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ब्राह्मणों का समाज में उच्च स्थान बताने वाले ट्वीट पर फंसे ओम बिरला, सामाजिक संगठनों ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ब्राह्मणों का समाज में उच्च स्थान बताए जाने वाले ट्वीट को लेकर वे विवादों में आ गए हैं. ओम बिरला के इस बयान पर सामाजिक संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है.

om birla new news, जयपुर न्यूज
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Published : Sep 11, 2019, 6:41 PM IST

जयपुर. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ब्राह्मणों का समाज में उच्च स्थान बताए जाने वाले ट्वीट को लेकर वे विवादों में आ गए हैं. ओम बिरला के इस बयान पर सामाजिक संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है. सामाजिक संगठनों ने ओम बिरला के खिलाफ राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर समाज में जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया है साथ ही सामाजिक संगठनों ने बिरला से ट्वीट वापस लेने की मांग भी की है.

सामाजिक संगठनों की नाराजगी है कि देश में संसद के सदन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जो कि एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं. उन्होंने कोटा में ब्राह्मण महासभा की बैठक के बाद ट्वीट किया कि 'समाज में ब्राह्मणों का हमेशा से उच्च स्थान रहा है, उनके त्याग तपस्या का परिणाम है यहीं वजह है कि ब्राह्मण समाज हमेशा से मार्गदर्शक की भूमिका मे रहा है'.

ब्राह्मण का समाज में उच्च स्थान बताने वाले ट्वीट पर फंसे ओम बिरला

ओम बिरला के इस बयान की सामाजिक संगठनों ने कड़ी निंदा की. सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि एक तो किसी भी समाज का वर्चस्व स्थापित करना या एक समाज को अन्य समाजों के ऊपर घोषित करना, यह संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध है और उसका सीधा उल्लंघन है. यह एक तरीके से अन्य जातियों को हिंदू राष्ट्र का भाव देता है, जातिवाद को बढ़ावा देता है और साथ ही ओम बिरला एक संवैधानिक पद पर है और वह इस तरह की बात सार्वजनिक रुप से कैसे कह सकते है.

पढ़ें: मोटर व्हीकल एक्ट व्यवहारिक नहीं, इस पर पुनर्विचार करे मोदी सरकार : डिप्टी सीएम

उन्होंने मांग की है कि लोकसभा अध्यक्ष अपने इस बयान को वापस ले और ट्वीट को भी हटाए. कविता श्रीवास्तव ने कहा कि समाज में जातिवाद को बढ़ावा देने वाले इस बयान को लेकर राष्ट्रपति को भी चिट्ठी लिखी गई है. कविता श्रीवास्तव ने कहा कि ओम बिरला ने जिस तरीके से एक संवैधानिक पद पर रहकर यह बयान दिया. उससे जातिवाद को बढ़ावा मिलता है. साथ ही जो अन्य जाती के लोग हैं उनमें हीन भावना पैदा होती है.

दरअसल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक दिन पहले कोटा में ब्राह्मण समाज के कार्यक्रम के दौरान एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने ब्राह्मण समाज को उच्च कोटि का और मार्गदर्शक के रूप में बताया था. साथ ही उन्होंने कहा था कि ब्राह्मण समाज ने त्याग तपस्या से अपना वर्चस्व हासिल किया है. इतना ही नहीं ओम बिरला ने उस कार्यक्रम के बाद में ट्वीट के जरिए भी अपनी इसी भावना को व्यक्त किया. इसके बाद ओम मिला सामाजिक संगठनों के निशाने पर आ गए.

जयपुर. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ब्राह्मणों का समाज में उच्च स्थान बताए जाने वाले ट्वीट को लेकर वे विवादों में आ गए हैं. ओम बिरला के इस बयान पर सामाजिक संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है. सामाजिक संगठनों ने ओम बिरला के खिलाफ राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर समाज में जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया है साथ ही सामाजिक संगठनों ने बिरला से ट्वीट वापस लेने की मांग भी की है.

सामाजिक संगठनों की नाराजगी है कि देश में संसद के सदन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जो कि एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं. उन्होंने कोटा में ब्राह्मण महासभा की बैठक के बाद ट्वीट किया कि 'समाज में ब्राह्मणों का हमेशा से उच्च स्थान रहा है, उनके त्याग तपस्या का परिणाम है यहीं वजह है कि ब्राह्मण समाज हमेशा से मार्गदर्शक की भूमिका मे रहा है'.

ब्राह्मण का समाज में उच्च स्थान बताने वाले ट्वीट पर फंसे ओम बिरला

ओम बिरला के इस बयान की सामाजिक संगठनों ने कड़ी निंदा की. सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि एक तो किसी भी समाज का वर्चस्व स्थापित करना या एक समाज को अन्य समाजों के ऊपर घोषित करना, यह संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध है और उसका सीधा उल्लंघन है. यह एक तरीके से अन्य जातियों को हिंदू राष्ट्र का भाव देता है, जातिवाद को बढ़ावा देता है और साथ ही ओम बिरला एक संवैधानिक पद पर है और वह इस तरह की बात सार्वजनिक रुप से कैसे कह सकते है.

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उन्होंने मांग की है कि लोकसभा अध्यक्ष अपने इस बयान को वापस ले और ट्वीट को भी हटाए. कविता श्रीवास्तव ने कहा कि समाज में जातिवाद को बढ़ावा देने वाले इस बयान को लेकर राष्ट्रपति को भी चिट्ठी लिखी गई है. कविता श्रीवास्तव ने कहा कि ओम बिरला ने जिस तरीके से एक संवैधानिक पद पर रहकर यह बयान दिया. उससे जातिवाद को बढ़ावा मिलता है. साथ ही जो अन्य जाती के लोग हैं उनमें हीन भावना पैदा होती है.

दरअसल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक दिन पहले कोटा में ब्राह्मण समाज के कार्यक्रम के दौरान एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने ब्राह्मण समाज को उच्च कोटि का और मार्गदर्शक के रूप में बताया था. साथ ही उन्होंने कहा था कि ब्राह्मण समाज ने त्याग तपस्या से अपना वर्चस्व हासिल किया है. इतना ही नहीं ओम बिरला ने उस कार्यक्रम के बाद में ट्वीट के जरिए भी अपनी इसी भावना को व्यक्त किया. इसके बाद ओम मिला सामाजिक संगठनों के निशाने पर आ गए.

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जयपुर

ब्राह्मण समाज को उच्च स्थान के ट्वीट पर फसे लोकसभा अध्यक्ष , सामाजिक संगठनों ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र

एंकर:- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ब्राह्मण समाज को उच्च स्थान के बताने वाले बयान को लेकर विवादों में आ गए हैं ओम बिरला के इस बयान पर सामाजिक संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है सामाजिक संगठनों ने ओम बिरला के खिलाफ राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर समाज में जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया है साथ ही सामाजिक संगठनों ने ओम बिरला से ट्वीट वापस लेने की मांग भी करी ।


Body:VO:- सामाजिक संगठनों की नाराजगी है कि हमारे देश में संसद के सदन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जोकिक संवैधानिक पद पर आसीन हैं उन्होंने कोटा में ब्राह्मण महासभा की बैठक के बात ट्वीट किया कि " समाज मैं ब्राह्मणों का हमेशा से उच्च स्थान राजस्थान उनके त्याग तपस्या का परिणाम है यही वजह है कि ब्राह्मण समाज हमेशा से मार्गदर्शक की भूमिका मेरा है" ओम बिरला के इस बयान की सामाजिक संगठनों ने कड़ी निंदा की सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि एक तो किसी भी समाज का वर्चस्व स्थापित करना या एक समाज को अन्य समाजों के ऊपर घोषित करना यह संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध है और उसका सीधा उल्लंघन है यह एक तरीके से अन्य जातियों को हिंदू राष्ट्र से भाव देता है जातिवाद को बढ़ावा देता है साथी ओम बिरला एक संवैधानिक पद पर है और वह इस तरह के रखते हुए सार्वजनिक रूप से कैसे कैसे हैं उन्होंने मांग करेगी लोकसभा अध्यक्ष अपने इस बयान को वापस ले और ट्वीट को भी हटाए , कविता श्रीवास्तव ने कहा कि समाज में जातिवाद को बढ़ावा देने वाले इस बयान को लेकर राष्ट्रपति को भी चिट्ठी लिखी गई है कविता श्रीवास्तव ने कहा कि ओम बिरला ने जिस तरीके से एक संवैधानिक पद पर थे बयान दिया उससे जातिवाद को बढ़ावा मिलता है साथ ही जो अन्य जाती के लोग हैं उनमें हीन भावना पैदा होती है , दरअसल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक दिन पहले कोटा में ब्राह्मण समाज के कार्यक्रम के अंदर बयान दिया था जिसमें उन्होंने ब्राह्मण समाज को उच्च कोटि का और मार्गदर्शक के रूप में बताया था साथियों ने कहा था कि ब्राह्मण समाज ने त्याग तपस्या से अपना वर्चस्व हासिल किया है इतना ही नहीं ओम बिरला ने उस कार्यक्रम के बाद में ट्वीट के जरिए भी अपनी इसी भावना को व्यक्त किया इसके बाद ओम मिला सामाजिक संगठनों के निशाने पर आ गए ।
बाइट:- कविता श्रीवास्तव - सामाजिक कार्यकर्ता


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