जयपुर. भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति का गठन कर दिया है. 15 सदस्यीय इस समिति में राजस्थान से वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर और केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव को भी जगह मिली है. ओम माथुर के समिति में शामिल होने के साथ ही उनका सियासी वनवास भी खत्म हो गया है. अब वे फिर केंद्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका में नजर (Omprakash Mathur in BJP Central election committee) आएंगे.
भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह के साथ ही वरिष्ठ नेता बीएस येदुरप्पा, सर्वानंद सोनोवाल, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस, ओम प्रकाश माथुर, बीएल संतोष और वनश्री श्रीनिवास के नाम शामिल हैं.
इस तरह खत्म हुआ माथुर का सियासी वनवास: इनमें ओमप्रकाश माथुर और भूपेंद्र यादव राजस्थान से आते हैं. ओम प्रकाश माथुर राजस्थान भाजपा के पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. तो वहीं लंबे समय तक केंद्रीय टीम में उपाध्यक्ष और महामंत्री की भूमिका में भी रहे हैं. इसके अलावा राजस्थान से वे राज्यसभा के सांसद भी रहे हैं. हाल ही में बतौर राज्यसभा सांसद उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था. वहीं केंद्रीय भाजपा टीम में भी उनके पास कोई पद या किसी प्रदेश की जिम्मेदारी नहीं थी. ऐसे में वे सियासी दृष्टि से वनवास में ही थे, लेकिन पार्टी ने अब उन्हें वापस केंद्र की सियासत में नई जिम्मेदारी दी है.
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भूपेंद्र यादव का अजमेर से नाता, वसुंधरा के चुनाव में रहे सारथी: वहीं भूपेंद्र यादव की बात करें तो वह वर्तमान में राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं. यादव अजमेर से आते हैं और वर्तमान में मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय श्रम व वन पर्यावरण मंत्री हैं. साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में उनकी अहम भूमिका रही थी. या फिर कहें कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के वे उस चुनाव में सारथी थे, जिसके चलते राजस्थान में भाजपा को विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत के रूप में 200 में से 163 सीटों पर जीत मिली थी. केंद्रीय चुनाव समिति में भूपेंद्र यादव और ओम प्रकाश माथुर के शामिल होने से राजस्थान का सियासी कद केंद्र में बड़ा है.
संसदीय बोर्ड से अलग होता है केंद्रीय चुनाव समिति का काम: भारतीय जनता पार्टी में सबसे महत्वपूर्ण और सियासी रूप से ताकतवर पार्टी का संसदीय बोर्ड ही होता है, जो चुनाव में टिकट भी फाइनल करता है और चेहरे भी. वहीं दूसरी ओर यदि केंद्रीय चुनाव समिति की बात करें, तो उसका काम केवल चुनावी प्रबंधन का होता है. मतलब जिस राज्य में चुनाव होने हैं वहां पार्टी का किस प्रकार से प्रबंधन हो, किस प्रकार की रणनीति हो यह सब तय करने में केंद्रीय चुनाव समिति और उसके सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.