दिल्ली/जयपुर. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 के 2009 के नियमों के तहत एक अधिसूचना जारी कर अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से विस्थापित गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के निर्देश दिए गए हैं. इन विस्थापितों को अब जल्द ही भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी. इनमें राजस्थान का जालौर, पाली,उदयपुर, बाड़मेर और सिरोही जिले भी शामिल हैं. इन सभी 5 जिलों के कलेक्टर को अधिसूचना जारी कर दी गई है. जिला कलेक्टरों को जांच पड़ताल कर विस्थापितों को नागरिकता देने की शक्ति भी दी गई है.
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नैचुरलाइजेशन के तहत मिलेगी नागरिकता
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत आदेश को तत्काल लागू करने के लिए शुक्रवार रात अधिसूचना जारी की है. यह लाभ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को मिलेगा जो भारत में कम से कम 11 साल के निवास के बाद नैचुरलाइजेशन (किसी भी देश की नागरिकता प्राप्त करने की कानूनी विधि) के तहत किसी भी विदेशी नागरिक पर लागू सभी शर्तों को पूरी करते हैं.
हाल में जारी अधिसूचना के तहत जिलाधिकारी या सचिव आवेदक की उपयुक्तता का पता लगाने के लिए आवश्यक समझी जाने वाली जांच करेंगे और उस उद्देश्य से सत्यापन और टिप्पणियों के लिए ऐसी एजेंसियों को ऑनलाइन आवेदन अग्रेषित करेंगे. इस संबंध में केंद्र की ओर से समय-समय पर जारी निर्देशों का राज्य या केंद्र शासित प्रदेश और संबंधित जिले सख्ती से पालन करेंगे.
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इसमें कहा गया है कि खंड (सी) में संदर्भित एजेंसियों की टिप्पणियों को ऐसी एजेंसियों की ओर से ऑनलाइन अपलोड किया जाता है और कलेक्टर या सचिव और केंद्र सरकार के लिए उस तक पहुंच होती है.
अधिसूचना में कहा गया है कि भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण या उक्त नियमों (नागरिकता नियम, 2009) के तहत नैचुरलाइजेशन के तहत भारत के नागरिक के रूप में प्रमाणपत्र प्रदान किये जाने के लिए आवेदक की ओऱ से आवेदन ऑनलाइन किया जाएगा.
कलेक्टर या सचिव की ओर से हस्ताक्षरित होगा प्रमाणपत्र
इसमें कहा गया है कि जिलाधिकारी या सचिव आवेदक की उपयुक्तता से संतुष्ट होने पर उसे पंजीकरण या नैचुरलाइजेशन के जरिए भारत की नागरिकता प्रदान करेगा और पंजीकरण या नैचुरलाइजेशन का प्रमाणपत्र जारी करेगा. यह एक ऑनलाइन पोर्टल से विधिवत मुद्रित और कलेक्टर या सचिव की ओर से हस्ताक्षरित होगा. इसमें कहा गया है कि जिलाधिकारी या सचिव उन नियमों के अनुसार एक ऑनलाइन और साथ ही एक भौतिक रजिस्टर रखेंगे जिसमें भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत या नैचुरलाइजेशन के जरिए भारत का नागरिक बने व्यक्ति का विवरण होगा और इसकी एक प्रति केंद्र सरकार को पंजीकरण या नैचुरलाइजेशन के सात दिनों के भीतर प्रस्तुत करेंगे. अधिसूचना में कहा गया है कि यह आदेश आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से लागू होगा और अगले आदेश तक वैध रहेगा.
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सीएए के तहत, इस श्रेणी की अवधि घटाकर पांच साल कर दिया गया था
अधिसूचना में कहा गया है 'नागरिकता कानून 1955 (1955 की 57) की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार इसके जरिए निर्देश देती है कि कानून की धारा पांच के तहत नागरिक के तौर पर पंजीकरण या नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 के तहत नैचुरलाइजेशन का प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए उसके द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियां अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय मुख्य तौर पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई से संबंधित किसी भी व्यक्ति के संबंध में है जो पांच राज्यों के उल्लिखित जिलों और नीचे उल्लिखित राज्यों में रहते हैं.
जो लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र हैं, वे वर्तमान में गुजरात के मोरबी, राजकोट, पाटन और वडोदरा जिलों, छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बलौदाबाजार, राजस्थान के जालोर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर और सिरोही, हरियाणा के फरीदाबाद और पंजाब के जालंधर में रह रहे हों.
2016 में केंद्र सरकार ने इसी तरह के एक कदम के तहत गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के 16 जिलों में रहने वाले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इन अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों से आवेदन मांगे थे. तमाम जिलों के जिलाधिकारियों और सात राज्यों के गृह सचिवों को गृह मंत्रालय की ओर से दो साल के लिए इन शरणार्थियों के आवेदन प्राप्त करने और संशोधित करने की अनुमति दी गई थी.
2018 में उक्त अधिसूचना को अनिश्चित अवधि के लिए या अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था. शुक्रवार रात के आदेश के साथ अब नौ राज्यों के कुल 29 जिलों में ऐसी सुविधा उपलब्ध है. गृह मंत्रालय ने कहा कि आवेदन का सत्यापन जिला स्तर पर जिलाधिकारी या राज्य स्तर सचिव (गृह) की ओर से एक साथ किया जाना है और आवेदन और उसकी रिपोर्ट केंद्र को एकसाथ ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी.
जब 2019 में सीएए पारित किया गया था तब देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे तथा कानून का विरोध करने वाले और समर्थन करने वालों के बीच झड़पों के बाद 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे.