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PHED विभाग में 44 साल से नहीं हुई मीटर रीडर पदों पर भर्ती, करोड़ों के राजस्व का हो रहा नुकसान

जयपुर में जलदाय विभाग में मीटर रीडर पदों पर 1976 के बाद भर्ती नहीं हो पाई है. पहले 1000 कनेक्शन पर 1 मीटर रीडर हुआ करता था, आज 50,000 कनेक्शन को एक ही मीटर रीडर देख रहा है. मीटर रीडर के पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण विभाग को करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है.

Revenue of Water Department, Recruitment in Water Department
PHED विभाग में 44 साल से नहीं हुई मीटर रीडर पदों पर भर्ती
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Published : Sep 3, 2020, 8:44 PM IST

जयपुर. राजधानी में जलदाय विभाग एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है. जलदाय विभाग में मीटर रीडरों की कमी चल रही है. इसके कारण विभाग को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. इसके बावजूद विभाग मीटर रीडरों के पदों पर भर्ती नहीं कर रहा है.

PHED विभाग में 44 साल से नहीं हुई मीटर रीडर पदों पर भर्ती

जयपुर शहर में करीब 5 लाख घरेलू पेयजल कनेक्शन हैं. 1968 में जयपुर शहर के पीएचईडी विभाग में 52 पद मीटर रीडरों के स्वीकृत किए गए थे. उस समय जयपुर शहर में 50 हजार पेयजल कनेक्शन थे. 1976 में 34 मीटर रीडरों की भर्ती की गई थी, लेकिन अब केवल 2 कर्मचारी ही मीटर रीडरों के रूप में काम कर रहे हैं और 50 मीटर रीडरों की कमी चल रही है, जबकि कनेक्शन भी 10 गुना बढ़ गए हैं. इसके बावजूद भी जलदाय विभाग मीटर रीडरों की भर्ती नहीं कर रहा है.

पढ़ें- राजस्व में कमी की वजह से गहलोत सरकार ने जारी किया मितव्ययता परिपत्र

पहले 1000 कनेक्शन पर 1 मीटर रीडर हुआ करता था और शहर में 50 हजार ही कनेक्शन थे. जयपुर शहर में वर्तमान में 4.90 लाख पेयजल कनेक्शन हैं, इस हिसाब से जलदाय विभाग को 500 मीटर रीडर और 500 हेल्पर की आवश्यकता है. इसके अलावा 150 मीटर इंस्पेक्टर की आवश्यकता है. मीटर रीडर नहीं होने पर विभाग के पास लक्ष्य के अनुसार राजस्व भी नहीं आ रहा है. विभाग को वसूली के लिए एक फीडर और 2 हेल्पर की भी आवश्यकता है.

1976 के बाद नहीं हुई भर्ती

पिछली बार मीटर रीडर की भर्ती 1976 में हुई थी. तब से अब तक कोई भर्ती नहीं हुई. केवल पदोन्नति के बाद ही मीटर रीडर पद पर नियुक्ति हो पा रही है. वर्तमान में 28 मीटर रीडर हैं. इनमें से भी दिसंबर 2020 में 7 मीटर रीडर रिटायर हो जाएंगे. मीटर रीडर नहीं होने से राजस्व पर प्रभाव पड़ता है. राजस्व भी समय पर नहीं आता. वहीं लाखों की संख्या में मीटर भी बंद पड़े हैं. विभाग की मानें तो 50 सीसी से ज्यादा मीटर खराब पड़े हुए हैं कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने के कारण विभाग का 200 करोड़ का राजस्व बकाया चल रहा है.

पढ़ें- CM गहलोत ने योजनाओं के प्राथमिकता निर्धारण के लिए राज्य स्तरीय समितियों का किया गठन

राजस्थान वाटर वर्क्स कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप यादव ने बताया कि मीटर रीडर पदों पर 1976 के बाद भर्ती नहीं हो पाई है. पहले 1000 कनेक्शन पर 1 मीटर रीडर हुआ करता था, आज 50,000 कनेक्शन को एक ही मीटर रीडर देख रहा है. मीटर रीडर के पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण विभाग को करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है. घर जाकर उचित तरीके से रीडिंग लेने की बजाय कर्मचारी एक जगह बैठ कर ही रीडिंग में गड़बड़ी कर रहा है. कर्मचारी रीडिंग सही ले रहा है या गलत, इसे देखने वाला भी कोई नहीं है.

संविदाकर्मियों की नहीं हो पा रही मॉनिटरिंग

यादव ने बताया कि 1990 से लगातार कर्मचारी संगठनों की ओर से मांग की जा रही है कि भर्ती की जाए, लेकिन सरकार सुनवाई नहीं कर रही. कर्मचारियों की कमी के चलते भी विभाग ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा. विभाग में भ्रष्टाचार लगातार फैलता जा रहा है, संविदा कर्मचारियों के काम की मॉनिटरिंग करने वाला भी कोई नहीं है.

यादव ने कहा कि विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर ठेकेदार विभाग को दोगुना नुकसान पहुंचा रहे हैं. गहलोत सरकार ने भी हजारों भर्तियों की घोषणा की है, लेकिन इसके बावजूद भर्ती नहीं हो पा रही है. सरकार यदि डंडा लेकर अधिकारियों के पीछे पड़ेगी तो ही भर्ती होने की संभावना है. जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि विभाग में किन किन पदों पर कर्मचारियों की आवश्यकता है, उसके बारे में समीक्षा करवाई जाएगी और वित्त विभाग से स्वीकृति लेकर जल्द भर्ती की जाएगी.

जयपुर. राजधानी में जलदाय विभाग एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है. जलदाय विभाग में मीटर रीडरों की कमी चल रही है. इसके कारण विभाग को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. इसके बावजूद विभाग मीटर रीडरों के पदों पर भर्ती नहीं कर रहा है.

PHED विभाग में 44 साल से नहीं हुई मीटर रीडर पदों पर भर्ती

जयपुर शहर में करीब 5 लाख घरेलू पेयजल कनेक्शन हैं. 1968 में जयपुर शहर के पीएचईडी विभाग में 52 पद मीटर रीडरों के स्वीकृत किए गए थे. उस समय जयपुर शहर में 50 हजार पेयजल कनेक्शन थे. 1976 में 34 मीटर रीडरों की भर्ती की गई थी, लेकिन अब केवल 2 कर्मचारी ही मीटर रीडरों के रूप में काम कर रहे हैं और 50 मीटर रीडरों की कमी चल रही है, जबकि कनेक्शन भी 10 गुना बढ़ गए हैं. इसके बावजूद भी जलदाय विभाग मीटर रीडरों की भर्ती नहीं कर रहा है.

पढ़ें- राजस्व में कमी की वजह से गहलोत सरकार ने जारी किया मितव्ययता परिपत्र

पहले 1000 कनेक्शन पर 1 मीटर रीडर हुआ करता था और शहर में 50 हजार ही कनेक्शन थे. जयपुर शहर में वर्तमान में 4.90 लाख पेयजल कनेक्शन हैं, इस हिसाब से जलदाय विभाग को 500 मीटर रीडर और 500 हेल्पर की आवश्यकता है. इसके अलावा 150 मीटर इंस्पेक्टर की आवश्यकता है. मीटर रीडर नहीं होने पर विभाग के पास लक्ष्य के अनुसार राजस्व भी नहीं आ रहा है. विभाग को वसूली के लिए एक फीडर और 2 हेल्पर की भी आवश्यकता है.

1976 के बाद नहीं हुई भर्ती

पिछली बार मीटर रीडर की भर्ती 1976 में हुई थी. तब से अब तक कोई भर्ती नहीं हुई. केवल पदोन्नति के बाद ही मीटर रीडर पद पर नियुक्ति हो पा रही है. वर्तमान में 28 मीटर रीडर हैं. इनमें से भी दिसंबर 2020 में 7 मीटर रीडर रिटायर हो जाएंगे. मीटर रीडर नहीं होने से राजस्व पर प्रभाव पड़ता है. राजस्व भी समय पर नहीं आता. वहीं लाखों की संख्या में मीटर भी बंद पड़े हैं. विभाग की मानें तो 50 सीसी से ज्यादा मीटर खराब पड़े हुए हैं कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने के कारण विभाग का 200 करोड़ का राजस्व बकाया चल रहा है.

पढ़ें- CM गहलोत ने योजनाओं के प्राथमिकता निर्धारण के लिए राज्य स्तरीय समितियों का किया गठन

राजस्थान वाटर वर्क्स कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप यादव ने बताया कि मीटर रीडर पदों पर 1976 के बाद भर्ती नहीं हो पाई है. पहले 1000 कनेक्शन पर 1 मीटर रीडर हुआ करता था, आज 50,000 कनेक्शन को एक ही मीटर रीडर देख रहा है. मीटर रीडर के पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण विभाग को करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है. घर जाकर उचित तरीके से रीडिंग लेने की बजाय कर्मचारी एक जगह बैठ कर ही रीडिंग में गड़बड़ी कर रहा है. कर्मचारी रीडिंग सही ले रहा है या गलत, इसे देखने वाला भी कोई नहीं है.

संविदाकर्मियों की नहीं हो पा रही मॉनिटरिंग

यादव ने बताया कि 1990 से लगातार कर्मचारी संगठनों की ओर से मांग की जा रही है कि भर्ती की जाए, लेकिन सरकार सुनवाई नहीं कर रही. कर्मचारियों की कमी के चलते भी विभाग ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा. विभाग में भ्रष्टाचार लगातार फैलता जा रहा है, संविदा कर्मचारियों के काम की मॉनिटरिंग करने वाला भी कोई नहीं है.

यादव ने कहा कि विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर ठेकेदार विभाग को दोगुना नुकसान पहुंचा रहे हैं. गहलोत सरकार ने भी हजारों भर्तियों की घोषणा की है, लेकिन इसके बावजूद भर्ती नहीं हो पा रही है. सरकार यदि डंडा लेकर अधिकारियों के पीछे पड़ेगी तो ही भर्ती होने की संभावना है. जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि विभाग में किन किन पदों पर कर्मचारियों की आवश्यकता है, उसके बारे में समीक्षा करवाई जाएगी और वित्त विभाग से स्वीकृति लेकर जल्द भर्ती की जाएगी.

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