जयपुर. भारतीय सेना के जवान को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की महिला एजेंट कॉल स्पूफिंग का इस्तेमाल करती है. महिला एजेंट कॉल स्पूफिंग के जरिए वॉइस कॉल करती थी. सेना के जवानों को हनी ट्रैप में फंसाने के जितने भी प्रकरण अब तक सामने आए हैं उसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की महिला एजेंट द्वारा कॉल स्पूफिंग और वीओआईपी (Voice Over Internet Protocol) सिस्टम का इस्तेमाल कर ही वॉइस कॉल करना सामने आया है.
इस सिस्टम का इस्तेमाल कर कॉल करने वाले व्यक्ति को सिर्फ एक ही तरीके से पहचाना जा सकता है कि उस नंबर पर जब कॉल प्राप्त करने वाला व्यक्ति कॉल बैक करता है तो कॉल नहीं लगती है. इन सिस्टम का उपयोग कर वॉइस कॉल करना गैर कानूनी है लेकिन इन सिस्टम की आसान उपलब्धता के चलते इनका काफी गलत उपयोग किया जा रहा है. इस तरह के सिस्टम न केवल राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं बल्कि इन सिस्टम से कॉल करने वाले व्यक्तियों को ट्रेस कर पाना भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहता है.
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वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल सिस्टम का प्रयोग- साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VOIP) सिस्टम का प्रयोग कर बड़ी आसानी से किसी भी देश के वर्चुअल फोन नंबरों का प्रयोग कर एक निर्धारित कॉल क्रेडिट के जरिए किसी भी व्यक्ति को वॉइस कॉल की जा सकती है. इसके लिए कॉल करने वाले व्यक्ति को ऑनलाइन पेमेंट एप या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से एक निर्धारित राशि चुकानी होती है और उसके बाद वह किसी भी देश में किसी भी व्यक्ति को वॉइस कॉल कर सकता है. क्योंकि कॉल वर्चुअल नंबर के माध्यम से की जाती है ऐसे में उस नंबर को ट्रेस कर पाना नामुमकिन होता है. इसके साथ ही उस नंबर पर कॉल बैक भी नहीं किया जा सकता है.
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कॉलर आईडी को मैनिपुलेट कर कॉल स्पूफिंग के जरिए की जाती है वॉइस कॉल- साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि इंटरनेट पर ऐसे अनेक एप्लीकेशन मौजूद हैं जिनके जरिए 10 रुपए प्रति मिनट का चार्ज अदा करने के बाद कॉलर आईडी को मैनिपुलेट करके किसी भी व्यक्ति को कॉल स्पूफिंग के माध्यम से वॉइस कॉल की जा सकती है. इसके जरिए कॉल करने वाले व्यक्ति का मोबाइल नंबर कॉल रिसीव करने वाले व्यक्ति को शो न होकर किसी अन्य व्यक्ति का नंबर शो होता है. साथ ही कॉल रिसीव करने वाला व्यक्ति जब उस नंबर पर फिर से कॉल लगाने का प्रयास करता है तो कॉल बैक नहीं होती है. इस तरह की अनेक एप्लीकेशन इंटरनेट पर मौजूद है जो बड़ी आसानी से लोगों की पहुंच में है. जिसका साइबर ठग और अन्य अपराधिक प्रवृत्ति के लोग बेहद गलत इस्तेमाल करते हैं.
राउटिंग एंड पर कंपनी रोक सकती है साजिश- साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि कॉल स्पूफिंग और वीओआईपी सिस्टम का प्रयोग कर की जाने वाली वॉइस कॉल को पहचान पाना यूजर के लिए बेहद मुश्किल होता है. हालांकि इस तरह की गैर कानूनी वॉइस कॉल को नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी राउटिंग एंड पर रोक सकती है. कंपनी के पास वो तमाम सुविधाएं मौजूद होती है जिसके जरिए वह इस तरह की वॉइस कॉल को पहचान सकती हैं और उन्हें ब्लॉक भी कर सकती हैं. टेलीकम्युनिकेशन लॉ के अनुसार इस तरह की वॉइस कॉल का प्रयोग करना पूरी तरीके से गैर कानूनी है.