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JIFF में 'पंछी' की हुई स्क्रीनिंग, बाल श्रम को खत्म करने का देती है संदेश

जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के 12वें संस्करण का आगाज 17 जनवरी से हो चुका है. इसमें 69 देशों की 229 फिल्में प्रदर्शित की जानी है. इसी कड़ी में शनिवार शार्ट फिल्म पंछी की स्क्रीनिंग की गई. यह फिल्म बाल श्रम को खत्म करने का संदेश देती है.

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JIFF में पंछी मूवी की स्क्रीनिंग
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Published : Jan 18, 2020, 5:34 PM IST

जयपुर. जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरूआत 17 जनवरी से हो चुकी है. जिसके तहत शनिवार को शार्ट फ़िल्म 'पंछी' फिल्म की स्क्रीनिंग की गई. बाल श्रम को मिटाने का संदेश देने वाली इस फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे. देश में जिस तरह छोटे बच्चों से मजदूरी करा कराई जा रही है, उसे मिटाने का यह फिल्म संदेश देती है.

JIFF में पंछी मूवी की स्क्रीनिंग

मालवीय नगर के एक टावर में सिनेमा हॉल में इस 'पंछी' फिल्म की स्क्रीनिंग की गई. इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से गरीब परिवार अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो सके. ऐसे ही एक परिवार की कहानी इस पंछी फिल्में दिखाई गई है. एक मजदूरी करने वाला गरीब परिवार अपने छोटे बच्चे को बाल मजदूरी में लगा देता है. ताकि कुछ आमदनी हो सके. इसके बाद वही परिवार अपनी छोटी बेटी को भी बाल मजदूरी के लिए भेजना चाहते है.

यह भी पढ़ें- SMS के मरीजों को अब मिलेगी राहत...मल्टी स्टोरी IPD टावर का होगा निर्माण

फ़िल्म में दिखाया गया है कि देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो बच्चों से मजदूरी कराते हैं. यह लोग कम मजदूरी देकर उन बच्चों से का शोषण करते हैं ताकि उनका फायदा हो. यह ठेकेदार बच्चों को टॉर्चर भी करते हैं. 24 घंटे में 18 घंटे इन बच्चों से मजदूरी कराई जाती है. ये ठेकेदार बच्चों को नशे की लत भी लगा देते है, ताकि वे अधिक काम करे.

पंछी फिल्में यही संदेश दिया गया है कि बच्चों को बचपन में पढ़ने और खेलने दिया जाए उनके बचपन को नहीं छीना जाए. इस पंछी फिल्म को राघव और मोहित ने निर्देशित किया है और इसमें जयपुर की प्रयास संस्था ने इसमें सहयोग किया है.

यह भी पढे़ं- बूंदी की शिवानी पूछेगी PM मोदी से सवाल, 'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम के लिए हुआ चयन

फिल्म में दिखाया गया है कि यदि पुलिस अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाएं तो बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है. निर्देशक राघव और मोहित ने बताया की जिस तरह से एक पंछी को कैद कर लिया जाता है. उसी तरह से बच्चों को बालश्रम में लगाकर कैद कर लिया जाता है. जब पंछी को कैद मुक्त किया जाता है, तो वह खुले आसमान में स्वछंद विचरण करता है. इसी तरह से बच्चों को कैद ना कर कर, उन्हें खेलने कूदने का पूरा मौका देना चाहिए. पंछी आसमान में स्वछंद विचरण करता हुआ ही सुंदर लगता है, इसलिए फिल्म का नाम पंछी रखा गया है. राघव और मोहित ने उम्मीद जताई कि उनकी यह फिल्म लोगों को बाल श्रम रोकने के लिए जरूर जागृत करेगी .

स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों ने राघव और मोहित से सवाल-जवाब भी किए. दर्शकों को बताया गया कि यदि कोई परिवार अपने बच्चों को पालने में असमर्थ है, तो सरकार उसकी सहायता कर सकती है. सरकार की ओर से उसे खाना और घर की सुविधा दी जाती है.

जयपुर. जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरूआत 17 जनवरी से हो चुकी है. जिसके तहत शनिवार को शार्ट फ़िल्म 'पंछी' फिल्म की स्क्रीनिंग की गई. बाल श्रम को मिटाने का संदेश देने वाली इस फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे. देश में जिस तरह छोटे बच्चों से मजदूरी करा कराई जा रही है, उसे मिटाने का यह फिल्म संदेश देती है.

JIFF में पंछी मूवी की स्क्रीनिंग

मालवीय नगर के एक टावर में सिनेमा हॉल में इस 'पंछी' फिल्म की स्क्रीनिंग की गई. इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से गरीब परिवार अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो सके. ऐसे ही एक परिवार की कहानी इस पंछी फिल्में दिखाई गई है. एक मजदूरी करने वाला गरीब परिवार अपने छोटे बच्चे को बाल मजदूरी में लगा देता है. ताकि कुछ आमदनी हो सके. इसके बाद वही परिवार अपनी छोटी बेटी को भी बाल मजदूरी के लिए भेजना चाहते है.

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फ़िल्म में दिखाया गया है कि देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो बच्चों से मजदूरी कराते हैं. यह लोग कम मजदूरी देकर उन बच्चों से का शोषण करते हैं ताकि उनका फायदा हो. यह ठेकेदार बच्चों को टॉर्चर भी करते हैं. 24 घंटे में 18 घंटे इन बच्चों से मजदूरी कराई जाती है. ये ठेकेदार बच्चों को नशे की लत भी लगा देते है, ताकि वे अधिक काम करे.

पंछी फिल्में यही संदेश दिया गया है कि बच्चों को बचपन में पढ़ने और खेलने दिया जाए उनके बचपन को नहीं छीना जाए. इस पंछी फिल्म को राघव और मोहित ने निर्देशित किया है और इसमें जयपुर की प्रयास संस्था ने इसमें सहयोग किया है.

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फिल्म में दिखाया गया है कि यदि पुलिस अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाएं तो बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है. निर्देशक राघव और मोहित ने बताया की जिस तरह से एक पंछी को कैद कर लिया जाता है. उसी तरह से बच्चों को बालश्रम में लगाकर कैद कर लिया जाता है. जब पंछी को कैद मुक्त किया जाता है, तो वह खुले आसमान में स्वछंद विचरण करता है. इसी तरह से बच्चों को कैद ना कर कर, उन्हें खेलने कूदने का पूरा मौका देना चाहिए. पंछी आसमान में स्वछंद विचरण करता हुआ ही सुंदर लगता है, इसलिए फिल्म का नाम पंछी रखा गया है. राघव और मोहित ने उम्मीद जताई कि उनकी यह फिल्म लोगों को बाल श्रम रोकने के लिए जरूर जागृत करेगी .

स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों ने राघव और मोहित से सवाल-जवाब भी किए. दर्शकों को बताया गया कि यदि कोई परिवार अपने बच्चों को पालने में असमर्थ है, तो सरकार उसकी सहायता कर सकती है. सरकार की ओर से उसे खाना और घर की सुविधा दी जाती है.

Intro:जयपुर। जिफ फेस्टिवल के तहत शनिवार को शार्ट फ़िल्म 'पंछी' फिल्म की स्क्रीनिंग की गई। बाल श्रम को मिटाने का संदेश देने वाली इस फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे। देश में जिस तरह छोटे बच्चों से मजदूरी करा कराई जा रही है उसे मिटाने का यह फिल्म संदेश देती है।


Body:मालवीय नगरके एक टावर में सिनेमा हॉल में इस 'पंछी' फिल्म की स्क्रीनिंग की गई इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से गरीब परिवार अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो सके। ऐसे ही एक परिवार की कहानी इस पंछी फिल्में दिखाई गई है। एक मजदूरी करने वाला गरीब परिवार अपने छोटे बच्चे को बाल मजदूरी में लगा देता है ताकि कुछ आमदनी हो सके इसके बाद वही परिवार अपनी छोटी बेटी को भी बाल मजदूरी के लिए भेजना चाहते है फ़िल्म में दिखाया गया है कि देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो बच्चों से मजदूरी करते हैं। यह लोग कम मजदूरी देकर उन बच्चों से का शोषण करते हैं ताकि उनका फायदा हो। यह ठेकेदार बच्चों को टॉर्चर भी करते हैं, 24 घंटे में 18 घंटे इन बच्चों से मजदूरी कराई जाती है। ये ठेकेदार बच्चों को नशे की लत भी लगा देते है, ताकि वे अधिक काम करे।
पंछी फिल्में यही संदेश दिया गया है कि बच्चों को बचपन में पढ़ने और खेलने दिया जाए उनके बचपन को नहीं छीना जाए। इस पंछी फिल्म को राघव और मोहित ने निर्देशित किया है और इसमें जयपुर की प्रयास संस्था ने इसमें सहयोग किया है। फिल्म में दिखाया गया है कि यदि पुलिस अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाएं तो बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। निर्देशक राघव और मोहित ने बताया की जिस तरह से एक पंछी को कैद कर लिया जाता है उसी तरह से बच्चों को बालश्रम में लगाकर कैद कर लिया जाता है। जब पंछी को कैद मुक्त किया जाता है तो वह खुले आसमान में स्वछंद विचरण करता है। इसी तरह से बच्चों को कैद ना कर कर उन्हें खेलने कूदने का पूरा मौका देना चाहिए। पंछी आसमान में स्वछंद विचरण करता हुआ ही सुंदर लगता है। इसलिए फ़िल्म का नाम
पंछी रखा गया है। राघव और मोहित ने उम्मीद जताई कि उनकी यह फिल्म लोगों को बाल श्रम रोकने के लिए जरूर जागृत करेगी।
स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों ने राघव और मोहित से सवाल-जवाब भी किए। दर्शकों को बताया गया कि यदि कोई परिवार अपने बच्चों को पालने में असमर्थ है तो सरकार उसकी सहायता कर सकती है सरकार की ओर से उसे खाना और घर की सुविधा दी जाती है।

नोट- तकनीकी समस्या के कारण बाईट में आवाज नही आ पाई, कृपा खबर को स्थान दें


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