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लॉकडाउन के दौरान पुलिस मारपीट के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका खारिज

राजस्थान हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए लॉकडाउन के दौरान पुलिस से मारपीट मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि इस तरह की घटना को लेकर याचिका दायर नहीं हो सकती.

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पुलिस मारपीट के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका खारिज
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Published : Apr 21, 2020, 12:57 AM IST

Updated : May 24, 2020, 5:45 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान पुलिस की ओर से की गई मारपीट के मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश आशीष देवासर की ओर से दायर याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि इस तरह की घटना को लेकर याचिका दायर नहीं हो सकती. यदि किसी के साथ ऐसी घटना होती है तो वह कानूनी प्रक्रिया अपना सकता है.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पुलिसकर्मी जान जोखिम में डालकर कोरोना संक्रमण में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. इस तरह की जनहित याचिका ओछी पब्लिसिटी हासिल करने के लिए की गई है. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज किया जाए.

ये पढ़ें: कोरोना वॉरियर्स की सुरक्षा को लेकर अब आदेश देने की जरूरत नहीं: हाई कोर्ट

जनहित याचिका में कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान सड़क पर लोगों के साथ मारपीट की जा रही है. पुलिसकर्मी आमजन को प्रताड़ित करने के साथ ही उनका उत्पीड़न कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसके अलावा पुलिस को कानूनन अन्य शक्तियां भी प्राप्त है. इसके बावजूद पुलिसकर्मी सड़क पर लोगों को बुरी तरह से पीट रहे हैं. जबकि हम वायरस के खिलाफ लड़ रहे हैं ना कि भीड़ के खिलाफ. ऐसे में पुलिस को पाबंद किया जाए कि वह लोगों पर विधि सम्मत कार्यवाही ही करें.

ये पढ़ें: राजस्थान में लॉकडाउन के बाद अब कोविड ने लिया जन्म...

क्षतिपूर्ति के संबंध में याचिका खारिज

वहीं अदालत ने लॉकडाउन के चलते प्रभावितों को न्यूनतम मजदूरी के आधार पर क्षतिपूर्ति राशि देने के संबंध में दायर जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत को दखल का अधिकार नहीं है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह आदेश दशरथ कुमार की याचिका पर दिए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान पुलिस की ओर से की गई मारपीट के मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश आशीष देवासर की ओर से दायर याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि इस तरह की घटना को लेकर याचिका दायर नहीं हो सकती. यदि किसी के साथ ऐसी घटना होती है तो वह कानूनी प्रक्रिया अपना सकता है.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पुलिसकर्मी जान जोखिम में डालकर कोरोना संक्रमण में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. इस तरह की जनहित याचिका ओछी पब्लिसिटी हासिल करने के लिए की गई है. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज किया जाए.

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जनहित याचिका में कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान सड़क पर लोगों के साथ मारपीट की जा रही है. पुलिसकर्मी आमजन को प्रताड़ित करने के साथ ही उनका उत्पीड़न कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसके अलावा पुलिस को कानूनन अन्य शक्तियां भी प्राप्त है. इसके बावजूद पुलिसकर्मी सड़क पर लोगों को बुरी तरह से पीट रहे हैं. जबकि हम वायरस के खिलाफ लड़ रहे हैं ना कि भीड़ के खिलाफ. ऐसे में पुलिस को पाबंद किया जाए कि वह लोगों पर विधि सम्मत कार्यवाही ही करें.

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क्षतिपूर्ति के संबंध में याचिका खारिज

वहीं अदालत ने लॉकडाउन के चलते प्रभावितों को न्यूनतम मजदूरी के आधार पर क्षतिपूर्ति राशि देने के संबंध में दायर जनहित याचिका को भी खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत को दखल का अधिकार नहीं है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह आदेश दशरथ कुमार की याचिका पर दिए.

Last Updated : May 24, 2020, 5:45 PM IST
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