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हाईकोर्ट ने आदेश के बाद भी याचिकाकर्ता को कांस्टेबल पद पर नियुक्ति नहीं देने पर नाराजगी जताई

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Published : Sep 8, 2020, 8:03 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 में अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 2 सप्ताह में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने 23 सितंबर को कोटा एसपी को पेश होकर अपना स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं.

Police Constable Recruitment 2018,  contempt of order of rajasthan highcourt
हाईकोर्ट ने आदेश के बाद भी याचिकाकर्ता को कांस्टेबल पद पर नियुक्ति नहीं देने पर नाराजगी जताई

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 में अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 2 सप्ताह में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने 23 सितंबर को कोटा एसपी को पेश होकर अपना स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश हनुमान गुर्जर की अवमानना याचिका पर दिए.

पढ़ें: आसाराम पर लिखी किताब की रिलीज पर रोक के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई आज

याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने 12 मार्च 2019 को याचिकाकर्ता को संबंधित जिले में कॉन्स्टेबल के पद पर नियुक्ति देने को कहा था. लेकिन विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया. जिसे याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका के जरिए अदालत में चुनौती दी.

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक प्रकरण लंबित रहने का हवाला देते हुए सरकार ने उसे कांस्टेबल पद पर नियुक्ति नहीं दी थी. जबकि याचिकाकर्ता उस आपराधिक के केस में बरी भी हो गया था. मामला हाईकोर्ट में आने पर अदालत ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 में अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 2 सप्ताह में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने 23 सितंबर को कोटा एसपी को पेश होकर अपना स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश हनुमान गुर्जर की अवमानना याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने 12 मार्च 2019 को याचिकाकर्ता को संबंधित जिले में कॉन्स्टेबल के पद पर नियुक्ति देने को कहा था. लेकिन विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया. जिसे याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका के जरिए अदालत में चुनौती दी.

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक प्रकरण लंबित रहने का हवाला देते हुए सरकार ने उसे कांस्टेबल पद पर नियुक्ति नहीं दी थी. जबकि याचिकाकर्ता उस आपराधिक के केस में बरी भी हो गया था. मामला हाईकोर्ट में आने पर अदालत ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी गई.

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