कोटा: कोटा संभाग में इन दिनों फसलों को बचाने के लिए किसानों को डीएपी की जरूरत है, लेकिन उन्हें डीएपी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है. हालात यह है कि अन्नदाता अपनी फसल की देखभाल और बुवाई करने की जगह डीएपी के एक-एक या दो-दो कट्टों के लिए घंटों तक लाइनों में इंतजार कर रहा है. इसके चलते किसानों में परस्पर झगड़े भी हो रहे हैं. कोटा जिले के इटावा और खातौली में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ, जैसे ही क्रय विक्रय सहकारी समिति में डीएपी खाद पहुंचा. किसानों की भीड़ अनियंत्रित हो गई. पहले वे लाइनों में लगे हुए थे, लेकिन पहले टोकन लेने के लिए आपस में झगड़ पड़े. यहां काफी देर तक जमकर हंगामा हुआ. बाद में बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता पहुंचा और हालत पर कंट्रोल किया गया.
खातौली थाना अधिकारी बन्ना लाल जाट का कहना है कि क्रय विक्रय सरकारी समिति तालाब में 400 कट्टे डीएपी बिकने के लिए पहुंचा था. इसके लिए व्यवस्था बनवाई है. टोकन के जरिए अब किसानों को एक-एक कट्टा वितरण किया जा रहा है.करीब 200 से ज्यादा किसान मौके पर है.
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विधायक का आरोप- सरकार को नहीं किसानों की चिंता: दूसरी तरफ, पीपल्दा के विधायक चेतन पटेल कोलाना का कहना है कि बीते सालों में जितना डीएपी किसानों को चाहिए, उतना उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. किसान हितैषी का तमगा लेने वाले सीएम भजनलाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों ही पूरी तरह से फेल है. कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अपने भाई को चुनाव लड़ाने में व्यस्त हैं. ऐसे में किसान की कोई चिंता नहीं कर रहा है. हमारे एरिया में किसानों को फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिला है. इसके लिए भी जिम्मेदार आपदा राहत मंत्री किरोड़ी मीणा ही है. भाजपा डबल इंजन सरकार होने का खोखला दावा कर रही है.यह पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है.
किसान को तीन बीघा में चाहिए एक बैग: कृषि विभाग के सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक प्रदीप कुमार गुप्ता का कहना था कि तीन बीघा में एक बैग डीएपी किसान को डालना होता है. डीएपी पूरी तरह से घुलनशील नहीं होता है, ऐसे में पहले का डाला हुआ डीएपी भी अगली फसल में फायदेमंद रहता है, इसलिए इस बार अगर कम मात्रा भी रहे तब भी किसानों को कोई दिक्कत नहीं होगी. हालांकि, जिन किसानों के पास 20 से 25 बीघा जमीन है, उन्हें राशनिंग के जरिए एक या दो कट्टे मिलना मुश्किल भरा है, क्योंकि उन्हें करीब 7 से 8 कट्टे चाहिए. जिनके पास ज्यादा जमीन है, उनके लिए तो और बड़ी समस्या डीएपी को लेकर खड़ी हो गई है.
अब तक 74000 बैग आए: कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार आर के जैन ने बताया कि कोटा जिले में नवंबर महीने में अभी तक करीब 74 हजार बैग डीएपी के आ चुके हैं, करीब 10 हजार से ज्यादा बैग पाइपलाइन या ट्रांसपोर्टेशन में चल रहे हैं. इनकी सप्लाई दो या तीन दिन में होगी. सभी किसानों तक डीएपी पहुंच जाए, ऐसी व्यवस्था करने में विभाग जुटा हुआ है. कमी के चलते कुछ परेशानी जरूर हो रही है.