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बड़ी खबर : जिला परिषद सदस्य, पंचायत समितियों के साथ-साथ नवगठित 173 ग्राम पंचायतों में अभी नहीं होंगे चुनाव

राजस्थान में  गुरुवार से पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू कर दी गई है. लेकिन बड़ी खबर यह है कि ना तो जिला परिषद और ना ही पंचायत समितियों के चुनाव होंगे. इसके साथ ही 1 दिसंबर से संशोधित 173 नई ग्राम पंचायतों के साथ ही उनसे प्रभावित हो रही 449 ग्राम पंचायतों में चुनाव नहीं होंगे.

जयपुर पंचायत चुनाव प्रभावित , Rajasthan Panchayat Samiti elections
3 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव
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Published : Dec 26, 2019, 6:02 PM IST

जयपुर. राजस्थान में गुरुवार से पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन खास बात यह है कि 3 चरणों में होने वाले मतदान से उन 173 ग्राम पंचायतों और उनसे प्रभावित 449 ग्राम पंचायतों को चुनाव प्रक्रिया से अलग रखा गया है, जिनका सरकार ने 1 दिसंबर को पंचायत पुनर्गठन का संशोधन किया था. हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद इनको लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई है.

3 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव

173 ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया गया
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की याचिका का असर रहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव नहीं करवाने का निर्णय तो लिया है. इसके साथ ही राजस्थान में होने वाले ग्राम पंचायतों के चुनाव में भी उन 173 ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया गया है. जो 1 दिसंबर को संशोधित पुनर्गठन में शामिल थी 173 पंचायतों के साथ ही 449 उन ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे.

पढे़ंः प्रदेश में पंचायती राज चुनाव की तारीखों का ऐलान, 3 चरणों मे होंगे मतदान

पंचायतों का किया गया पुनर्गठित
जिनमें से इन पंचायतों को पुनर्गठित किया गया था. ऐसे में साफ है कि सरकार कि सुप्रीम कोर्ट में दी गई. याचिका का असर है कि इस बार जिला परिषद सदस्यों पंचायत समिति सदस्यों और 449 ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे और राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का बची हुई जगह चुनाव करवाने के लिए इंतजार करेगा.

इस तरह से समझे की पंचायतों के पुनर्गठन का क्या हुआ है असर
दरअसल प्रदेश की 449 पंचायतों का पुनर्गठन कर नई 173 पंचायतें भी 1 दिसंबर को बनाई गई थी. जिसे जोधपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और जोधपुर हाईकोर्ट ने इन पर रोक लगा दी. जिसके चलते सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण में चली गई. जिस पर अभी सुनवाई होना बाकी है, ऐसे में गुरुवार राज्य निर्वाचन आयोग ने जब चुनाव अधिसूचना जारी की तो 173 पंचायतों पर चुनाव नहीं करवाने का निर्णय लिया. साथ ही उन सभी 449 प्रभावित पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे.

पढ़ेंः शुक्रवार को नवनिर्वाचित भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का होगा ऐलान, भाजपा मुख्यालय में जुटेगी समर्थकों की भीड़

बिलोद, मातासुला और ताला में नहीं होंगे चुनाव
जैसे यह 173 नई ग्राम पंचायतें बनी थीं, उदाहरण के तौर पर जयपुर जिले के जमवारामगढ़ में ग्राम पंचायत ताला, ग्राम पंचायत बिलोद और ग्राम पंचायत मातासुला में से पुनर्गठन कर दंताला मीणा चौथी और नई पंचायत बनाई थी. ऐसे में अब न केवल नई पुनर्गठन दंताला मीणा बल्कि बिलोद, मातासुला और ताला में भी चुनाव नहीं होंगे. इसी तरीके से प्रदेश की 173 नई पंचायतें जिनका 1 दिसंबर को पुनर्गठन किया गया था और जिन 449 पंचायतों में से इन 173 पंचायतों को बनाया गया था उनमें भी पंच सरपंच का चुनाव नहीं होगा.

जयपुर. राजस्थान में गुरुवार से पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन खास बात यह है कि 3 चरणों में होने वाले मतदान से उन 173 ग्राम पंचायतों और उनसे प्रभावित 449 ग्राम पंचायतों को चुनाव प्रक्रिया से अलग रखा गया है, जिनका सरकार ने 1 दिसंबर को पंचायत पुनर्गठन का संशोधन किया था. हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद इनको लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई है.

3 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव

173 ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया गया
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की याचिका का असर रहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव नहीं करवाने का निर्णय तो लिया है. इसके साथ ही राजस्थान में होने वाले ग्राम पंचायतों के चुनाव में भी उन 173 ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया गया है. जो 1 दिसंबर को संशोधित पुनर्गठन में शामिल थी 173 पंचायतों के साथ ही 449 उन ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे.

पढे़ंः प्रदेश में पंचायती राज चुनाव की तारीखों का ऐलान, 3 चरणों मे होंगे मतदान

पंचायतों का किया गया पुनर्गठित
जिनमें से इन पंचायतों को पुनर्गठित किया गया था. ऐसे में साफ है कि सरकार कि सुप्रीम कोर्ट में दी गई. याचिका का असर है कि इस बार जिला परिषद सदस्यों पंचायत समिति सदस्यों और 449 ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे और राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का बची हुई जगह चुनाव करवाने के लिए इंतजार करेगा.

इस तरह से समझे की पंचायतों के पुनर्गठन का क्या हुआ है असर
दरअसल प्रदेश की 449 पंचायतों का पुनर्गठन कर नई 173 पंचायतें भी 1 दिसंबर को बनाई गई थी. जिसे जोधपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और जोधपुर हाईकोर्ट ने इन पर रोक लगा दी. जिसके चलते सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण में चली गई. जिस पर अभी सुनवाई होना बाकी है, ऐसे में गुरुवार राज्य निर्वाचन आयोग ने जब चुनाव अधिसूचना जारी की तो 173 पंचायतों पर चुनाव नहीं करवाने का निर्णय लिया. साथ ही उन सभी 449 प्रभावित पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे.

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बिलोद, मातासुला और ताला में नहीं होंगे चुनाव
जैसे यह 173 नई ग्राम पंचायतें बनी थीं, उदाहरण के तौर पर जयपुर जिले के जमवारामगढ़ में ग्राम पंचायत ताला, ग्राम पंचायत बिलोद और ग्राम पंचायत मातासुला में से पुनर्गठन कर दंताला मीणा चौथी और नई पंचायत बनाई थी. ऐसे में अब न केवल नई पुनर्गठन दंताला मीणा बल्कि बिलोद, मातासुला और ताला में भी चुनाव नहीं होंगे. इसी तरीके से प्रदेश की 173 नई पंचायतें जिनका 1 दिसंबर को पुनर्गठन किया गया था और जिन 449 पंचायतों में से इन 173 पंचायतों को बनाया गया था उनमें भी पंच सरपंच का चुनाव नहीं होगा.

Intro:note _स्पेशल खबर है पूरी डिटेल के साथ है
राजस्थान मैं आज से लगी पंचायत चुनाव की आचार संहिता लेकिन राज्य सरकार के सुप्रीम कोर्ट में जाने के चलते राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाला बीच का रास्ता मैं तो पंचायत समिति और ना ही जिला परिषद सदस्यों का होगा चुनाव तो वही 1 दिसंबर में संशोधित 173 नई ग्राम पंचायतों के साथ ही उनसे प्रभावित हो रही 449 ग्राम पंचायतों में नहीं होंगे चुनाव


Body:राजस्थान में आज से पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन खास बात यह है कि 3 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव से उन 173 ग्राम पंचायतों और उनसे प्रभावित 449 ग्राम पंचायतों चुनाव प्रक्रिया से अलग रखा गया है जिनका सरकार ने 1 दिसंबर को पंचायत पुनर्गठन का संशोधन किया था और हाई कोर्ट से रोक लगने के बाद जिन्हें लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई है सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की याचिका का असर रहा कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव नहीं करवाने का निर्णय तो लिया है ही इसके साथ ही राजस्थान में होने वाले ग्राम पंचायतों के चुनाव में भी उन 173 ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया गया है जो 1 दिसंबर को संशोधित पुनर्गठन में शामिल थी 173 पंचायतों के साथ ही 449 उन ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे जिनमें से इन पंचायतों को पुनर गठित किया गया था ऐसे में साफ है कि सरकार कि सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका का असर है कि इस बार जिला परिषद सदस्यों पंचायत समिति सदस्यों और 449 ग्राम पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे और राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का बची हुई जगह चुनाव करवाने के लिए इंतजार करेगा
इस तरह से समझे की पंचायतों के पुनर्गठन का क्या हुआ है असर
दरअसल प्रदेश की 449 पंचायतों का पुनर्गठन कर नई 173 पंचायतें भी 1 दिसंबर को बनाई गई थी जिसे जोधपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और जोधपुर हाईकोर्ट ने इन पर रोक लगा दी जिसके चलते सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण में चली गई जिस पर अभी सुनवाई होना बाकी है ऐसे में आज राज्य निर्वाचन आयोग ने जब चुनाव अधिसूचना जारी की तो 173 पंचायतों पर चुनाव नहीं करवाने का निर्णय लिया साथ ही उन सभी 449 प्रभावित पंचायतों में भी चुनाव नहीं होंगे वैसे यह 173 नई ग्राम पंचायतें बनी थी उदाहरण के तौर पर जयपुर के जमवारामगढ़ में ग्राम पंचायत ताला ग्राम पंचायत बिलोद और ग्राम पंचायत मातासुला में से पुनर्गठन कर दंताला मीणा चौथी और नई पंचायत बनाई थी से में अब न केवल नई पुनर्गठन दंताला मीणा बल्कि बिलोद मातासुला और ताला में भी चुनाव नहीं होंगे इसी तरीके से प्रदेश की 173 नई पंचायतें जिनका 1 दिसंबर को पुनर्गठन किया गया था और जिन 449 पंचायतों में से इन 173 पंचायतों को बनाया गया था उनमें भी पंच सरपंच का चुनाव नहीं होगा
वाइट सचिन पायलट पंचायती राज मंत्री और उप मुख्यमंत्री राजस्थान
पीटीसी अजीत


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