जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना अनुमति अदालत में गैर हाजिर होने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव, अतिरिक्त गृह सचिव और डीजीपी को निर्देश दिए हैं.न्यायाधीश महेन्द्र माहेश्वरी की एकलपीठ ने यह आदेश अलवर में वर्ष 2015 में हुई दो बच्चों की बलि के मामले में भीम सेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने मामले की सुनवाई 16 सितंबर को तय करते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को भी पेश होने को कहा है.
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अदालत ने कहा है कि इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए. वहीं अदालत ने तीनों अधिकारियों को कहा है कि वे एक सप्ताह में पुलिस प्रशासन में इसकी जानकारी दे और दिशा-निर्देशों की पालना में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई कर संबंधित न्यायालय में रिपोर्ट पेश करें.
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दिए गए निर्देश
- बिना पूर्व स्वीकृति कानून व्यवस्था या अन्य औपचारिक सूचना के आधार पर अनुपस्थित रहने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए.
- विचाराधीन प्रकरणों में तलब किए जाने पर पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मचारी न्यायालय में उपस्थित रहें.
- उपस्थित होने में असमर्थ होने पर पुलिस अधिकारी, कर्मचारी अथवा विशेषज्ञता रखने वाले संबंधित एसपी से, डिप्टी से एसपी स्तर के अधिकारी संबंधित रेंज आईजी से और रेंज आईजी और डीआईजी पुलिस महानिदेशक को प्रार्थना पत्र पेश करें.
प्रार्थना पत्रों पर संबंधित उच्चाधिकारी न्यायालय में उपस्थिति की आवश्यकता, अभियुक्त बंदी की अभिरक्षा की अवधि, ट्रायल में देरी के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को ध्यान में रखकर गवाह, पुलिस अधिकारी, कर्मचारी व विशेषज्ञ की हाजिरी से छूट पर निर्णय करें और उसके बारे में संबंधित न्यायालय को अग्रिम सूचना भेंजे.
अदालत ने मई 2015 में याचिकाकर्ता के दो बच्चों की बलि के मामले में कार्रवाई नहीं होने के मामले में अलवर एसपी से अनुसंधान के बिंदु और आगे की जांच प्रक्रिया की जानकारी से अवगत कराने को कहा है. साथ ही कहा कि प्रकरण में आरोपी तांत्रिक के खिलाफ अभियोजन शुरू करने लायक साक्ष्य नहीं है. अदालत की ओर से बुलाने के बावजूद अलवर एसपी ने आदेश की पालना के बजाए वीवपीआईपी सुरक्षा को तवज्जो दी है.