जयपुर. प्रदेश में 20 जिलों के 90 नगरीय निकायों में से 50 में कांग्रेस अपना बोर्ड बना रही है. जबकि बीजेपी 30 पर सिमटती दिख रही है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पत्रकार वार्ता कर ये दावा किया. उन्होंने बीजेपी पर चुटकी लेते हुए कहा कि बीजेपी मुख्यमंत्री-मुख्यमंत्री खेल खेलती रही और पार्टी के वरिष्ठ चेहरों को निपटाने में लगी रही. यही वजह है कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत और पार्षद की संख्या ज्यादा है. बोर्ड बनाने में भी कांग्रेस आगे रही है. इस दौरान उन्होंने प्रदेश के सभी 25 सांसदों परफॉर्मेंस पर भी सवाल उठाए.
उन्होंने कहा कि 20 जिलों के 90 नगरीय निकायों में चुनाव का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आया है. डोटासरा ने इसे कांग्रेस के काम और कार्यकर्ताओं की जीत बताया. डोटासरा कहा कि भारतीय जनता पार्टी शहरों में अधिक बोर्ड बनाने का दम भरती है. भाजपा के नेता बयान देते हैं कि कांग्रेस की सरकार गिरने वाली है, कांग्रेस की सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी. आज के परिणामों ने उनकी जमीन खिसका दी है.
डोटासरा ने कहा कि 90 नगरीय निकायों में 1197 वार्डों में कांग्रेस को जीत मिली है. भारतीय जनता पार्टी 1140 वार्डों में जीत पाई है. जहां तक बोर्ड बनने की बात है तो 2015 में बीजेपी के 90 में से 60 बोर्ड थे, वो 30 पर जा सिमटे हैं. कांग्रेस जहां 2015 में 90 में से 25 बोर्ड बना पाई थी, आज 50 से ज्यादा में बोर्ड बनाने की स्थिति में है. उन्होंने आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के क्षेत्रों में कांग्रेस की बढ़त की बात कहते हुए कहा कि चाहे राजसमंद का चुनाव हो या सुजानगढ़ का, दोनों में कांग्रेस के बोर्ड बन रहे हैं.
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वहीं गंगापुर में भी लगभग बराबरी में है. मेवाड़ क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी ने बहुमत बनाया है. उन्होंने बताया कि पहले चरण में 49 नगरी निकायों के चुनाव हुए थे. उनमें 35 में कांग्रेस का बोर्ड बना था. दूसरे चरण में 50 में से 36 नगरीय निकायों में बोर्ड बनाया और अब लगभग 50 में बोर्ड बनाने जा रहे हैं. वहीं बीजेपी पहले चरण में 49 में से 13 और दूसरे चरण में 50 में से 12 में बोर्ड बनाया और अब लगभग 30 पर सिमट की नजर आ रही है.
वोट प्रतिशत भी कांग्रेस का ज्यादा है. पार्षद भी कांग्रेस के ज्यादा हैं और वोट भी कांग्रेस की ही ज्यादा है. ऐसे में बीजेपी जो कांग्रेस के कार्यकाल को कोसती है. उनको अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है. गोविंद सिंह डोटासरा नेम बीजेपी के नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि वो मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री का जो खेल खेल रहे हैं, उसे खत्म करके जनता के बीच जाना चाहिए. अब तक के जो प्रजातांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों को गिराने का षड्यंत्र रचने के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए. साथ ही सरकार की योजनाओं का लाभ आम जनता को कैसे मिले और कोई खामी हो तो उसे राजस्थान की विधानसभा के माध्यम से सरकार तक पहुंचाना चाहिए.
भाजपा को नसीहत देते हुए डोटासरा ने कहा कि उन्हें अपनी प्रतिपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए. इस दौरान डोटासरा ने केंद्र सरकार, प्रदेश के वरिष्ठ बीजेपी नेता और प्रदेश के सभी 25 सांसदों की परफॉर्मेंस पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ अत्याचार कर रही, महंगाई को कम कर नहीं सके, बेरोजगारों को रोजगार दे नहीं सके, कोरोना में राज्य सरकार ने जो प्रबंधन किया उसमें अपनी भूमिका अदा कर नहीं सके. यही नहीं राज्य में विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा सके. ऐसे लोगों को जनता ने सबक सिखाया है.
आने वाले पंचायत राज के चुनाव हो या विधानसभा उपचुनाव हों. जनता ने कमर कस रखी है. बीजेपी ने जो किसानों के साथ किया और चुनी हुई सरकार को गिराने का जो षडयंत्र किया और कोरोनाकाल में जो नकारात्मक नगण्य भूमिका रही उसका जवाब आने वाले समय में राजस्थान की जनता देने जा रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष यह बयान दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बसपा विधायकों के खिलाफ आने वाला है. उन्होंने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का काम बीजेपी के नेता करने लगे हैं क्या, ये जनता जानना चाहती है.
कटारिया जैसे वरिष्ठ नेता ये कहें कि जब भी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा ये सरकार गिर जाएगी. इससे बड़ा हास्यास्पद और विवेकहीन कोई बयान हो नहीं सकता. क्योंकि मंत्रिमंडल का विस्तार राजनीतिक नियुक्तियां हर सरकार में होती रही हैं. ये विषय कांग्रेस पार्टी का होना चाहिए, कब क्या किया जाए. बीजेपी का विषय होना चाहिए अपनी पार्टी संगठन को मजबूत करें. जनता के जो मुद्दे हैं उन्हें सरकार तक पहुंचाएं. जिससे जनता का काम हो सके.
डोटासरा ने कहा कि कुछ जगह स्ट्रेटजी के तहत उम्मीदवार नहीं उतारे गए थे. वहां भी अच्छी सफलता मिली है. नोखा ऐसा ही उदाहरण है. वहां भी कांग्रेस पार्टी के ही कार्यकर्ता जीते हैं. वहां भी कांग्रेस ही बोर्ड बनाएगी. उन्होंने बताया कि चुनाव में राज्य सरकार के काम का लेखा-जोखा तो सामने आता ही है. राज्य सरकार ने कोरोना काल में जो काम किया उसका नतीजा सामने है. हालांकि उन्होंने माना कि अजमेर नगर निगम का बोर्ड उनके हाथ से फिसल गया. लेकिन यहां भी कांग्रेस ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है.
उन्होंने कहा कि काफी ऐसी जगह हैं जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं, विधायक हैं. बावजूद इसके वो वहां बोर्ड नहीं बना पाई. निश्चित रूप से शहरों में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ रहा है और बीजेपी काम करने के बजाए अपने ही पार्टी के बड़े चेहरों को निपटाने में लगी हुई है. मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बनने के हसीन सपने देखती रही है. निकाय में हार का एक प्रमुख कारण ये भी रहा कि 25 में से 25 सांसद राजस्थान की जनता ने बीजेपी को दिए. लेकिन उनमें से एक ने भी अच्छी परफॉर्मेंस नहीं की. दिल्ली से केंद्र सरकार से कोई बड़ी योजना नहीं ला पाए. गजेंद्र सिंह तो केंद्र में जल शक्ति मंत्री भी हैं, बावजूद इसके 1 फूटी कौडी तक नहीं लेकर आ पाए.
उन्होंने ने बताया कि 2 फरवरी शाम को प्रदेश प्रभारी अजय माकन का जयपुर आने का कार्यक्रम है. इस दौरान वो तमाम नेताओं के साथ बातचीत करेंगे. राजस्थान में और बेहतर तरीके से सुशासन कैसे दे सकें, कार्यकर्ताओं की ज्यादा से ज्यादा सरकार में भागीदारी सुनिश्चित कर सकें और जनता जिनकी आशा और अपेक्षाओं की सरकार बनी है, उनके कल्याण के लिए और बेहतर तरीके से कैसे काम कर सकें. इस पर विचार विमर्श किया जाएगा.