जयपुर. कोरोना संक्रमण की वजह से बिगड़े आर्थिक हालातों को सुधारने की कवायद गहलोत सरकार ने शुरू कर दी है. वित्त विभाग का जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद ही कमान संभाल ली है. सीएम गहलोत के निर्देश पर वित्त विभाग के अधिकारियों ने राजस्व अर्जित करने का प्लान तैयार कर लिया है. इसमें तंबाकू-बीड़ी सिगरेट और पान मसाला पर अलग से सरचार्ज लगाने की तैयारी है. इन पर आवागमन शुल्क लगाकर सोलह सौ करोड़ रुपए अर्जित करने के लक्ष्य के साथ पेट्रोल-डीजल से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार जल्द ही बड़ा निर्णय लेने की तैयारी कर रही है.
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सरचार्ज और टैक्स में होगी बढ़ोतरी
कोरोना संकट के कारण कमजोर आर्थिक हालात से गुजर रही अशोक गहलोत सरकार राजस्व अर्जित करने के लिए अब रिवर्स गियर लगाने जा रही है. पेट्रोल और शराब जैसी चीजों पर सरचार्ज और टैक्स में बढ़ोतरी कर सरकार ने अब राजस्व प्राप्ति के उपायों पर नए सिरे से जोर देना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर वित्त विभाग ने तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट और गुटका के आवागमन पर शुल्क लगाने की तैयारी कर ली है. इससे राज्य सरकार को सीधे तौर पर 400 करोड़ रुपए राजस्व की प्राप्ति होगी. हालांकि, सरकार ने 16 करोड़ राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है.
केंद्र से राहत आर्थिक पैकेज नहीं
वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार मुख्यमंत्री जल्द ही पेट्रोल और डीजल से कम हुई आय की भरपाई के लिए कोई निर्णय लेंगे. लॉकडाउन में शराब और पेट्रोल डीजल से होने वाली आय में बेहद कमी आई है. क्योंकि पेट्रोल और डीजल भरवाने का समय बहुत कम है. शराब की दुकानें भी कम समय के लिए खोली जा रहीं हैं. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार से प्रदेश को विशेष या राहत आर्थिक पैकेज नहीं मिल रहा है. उलटे केंद्र हमारी राशि में कटौती कर रहा है.
केंद्रीय करों में 18 हजार 361 करोड़ 94 लाख रुपये की कटौती की गई है. केंद्र की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं के लिए प्रतिमाह 1800 करोड़ रुपए मिलते हैं. वह भी सरकार को नहीं मिल रहे हैं. जबकि कोरोना वायरस से जंग के लिये अधिक धन की जरूरत है. आमदनी और खर्च के अंतर को राजस्व घाटा माना जाता है. वर्ष 2021-22 के बजट अनुमानों के अनुसार 1 लाख 84 हजार 330 करोड़ 13 लाख रुपये की राजस्व प्राप्तियां रही. वहीं, राजस्व खर्च 2 लाख 8 हजार 80 करोड़ 17 लाख रुपये रहा. राजस्व घाटा 23 हजार 750 करोड़ 4 लाख रुपये रहा.
जबकि राजकोषीय घाटा 47 हजार 652 करोड़ 77 लाख अनुमानित है. जो कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 3.98 प्रतिशत है. इसमें पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले इस बार सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह 15.56 प्रतिशत और अप्रत्यक्ष कर संग्रह 40.64 प्रतिशत कम रहा. मौजूदा सरकार जब से सत्ता में आई है तब से खराब आर्थिक स्थिति की बात कर रही है. वहीं प्रदेश की खस्ता आर्थिक स्थिति के बीच किसानों की कर्ज माफी और बेरोजगारी भत्ते जैसी बड़ी चुनावी घोषणाओं के दबाव के चलते सरकारी खजाने की हालत बिगड़ गई.
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यूं समझें राज्य का आर्थिक गणित
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- लॉकडाउन के कारण कारोबार ठप.
- इसके कारण सरकार को मिलने वाले टैक्स में भारी गिरावट आई और उसे घाटा उठाना पड़ा.
- केंद्रीय कर 17101 करोड़ के मुकाबले 15541 करोड़ रुपये मिले.
- इससे भी आर्थिक सेहत बिगड़ गई.
- राज्य सरकार के अपने कर राजस्व में 40% की गिरावट रही.
- कोविड-19 के कारण हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आर्थिक मदद बढ़ाई गई.
- इस पर भी ज्यादा खर्च करना पड़ा.
- किसान कर्ज माफी और बेरोजगारी भत्ता से खजाने की सेहत और बिगड़ गई.
कर राजस्व कम होने के साइड इफेक्ट
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- राजकोषीय घाटा 47 हजार 652 करोड़ 77 लाख पहुंच गया
- जो कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 3.98 प्रतिशत है.
- इससे राज्य के बड़े प्रोजेक्ट्स की गति धीमी हो गई.
- क्योंकि सरकार इस वित्तीय वर्ष में अपनी अधिकतम सीमा से अधिक कर्ज ले चुकी है.
- ढाई साल में 1 लाख करोड़ के आसपास कर्ज ले लिया.
- राज्य पर कुल कर्ज 4 लाख करोड़ के पार जा चुका है.
- कोरोना की पहली लहर के बाद गहलोत सरकार ने 49 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया.
- राज्य सरकार ने 47,911 करोड़ का कर्ज तो रिजर्व बैंक के माध्यम से राज्य विकास बॉन्ड जारी करके लिया है.
- 1017.44 करोड़ रुपए नाबार्ड से लिया.
- 52.20 करोड़ NCR प्लानिंग बोर्ड से कर्ज लिया.
- सरकार अभी सालाना 25 हजार करोड़ रुपए का ब्याज भर रही है.