जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े SMS अस्पताल में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत आमजन को राहत देने के लिए नई पहल की है. चिरंजीवी योजना को प्रभावी रूप से लागू करने और मरीजों को आसानी से इलाज उपलब्ध हो, इसके लिए एक एजेंसी को हायर किया जाएगा. गहलोत सरकार की नई व्यवस्था से योजना के तहत मरीजों को लाभ मिलेगा.
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना (Chief Minister Chiranjeevi Health Insurance Scheme) के तहत आमजन को 5 लाख रुपए तक का निशुल्क इलाज उपलब्ध करवा रही है. इस स्वास्थ्य बीमा योजना में 1 करोड़ 37 लाख से अधिक पात्र लोग पंजीकृत हो चुके हैं. अब तक 412000 से अधिक लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया है. सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा का कहना है कि जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात की जाए तो बड़े ऑपरेशन इस योजना के तहत किए जा रहे हैं. लेकिन सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को अस्पताल में अभी तक ठीक ढंग से लागू नहीं किया जा सका है.
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों को इलाज तो मिल रहा है.लेकिन अस्पताल के क्लेम इंश्योरेंस कंपनी के पास अटक गए हैं. डॉ. विनय मल्होत्रा का कहना है कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को ठीक ढंग से लागू करने के लिए सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक मरीजों को इस योजना के तहत इलाज मुहैया हो. यह योजना अस्पताल में ठीक ढंग से लागू हो सके. इसके लिए जल्द ही एक एजेंसी को हायर किया जाएगा जो इलाज से जुड़ी सभी जिम्मेदारी उठाएगी. इसके तहत मरीज के अस्पताल में पहुंचने से लेकर डिस्चार्ज तक का काम एजेंसी करेगी. इस दौरान मरीजों को आने वाली परेशानी का निस्तारण भी इसी एजेंसी ही करेगी.
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अब नहीं अटकेगा क्लेम
एजेंसी क्लेम निस्तारण का काम करेगी. यानी इंश्योरेंस और अस्पताल के बीच की कड़ी का काम यह एजेंसी करेगी. मौजूदा समय की बात करें तो s.m.s. अस्पताल के तकरीबन 2,000 से अधिक क्लेम अटके हुए हैं. मामले को लेकर डॉ. विनय मल्होत्रा का कहना है कि कई बार जब मरीज अस्पताल में भर्ती होता है तो उसमें मल्टीपल डिजीज देखने को मिलती है. ऐसे में दो या तीन अलग-अलग विभागों में उसका इलाज चलता है. जब फाइल हो तैयार होकर इंश्योरेंस कंपनी के पास पहुंचती है तो उसका क्लेम अटक जाता है.
एजेंसी क्लेम निस्तारण का काम भी अपने स्तर पर देखेगी
हालांकि, अस्पताल की ओर से किसी भी तरह का चार्ज मरीज से नहीं लिया जाता. डॉक्टर मल्होत्रा का कहना है कि हर इलाज, आईसीयू, वार्ड इत्यादि को लेकर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से कोड जनरेट किए गए हैं. ऐसे में जब कोड फाइल में उपलब्ध नहीं होते हैं तो इंश्योरेंस कंपनी की ओर से क्वेरी भेज दी जाती है. ऐसे में यह एजेंसी क्लेम निस्तारण का काम भी अपने स्तर पर देखेगी.