधा फायदा मिला.