जयपुर. 'नो स्कूल नो फीस' की मांग को लेकर अभिभावक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर फीस देने के लिए दबाव बनाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मंगलवार को भी घाट गेट स्थित सोफिया स्कूल में फीस माफ करने को लेकर अभिभावकों ने प्रदर्शन किया और फीस में रियायत देने की मांग की.
सरकार की ओर से कहा गया है कि जब तक स्कूल नहीं खुल जाते, तब तक अभिभावकों को फीस देने की आवश्यकता नहीं है. इसके बावजूद भी निजी स्कूल संचालक अभिभावकों पर फीस देने का दबाव बना रहे हैं. लॉकडाउन के कारण अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है और अभिभावक फीस देने की स्थिति में नहीं हैं.
उनका कहना है कि लॉकडाउन में कामकाज नहीं चलने के कारण वह स्कूलों की फीस नहीं दे पा रहे हैं और अनलॉक 3 चलने के बावजूद भी अभी तक उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हो पाई है. इसलिए वे स्कूलों में फीस नहीं दे पा रहे हैं. इसके विपरीत स्कूल संचालक उन पर फीस देने के लिए दबाव बना रहे हैं.
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प्रदर्शन में शामिल महिला अभिभावक काजल ने बताया कि वह सिंगल मदर है, इसलिए वह फीस नहीं दे पा रही है. वह अपना घर का खर्चा भी सही ढंग नही चला पा रही है तो स्कूल फीस कहां से दे पाएगी. स्कूल वाले ऑनलाइन क्लासेज चला रहे हैं, लेकिन यदि वह कुछ छूट देकर फीस लेना चाहें तो स्कूल प्रबंधन को फीस दी जा सकती है.
प्रदर्शन में शामिल अन्य महिला अभिभावक ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनकी सैलरी कम हो गई है, इसलिए वह पूरी स्कूल फीस दे पाने में असमर्थ हैं. स्कूल वालों को इसमें कुछ रियायत जरूर देनी चाहिए. स्कूल प्रबंधन को भी इससे अवगत करा दिया गया है. उन्होंने कहा कि उनकी समस्या आगे स्कूल प्रशासन को पहुंचा दी जाएगी. अभिभावकों ने कहा कि स्कूल प्रबंधन को उनकी जायज मांगों को मानना ही चाहिए. अन्यथा हमें कड़े कदम उठाने पड़ेंगे.
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सोफिया पैरेंट्स एसोसिएशन के बैनर तले अभिभावकों ने यह प्रदर्शन किया. अभिभावकों ने बताया कि स्कूल प्रबंधन का दबाव बना रहा है और यह भी कहा गया कि यदि फीस नहीं दी गई तो सीबीएसई में बच्चों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. इस संबंध में डीईओ को ज्ञापन दिया गया. डीईओ ने स्कूल को नोटिस भेजा है कि सीबीएसई में रजिस्ट्रेशन के नाम से अभिभावकों पर दबाव नहीं बनाया जाए. अभिभावकों ने कहा कि लॉक डाउन में अभिभावकों की 50 फीसदी से ज्यादा इनकम खत्म हो चुकी है, जब हमारी इनकम ही नहीं है तो हम बच्चों की फीस किस तरह से दे पाएंगे.
स्कूल प्रबंधन की ओर से सैलरी देने के सवाल पर अभिभावकों ने कहा कि हम लोग 10 से 11 साल तक के बच्चों की फीस दे रहे हैं. इससे लाखों रुपये स्कूल प्रबंधक को दे चुके हैं. स्कूल के खर्चों को देखा जाए तो यह फीस कई गुना ज्यादा है. अभिभावकों ने मांग की कि स्कूलों की बैलेंस शीट देखकर यह जांच की जाए कि वह 6 महीने की सैलरी अध्यापकों को देने में सक्षम है या नहीं है. अभिभावकों ने कहा कि यदि फीस के लिए दबाव बना गया तो कई अभिभावकों की मानसिक स्थिति ऐसी है कि वे आत्महत्या तक कर सकते हैं. अभिभावकों ने कहा कि बच्चों की 25 प्रतिशत फीस ली जाए.