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'परमाणु सहेली' ने बताया राजस्थान में ऐसे हो सकती है 12 महीने पानी की व्यवस्था

भारत परमाणु सहेली के नाम से जानी जाने वाली डॉ. नीलम गोयल और आईआईटी खड़गपुर से शिक्षा प्राप्त कर रहे विप्र गोयल ने बारहमासी जल, हरित बिजली, कुकिंग गैस, डेयरी और चरागाह की सुव्यवस्था पर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस दौन नीलम गोयल ने कहा कि परमाणु सहेली महा जल जन अभियान राजस्थान में सतत बारहमासी पानी की व्यवस्था कर सकता है.

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Published : Aug 27, 2020, 9:34 AM IST

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परमाणु सहेली महा जल जन अभियान से हो सकती है राजस्थान में सतत बारहमासी पानी की व्यवस्था

जयपुर. भारत परमाणु सहेली के नाम से जानी जाने वाली डॉ. नीलम गोयल और आईआईटी खड़गपुर से शिक्षा प्राप्त कर रहे विप्र गोयल ने जयपुर पिंक सिटी प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस का विषय था बारहमासी जल, हरित बिजली, कुकिंग गैस, डेयरी और चरागाह की सुव्यवस्था के छोटे और मेगा प्रोजेक्ट्स के संदर्भ में आम से लेकर खास जन को जागरूक करना और इसके क्रियान्वयन में क्षेत्रीय जन समुदाय को शामिल करना. नीलम गोयल ने बताया कि परमाणु सहेली महा जल जन अभियान राजस्थान में सतत बारहमासी पानी की व्यवस्था कर सकता है.

परमाणु सहेली महा जल जन अभियान से हो सकती है राजस्थान में सतत बारहमासी पानी की व्यवस्था

नीलम गोयल ने बताया कि जयपुर के नाहरगढ़, आमेर और चूलगिरी पहाड़ों का पानी इसी बाण गंगा मिलकर इसे जीवित रखता था, लेकिन समय के साथ बारिश कम होती गई और बारिश के पानी को ले जाने वाले नाले वगैरह सब खत्म हो चुके हैं. इन नालों में अतिक्रमण होकर यहां पर इमारतों रास्ते बन गए हैं. पहाड़ों पर बारिश होती है, तो सारा पानी अपने रास्तों को ढूंढता है, लेकिन निकास तो खत्म हो चुके हैं. ऐसे में बारिश का पानी मकानों और रास्तों पर फैलता है, बहता है और तबाही मचा देता है.

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नीलम गोयल ने बताया कि वर्तमान सदी में मानव सभ्यता ने उत्तरोत्तर निर्माण विकास के समय प्रकृति को अनदेखा किया है. विकास के पथ पर प्रकृति के वास्तव श्रृंगार के साथ छेड़खानी की है. जयपुर के जल क्षेत्र में हर वर्ष औसतन 8000 करोड़ लीटर पानी बरसता है इस जल क्षेत्र को फिर से विकसित करने से बारिश के दिनों में पानी कोई विपदा नहीं मचाएगा. बाकी के महीनों में कृषि, उद्योग धंधों और पीने के पानी की क्षेत्रीय मांग की भी पूर्ति कर सकेगा. जयपुर की बाणगंगा नदी को पुनर्जीवित कर देगा.

नीलम गोयल ने बताया कि राजस्थान की 11 हजार ग्राम पंचायतों में जल क्षेत्रों को विकसित करने के लिए इसमें तीनों एजेंसी ( वॉचमेकर, इंप्लीमेंटर्स और जनता) को निष्पक्ष भाव से एक साथ होना होगा. एजेंसीज में स्वस्थ कार्यकारी कम्युनिकेशन के लिए एक फील्ड वर्क और एक मास स्तर पर महा जल जन अभियान को एग्जीक्यूटिव एजेंसी के रूप में कार्य करना होगा. परमाणु सहेली ने बताया कि समूचे राजस्थान की सभी ग्राम पंचायतों के वाटरशेड और चरागाह विकास तथा प्रत्येक ग्राम पंचायत पर बायो कुकिंग गैस और डेयरी कोंबो प्लांट्स की व्यवस्थाओं में 11 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.

सभी ग्राम पंचायतों में यह कार्य समान्तर रूप में 1 वर्ष में कर देने के लिए परमाणु सहेली के पास सक्षम टीम्स पर रणनीति की पुख्ता व्यवस्थाएं हैं. विप्र गोयल ने बताया कि बारहमासी सतत जल की व्यवस्था के लिए गांव स्तर पर वाटर शेड के विकास से क्षेत्रीय वर्षा जल संरक्षण किया जा सकेगा. इस स्कीम मे क्षेत्रीय किसान परिवारों के लिए खेती में पानी और मवेशी आदि की पीने के पानी की व्यवस्था भी हो सकेगी.

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नीलम गोयल ने बताया कि जापुर शहर को इस्माइल के नक्शे पर 1727 में राजा जयसिंह के द्वारा बसाया गया था. भारत का पहला नियोजित शहर जयपुर जल संरचनाओं के लिए जाना जाता था. झोटवाड़ा नदी से एक कैनाल को सुरंगों के माध्यम से जोड़ते हुए मुख्य शहर तक लाने में छोटी-बड़ी चौपड़ पर तीन बावड़ियों का निर्माण भी करवाया गया. 1903 में बाण गंगा नदी के पार रामगढ़ बांध बनाया गया था, जिससे 1931 में जयपुर शहर को पानी की आपूर्ति शुरू कर दी थी, लेकिन असंगत सभ्यता के विकास साथ ये सरंचनाएं अस्तित्व खो रही है.

परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल ने तमिलनाडु, हरियाणा, राजस्थान (बांसवाड़ा) गुजरात आदि के राज्य में काम किया है. इन राज्यों के कई वर्षों से अवरुद्ध मेगा प्रोजेक्ट का कार्य शुरू करवाने में उन्होंने अहम योगदान दिया है. इन्हें अपने कार्यों के लिए वूमेन ऑफ द फ्यूचर, द ग्लोबल विजनरी, लोकमत, नारी गौरव, द रियल हीरो, नाम करेगी रोशन बेटियां इत्यादि अवार्ड और प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए हैं.

जयपुर. भारत परमाणु सहेली के नाम से जानी जाने वाली डॉ. नीलम गोयल और आईआईटी खड़गपुर से शिक्षा प्राप्त कर रहे विप्र गोयल ने जयपुर पिंक सिटी प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस का विषय था बारहमासी जल, हरित बिजली, कुकिंग गैस, डेयरी और चरागाह की सुव्यवस्था के छोटे और मेगा प्रोजेक्ट्स के संदर्भ में आम से लेकर खास जन को जागरूक करना और इसके क्रियान्वयन में क्षेत्रीय जन समुदाय को शामिल करना. नीलम गोयल ने बताया कि परमाणु सहेली महा जल जन अभियान राजस्थान में सतत बारहमासी पानी की व्यवस्था कर सकता है.

परमाणु सहेली महा जल जन अभियान से हो सकती है राजस्थान में सतत बारहमासी पानी की व्यवस्था

नीलम गोयल ने बताया कि जयपुर के नाहरगढ़, आमेर और चूलगिरी पहाड़ों का पानी इसी बाण गंगा मिलकर इसे जीवित रखता था, लेकिन समय के साथ बारिश कम होती गई और बारिश के पानी को ले जाने वाले नाले वगैरह सब खत्म हो चुके हैं. इन नालों में अतिक्रमण होकर यहां पर इमारतों रास्ते बन गए हैं. पहाड़ों पर बारिश होती है, तो सारा पानी अपने रास्तों को ढूंढता है, लेकिन निकास तो खत्म हो चुके हैं. ऐसे में बारिश का पानी मकानों और रास्तों पर फैलता है, बहता है और तबाही मचा देता है.

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नीलम गोयल ने बताया कि वर्तमान सदी में मानव सभ्यता ने उत्तरोत्तर निर्माण विकास के समय प्रकृति को अनदेखा किया है. विकास के पथ पर प्रकृति के वास्तव श्रृंगार के साथ छेड़खानी की है. जयपुर के जल क्षेत्र में हर वर्ष औसतन 8000 करोड़ लीटर पानी बरसता है इस जल क्षेत्र को फिर से विकसित करने से बारिश के दिनों में पानी कोई विपदा नहीं मचाएगा. बाकी के महीनों में कृषि, उद्योग धंधों और पीने के पानी की क्षेत्रीय मांग की भी पूर्ति कर सकेगा. जयपुर की बाणगंगा नदी को पुनर्जीवित कर देगा.

नीलम गोयल ने बताया कि राजस्थान की 11 हजार ग्राम पंचायतों में जल क्षेत्रों को विकसित करने के लिए इसमें तीनों एजेंसी ( वॉचमेकर, इंप्लीमेंटर्स और जनता) को निष्पक्ष भाव से एक साथ होना होगा. एजेंसीज में स्वस्थ कार्यकारी कम्युनिकेशन के लिए एक फील्ड वर्क और एक मास स्तर पर महा जल जन अभियान को एग्जीक्यूटिव एजेंसी के रूप में कार्य करना होगा. परमाणु सहेली ने बताया कि समूचे राजस्थान की सभी ग्राम पंचायतों के वाटरशेड और चरागाह विकास तथा प्रत्येक ग्राम पंचायत पर बायो कुकिंग गैस और डेयरी कोंबो प्लांट्स की व्यवस्थाओं में 11 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.

सभी ग्राम पंचायतों में यह कार्य समान्तर रूप में 1 वर्ष में कर देने के लिए परमाणु सहेली के पास सक्षम टीम्स पर रणनीति की पुख्ता व्यवस्थाएं हैं. विप्र गोयल ने बताया कि बारहमासी सतत जल की व्यवस्था के लिए गांव स्तर पर वाटर शेड के विकास से क्षेत्रीय वर्षा जल संरक्षण किया जा सकेगा. इस स्कीम मे क्षेत्रीय किसान परिवारों के लिए खेती में पानी और मवेशी आदि की पीने के पानी की व्यवस्था भी हो सकेगी.

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नीलम गोयल ने बताया कि जापुर शहर को इस्माइल के नक्शे पर 1727 में राजा जयसिंह के द्वारा बसाया गया था. भारत का पहला नियोजित शहर जयपुर जल संरचनाओं के लिए जाना जाता था. झोटवाड़ा नदी से एक कैनाल को सुरंगों के माध्यम से जोड़ते हुए मुख्य शहर तक लाने में छोटी-बड़ी चौपड़ पर तीन बावड़ियों का निर्माण भी करवाया गया. 1903 में बाण गंगा नदी के पार रामगढ़ बांध बनाया गया था, जिससे 1931 में जयपुर शहर को पानी की आपूर्ति शुरू कर दी थी, लेकिन असंगत सभ्यता के विकास साथ ये सरंचनाएं अस्तित्व खो रही है.

परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल ने तमिलनाडु, हरियाणा, राजस्थान (बांसवाड़ा) गुजरात आदि के राज्य में काम किया है. इन राज्यों के कई वर्षों से अवरुद्ध मेगा प्रोजेक्ट का कार्य शुरू करवाने में उन्होंने अहम योगदान दिया है. इन्हें अपने कार्यों के लिए वूमेन ऑफ द फ्यूचर, द ग्लोबल विजनरी, लोकमत, नारी गौरव, द रियल हीरो, नाम करेगी रोशन बेटियां इत्यादि अवार्ड और प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए हैं.

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