जयपुर. नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकारी कर्मचारियों का निगम से जाने का मन नहीं बन रहा. उन्हें निगम इतना रास आ रहा है कि मूल विभाग से बुलावा आने के बावजूद भी वो जाने को तैयार नहीं. यही नहीं जिन विभागों में ये अधिकारी-कर्मचारी लगे हैं, उनके मुखिया भी कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर इन्हें मूल विभाग में भेजने को तैयार नहीं हैं.
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प्रदेश के पशुपालन विभाग के शासन सचिव ने अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकारी-कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति निरस्त करने का एक आदेश जारी किया था. बावजूद इसके हालात ये हैं कि नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर में लगे पशुपालन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अभी तक रिलीव होकर अपने मूल विभाग में नहीं पहुंचे हैं. इन अधिकारी-कर्मचारियों में पशु चिकित्सा अधिकारी से लेकर पशुधन सहायक तक शामिल हैं.
- 2016 में प्रतिनियुक्ति पर आए वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी कमलेश कुमार मीणा
- 2018 में आए पशु चिकित्सा अधिकारी लक्ष्मीकांत शर्मा
- 2014 से निगम में कार्यरत पशुधन सहायक राकेश गुप्ता और रमेश कुमार शर्मा
- 2018 में लगे पशुधन सहायक अशोक कुमार मीणा, जितेंद्र वर्मा, सियाराम मीणा और गजानन भागोतिया
प्रतिनियुक्ति पर लगे इन अधिकारी-कर्मचारियों के मसले पर हेरिटेज नगर निगम आयुक्त लोक बंधु का कहना है कि उनके पास स्टाफ की कमी है. पशु प्रबंधन शाखा में अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर लगे हैं. ऐसे में इन्हें रिलीव करने की स्थिति में मृत पशुओं को उठाने और सड़क पर घूमने वाले पशुओं को पकड़ने जैसे इमरजेंसी कार्य प्रभावित होंगे. इसलिए इन्हें तुरंत रिलीव नहीं किया जा सकता, इसके लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी.
बहरहाल, नगर निगम में अक्सर चर्चाएं इस बात की रहती हैं कि नगर निगम में दूसरे विभागों से आने वाले अधिकारी-कर्मचारी अपने रसूख के दम पर ही प्रतिनियुक्ति पर आते हैं और इन्हें वापस मूल विभाग में भेजने में इनका रसूख ही आड़े आ जाता है.