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स्कूल फीस कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, पैरेंट्स की याचिका एकलपीठ में भेजी

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल फीस नियामक अधिनियम 2016 और फीस नियामक अधिनियम 2017 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि मामले में उठाया गया विवाद खंडपीठ पहले ही तय कर चुकी है. ऐसे में इस मामले में अलग से आदेश देने की जरूरत नहीं है.

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Published : Feb 11, 2020, 6:44 PM IST

Jaipur's school fees law dismissed, स्कूल फीस कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
स्कूल फीस कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल फीस नियामक अधिनियम, 2016 और फीस नियामक नियम, 2017 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं अदालत ने मामले में विद्याश्रम स्कूल के अभिभावकों की ओर से दायर याचिका को सुनवाई के लिए एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है.

स्कूल फीस कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अशोक गौड़ की खंडपीठ ने यह आदेश भारतीय विद्या भवन की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए. अदालत में कहा कि मामले में उठाया गया विवाद खंडपीठ पहले ही तय कर चुकी है. ऐसे में इस मामले में अलग से आदेश देने की जरूरत नहीं है.

पढ़ें- Reality check: जयपुर की लो फ्लोर बसें 'चलो एप' से कितने हुई स्मार्ट, देखें रिपोर्ट

याचिकाओ में कहा गया कि फीस नियामक कानून से याचिकाकर्ता की स्वायत्तता समाप्त होती है. स्कूल की फीस तय करने का अधिकार स्कूल प्रशासन को होना चाहिए. वहीं स्कूल के अभिभावकों की ओर से सत्र 2019-2020 की बढ़ी फीस को चुनोती दी गई थी. इसके अलावा स्कूल प्रशासन की ओर से याचिका के लंबित रहने के दौरान वसूली गई, अधिक फीस को भी चुनौती दी गई थी.

पढ़ेंः CM के गृहनगर में पिछले बजट की घोषणाएं अभी कागजों पर, अधिकारियों का दावा समय पर होंगी पूरी

पूर्व में एकलपीठ ने खंडपीठ में स्कूल की याचिका लंबित होने के चलते अभिभावकों के मामले को भी खंडपीठ में भेज दिया था. खंडपीठ ने स्कूल प्रशासन की याचिका को खारिज करते हुए अभिभावकों के मामले को एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल फीस नियामक अधिनियम, 2016 और फीस नियामक नियम, 2017 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं अदालत ने मामले में विद्याश्रम स्कूल के अभिभावकों की ओर से दायर याचिका को सुनवाई के लिए एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है.

स्कूल फीस कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अशोक गौड़ की खंडपीठ ने यह आदेश भारतीय विद्या भवन की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए. अदालत में कहा कि मामले में उठाया गया विवाद खंडपीठ पहले ही तय कर चुकी है. ऐसे में इस मामले में अलग से आदेश देने की जरूरत नहीं है.

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याचिकाओ में कहा गया कि फीस नियामक कानून से याचिकाकर्ता की स्वायत्तता समाप्त होती है. स्कूल की फीस तय करने का अधिकार स्कूल प्रशासन को होना चाहिए. वहीं स्कूल के अभिभावकों की ओर से सत्र 2019-2020 की बढ़ी फीस को चुनोती दी गई थी. इसके अलावा स्कूल प्रशासन की ओर से याचिका के लंबित रहने के दौरान वसूली गई, अधिक फीस को भी चुनौती दी गई थी.

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पूर्व में एकलपीठ ने खंडपीठ में स्कूल की याचिका लंबित होने के चलते अभिभावकों के मामले को भी खंडपीठ में भेज दिया था. खंडपीठ ने स्कूल प्रशासन की याचिका को खारिज करते हुए अभिभावकों के मामले को एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है.

Intro:बाईट - अभिभावकों के वकील रघुनंदन शर्मा


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल फीस नियामक अधिनियम, 2016 और फीस नियामक नियम, 2017 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। वहीं अदालत ने मामले में विद्याश्रम स्कूल के अभिभावकों की ओर से दायर याचिका को सुनवाई के लिए एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अशोक गौड़ की खंडपीठ ने यह आदेश भारतीय विद्या भवन की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए। अदालत में कहा की मामले में उठाया गया विवाद खंडपीठ पहले ही तय कर चुकी है। ऐसे में इस मामले में अलग से आदेश देने की जरूरत नहीं है।
Body:अदालत में कहा की मामले में उठाया गया विवाद खंडपीठ पहले ही तय कर चुकी है। ऐसे में इस मामले में अलग से आदेश देने की जरूरत नहीं है।
याचिकाओ में कहा गया की फीस नियामक कानून से याचिकाकर्ता की स्वायत्तता समाप्त होती है। स्कूल की फीस तय करने का अधिकार स्कूल प्रशासन को होना चाहिए। वहीं स्कूल के अभिभावकों की ओर से सत्र 2019-2020 की बढ़ी फीस को चुनोती दी गई थी। इसके अलावा स्कूल प्रशासन की ओर से याचिका के लंबित रहने के दौरान वसूली गई अधिक फीस को भी चुनौती दी गई थी। पूर्व में एकलपीठ ने खंडपीठ में स्कूल की याचिका लंबित होने के चलते अभिभावकों के मामले को भी खंडपीठ में भेज दिया था। खंडपीठ ने स्कूल प्रशासन की याचिका को खारिज करते हुए अभिभावकों के मामले को एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है।Conclusion:
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