जयपुर. हाइब्रिड सिस्टम से चुनाव करवाने पर राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट का विरोध जगजाहिर है. पायलट के विरोध के बाद ही इस नियम में आंशिक बदलाव भी किए गए हैं. लेकिन इन बदलावों के बाद भी अगर कोई विशेष परिस्थिति बनती है जैसे कि या तो किसी वर्ग का योग्य नेता जीत कर ही ना आए तो ऐसे में बाहर के नेता को इस सीट पर बैठाया जा सकता है.
ऐसे में खुद सचिन पायलट को ही उन विशेष परिस्थितियों में यह तय करना पड़ेगा की किसे बिना चुनाव जीते सभापति या चेयरमैन बनाना है. ऐसी विशेष परिस्थिति ना आए इससे बचने के लिए राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने जिलों में गए सभी पर्यवेक्षकों को यह निर्देश दिए हैं कि वह टिकट के लिए योग्य उम्मीदवारों की तलाश करें.
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लेकिन इसके साथ ही उन्होंने जो विशेष निर्देश पर्यवेक्षक बनके गए नेताओं को दिए हैं उसमें इस बात का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और महिला वर्ग के लिए आरक्षित निकाय प्रमुख वाले स्थानों में इन वर्गों के सदस्य पद के उम्मीदवारों का चयन करते हुए व्यापक जनाधार वाले उम्मीदवार का ध्यान रखा जाए.
इसका मतलब साफ है कि सचिन पायलट नहीं चाहते हैं कि कोई ऐसी विशेष परिस्थिति पैदा हो कि उन्हें खुद ही इस हाइब्रिड सिस्टम का इस्तेमाल करना पड़ जाए. ऐसे में वह पहले ही ऐसे जनाधार वाले नेताओं को टिकट दे देना चाहते हैं. जो चुनाव जीत भी जाएं और चुनाव जीतने के बाद में अगर किसी बड़े पद पर उन नेताओं को बैठाना हो तो उसमें किसी तरीके की परेशानी ना हो.