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कोटा में फंसे बेटे-बेटियों की गुहार- नीतीश अंकल, प्लीज हमें बिहार बुला लो

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Published : Apr 23, 2020, 8:50 PM IST

Updated : Apr 23, 2020, 9:02 PM IST

कोटा में फंसे छात्र डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. उनके कई साथी, जो यूपी-उत्तराखंड और एमपी के थे वो अपने-अपने घर जा चुके हैं.

बिहार की ताजा खबर, पटना की खबर
कोटा में फंसे छात्र डिप्रेशन का शिकार हो रहे

पटना/जयपुर: कोटा के राजस्थान में बिहार के हजारों छात्र फंसे हुए हैं. अपने दर्द को बयां करते हुए छात्र लगातार वीडियो जारी कर रहे हैं. सोशल मीडिया में ये वीडियो तेजी से प्रसारित हो रहे हैं. छात्रों का कहना है कि वो डिप्रेशन में जा रहे हैं. नीतीश सरकार से घर वापसी को लेकर अपील करते छात्रों के दर्द को देख उनके परिजनों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं.

कोटा में फंसे छात्र डिप्रेशन का शिकार हो रहे

बिहार के पटना, भागलपुर, मधेपुरा समेत कई जिलों के कोटा की कोचिंग मंडी में पढ़ाई करने गये हुए थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में उनको वो सारी सुविधाएं नहीं मिल पा रही, जो एक छात्र को पढ़ाई के लिए जरूरी है.

मानसिक कमजोर हो रहे छात्र
छात्रों के जारी वीडियो में वो बता रहे है कि उनको सही खाना नहीं मिल रहा है. एक कमरे में चार छात्र एक साथ रहते हैं, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग भी नहीं हो पा रही है. यही नहीं, कोचिंग संस्थान पूरी तरह बंद हैं. लिहाजा, जिस उद्देश्य को लेकर वो अपने घर से इतनी दूर रह रहे हैं वो भी सफल सिद्ध नहीं हो रहा है. मकान मालिक किराया मांग रहा है. किराये का यह मीटर तो रुकेगा नहीं.

परिजनों का दर्द
ईटीवी भारत के संवाददाताओं ने इस बाबत परिजनों का दर्द जाना. परिजन बताते हैं कि उनके बच्चे फोन पर बात करते करते रोने लगते हैं. उनका ये दर्द सुना नहीं जा सकता. हमारे बच्चे दिल के मजबूत हैं. लेकिन अब हालात ज्यादा बिगड़ रहे हैं इसलिए वो अपनी परेशानी बता रहे हैं.

मधेपुरा के एक हजार बच्चे फंसे
बिहार के मधेपुरा के लगभग एक हजार बच्चे कोटा में फंसे हैं. सदर प्रखंड स्थित पड़रिया गांव के पीड़ित अविभावक शंभु नारायण यादव ने बताया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जल्द से जल्द कोटा में फंसे बच्चों को वापस लाने की अपील की.

पढ़ें पूरी खबर- मधेपुरा के एक हजार बच्चे कोटा में हैं फंसे, परिजन बोले- वो फोन पर रो रहे हैं

गोपालगंज की छात्राएं डिप्रेशन में
गोपालगंज के हथुआ अनुमंडल के मीरगंज की कई छात्राएं कोटा में रह कर मेडिकल कि तैयारी करती हैं. उन्हीं में से एक छात्रा पूजा कुमारी के पिता से ईटीवी भारत ने बात की. पेशे से मिस्त्री रमेश प्रसाद ने बताया कि हॉस्टल से सभी छात्रांए अपने अपने घर चली गईं क्योंकि वो एमपी और यूपी की थीं. लेकिन पूजा और उसकी एक दोस्त वहीं फंसी हुई हैं. पूजा रोज फोन कर घर वापस आने की बात कहती है. लेकिन हम यहां से कुछ भी नही कर सकते हैं.

पढ़ें पूरी खबर- 'कोटा में भूख से तड़प रहे हमारे बच्चे, मदद करे सरकार नही तो लाने का दे पास'

'कर लूंगा आत्महत्या'
वहीं पूर्वी चंपारण के बच्चे भी कोटा में फंसे हुए हैं. इस बाबत अभिभावक अनिल केशरीवाल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सांसद संजय जयसवाल सभी से संपर्क साधा, परंतु किसी प्रकार का निष्कर्ष नहीं निकला. उन्होंने स्थानीय जिलाधिकारी से भी बात की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि यदि मेरे लड़के को कुछ हो जाता है, वह किसी डिप्रेशन का शिकार हो जाता है तो इसकी पूरी जवाबदेही बिहार सरकार की होगी और मैं आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा.

  • इसी तरह राज्य के कई जिलों से अभिभावक लगातार सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं. छात्रों के साथ-साथ अभिभावक भी डिप्रेशन में आ रहे हैं.

नीतीश सरकार का स्टैंड
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश सरकार ने बसे भेज कोटा में फंसे अपने बच्चों की घर वापसी करा ली. वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रखने की बात करते हुए कहा कि सभी को वहीं सरकारी सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी. नीतीश सरकार के इस स्टैंड पर कई उनकी बात को सही ठहरा रहे हैं. वहीं, इस मामले पर राजनीतिक गर्मागर्मी भी तेज हो गई है.

बीजेपी विधायक का मामले ने पकड़ा तूल
सीएम नीतीश की अपील के बाद ही नवादा के हिसुआ विधानसभा से बीजेपी विधायक अनिल सिंह कोटा में फंसी अपनी बेटी को लेकर पटना चले आए. उन्होंने बकायदा परमिट जारी करवा ऐसा किया. ईटीवी भारत से बात करते हुए अनिल ने कहा कि वो एक जनप्रतिनिधि के साथ-साथ एक पिता भी हैं. उनकी बेटी कोटा में फंसी थी और मुसीबत में थी. उन्होंने किसी प्रकार का उल्लंघन नहीं किया है.

इनके परिजनों का क्या?
बीजेपी विधायक के इस बयान पर अगर गौर किया जाए तो उन्होंने भी नीतीश कुमार को बताया कि वास्तव में बिहार के तमाम माता पिता भी दर्द से तड़प रहे हैं. लेकिन पूर्वी चंपारण के अनिल केशरीवाल जैसे तमाम परिजनों ने जब प्रशासन से कोटा जाने और खुद ही बच्चों को लाने की गुहार लगाई तो उन्हें पास मुहैया नहीं कराया जा रहा.

घरों में कैद परिजन कोटा में फंसे अपने बच्चों के लिए ईश्वर से सलामती की दुआ और प्रदेश के मुखिया से मदद की गुहार लगा रहे हैं. देखना होगा कि नीतीश सरकार इन बच्चों के दर्द पर आगे क्या कार्रवाई करती है.

पटना/जयपुर: कोटा के राजस्थान में बिहार के हजारों छात्र फंसे हुए हैं. अपने दर्द को बयां करते हुए छात्र लगातार वीडियो जारी कर रहे हैं. सोशल मीडिया में ये वीडियो तेजी से प्रसारित हो रहे हैं. छात्रों का कहना है कि वो डिप्रेशन में जा रहे हैं. नीतीश सरकार से घर वापसी को लेकर अपील करते छात्रों के दर्द को देख उनके परिजनों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं.

कोटा में फंसे छात्र डिप्रेशन का शिकार हो रहे

बिहार के पटना, भागलपुर, मधेपुरा समेत कई जिलों के कोटा की कोचिंग मंडी में पढ़ाई करने गये हुए थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में उनको वो सारी सुविधाएं नहीं मिल पा रही, जो एक छात्र को पढ़ाई के लिए जरूरी है.

मानसिक कमजोर हो रहे छात्र
छात्रों के जारी वीडियो में वो बता रहे है कि उनको सही खाना नहीं मिल रहा है. एक कमरे में चार छात्र एक साथ रहते हैं, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग भी नहीं हो पा रही है. यही नहीं, कोचिंग संस्थान पूरी तरह बंद हैं. लिहाजा, जिस उद्देश्य को लेकर वो अपने घर से इतनी दूर रह रहे हैं वो भी सफल सिद्ध नहीं हो रहा है. मकान मालिक किराया मांग रहा है. किराये का यह मीटर तो रुकेगा नहीं.

परिजनों का दर्द
ईटीवी भारत के संवाददाताओं ने इस बाबत परिजनों का दर्द जाना. परिजन बताते हैं कि उनके बच्चे फोन पर बात करते करते रोने लगते हैं. उनका ये दर्द सुना नहीं जा सकता. हमारे बच्चे दिल के मजबूत हैं. लेकिन अब हालात ज्यादा बिगड़ रहे हैं इसलिए वो अपनी परेशानी बता रहे हैं.

मधेपुरा के एक हजार बच्चे फंसे
बिहार के मधेपुरा के लगभग एक हजार बच्चे कोटा में फंसे हैं. सदर प्रखंड स्थित पड़रिया गांव के पीड़ित अविभावक शंभु नारायण यादव ने बताया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जल्द से जल्द कोटा में फंसे बच्चों को वापस लाने की अपील की.

पढ़ें पूरी खबर- मधेपुरा के एक हजार बच्चे कोटा में हैं फंसे, परिजन बोले- वो फोन पर रो रहे हैं

गोपालगंज की छात्राएं डिप्रेशन में
गोपालगंज के हथुआ अनुमंडल के मीरगंज की कई छात्राएं कोटा में रह कर मेडिकल कि तैयारी करती हैं. उन्हीं में से एक छात्रा पूजा कुमारी के पिता से ईटीवी भारत ने बात की. पेशे से मिस्त्री रमेश प्रसाद ने बताया कि हॉस्टल से सभी छात्रांए अपने अपने घर चली गईं क्योंकि वो एमपी और यूपी की थीं. लेकिन पूजा और उसकी एक दोस्त वहीं फंसी हुई हैं. पूजा रोज फोन कर घर वापस आने की बात कहती है. लेकिन हम यहां से कुछ भी नही कर सकते हैं.

पढ़ें पूरी खबर- 'कोटा में भूख से तड़प रहे हमारे बच्चे, मदद करे सरकार नही तो लाने का दे पास'

'कर लूंगा आत्महत्या'
वहीं पूर्वी चंपारण के बच्चे भी कोटा में फंसे हुए हैं. इस बाबत अभिभावक अनिल केशरीवाल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सांसद संजय जयसवाल सभी से संपर्क साधा, परंतु किसी प्रकार का निष्कर्ष नहीं निकला. उन्होंने स्थानीय जिलाधिकारी से भी बात की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि यदि मेरे लड़के को कुछ हो जाता है, वह किसी डिप्रेशन का शिकार हो जाता है तो इसकी पूरी जवाबदेही बिहार सरकार की होगी और मैं आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा.

  • इसी तरह राज्य के कई जिलों से अभिभावक लगातार सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं. छात्रों के साथ-साथ अभिभावक भी डिप्रेशन में आ रहे हैं.

नीतीश सरकार का स्टैंड
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश सरकार ने बसे भेज कोटा में फंसे अपने बच्चों की घर वापसी करा ली. वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रखने की बात करते हुए कहा कि सभी को वहीं सरकारी सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी. नीतीश सरकार के इस स्टैंड पर कई उनकी बात को सही ठहरा रहे हैं. वहीं, इस मामले पर राजनीतिक गर्मागर्मी भी तेज हो गई है.

बीजेपी विधायक का मामले ने पकड़ा तूल
सीएम नीतीश की अपील के बाद ही नवादा के हिसुआ विधानसभा से बीजेपी विधायक अनिल सिंह कोटा में फंसी अपनी बेटी को लेकर पटना चले आए. उन्होंने बकायदा परमिट जारी करवा ऐसा किया. ईटीवी भारत से बात करते हुए अनिल ने कहा कि वो एक जनप्रतिनिधि के साथ-साथ एक पिता भी हैं. उनकी बेटी कोटा में फंसी थी और मुसीबत में थी. उन्होंने किसी प्रकार का उल्लंघन नहीं किया है.

इनके परिजनों का क्या?
बीजेपी विधायक के इस बयान पर अगर गौर किया जाए तो उन्होंने भी नीतीश कुमार को बताया कि वास्तव में बिहार के तमाम माता पिता भी दर्द से तड़प रहे हैं. लेकिन पूर्वी चंपारण के अनिल केशरीवाल जैसे तमाम परिजनों ने जब प्रशासन से कोटा जाने और खुद ही बच्चों को लाने की गुहार लगाई तो उन्हें पास मुहैया नहीं कराया जा रहा.

घरों में कैद परिजन कोटा में फंसे अपने बच्चों के लिए ईश्वर से सलामती की दुआ और प्रदेश के मुखिया से मदद की गुहार लगा रहे हैं. देखना होगा कि नीतीश सरकार इन बच्चों के दर्द पर आगे क्या कार्रवाई करती है.

Last Updated : Apr 23, 2020, 9:02 PM IST
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