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पदकों की झड़ी का असरः सवाई मानसिंह स्टेडियम में बढ़ी खिलाड़ियों की संख्या...पर सुविधाओं की कमी तोड़ रहा मनोबल - players from rajasthan

टोक्यो पैरालंपिक खेलों में राजस्थान के खिलाड़ियों के दमकने के बाद खेल मैदान पर भी बदलाव नजर आने लगा है. एथलीट खेल मैदान पर खिलाड़ियों की संख्या बढ़ी है.

स्टेडियम में बढ़ी खिलाड़ियों की संख्या
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Published : Sep 3, 2021, 6:36 PM IST

जयपुर. टोक्यो में आयोजित हो रहे पैरालंपिक खेलों में राजस्थान के खिलाड़ियों ने पदकों की झड़ी लगा दी है. अकेले राजस्थान से अब तक 4 पदक खिलाड़ियों ने अपने नाम किए हैं. जिसके बाद धीरे-धीरे खेलों के प्रति लोगों की रुचि बढ़ने लगी है और मैदान में खिलाड़ियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.

जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम की बात करें तो मैदान पर खिलाड़ियों की संख्या बढ़ने लगी है. खेल अधिकारियों और कोच का कहना है कि हाल ही में देश के खिलाड़ियों ने ओलंपिक में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. इसके अलावा पैरालंपिक खेलों में भी राजस्थान के खिलाड़ियों ने देश के लिए पदक जीतकर राजस्थान का नाम रोशन किया है. जिसके बाद धीरे-धीरे एथलीट मैदान में अलग-अलग खेलों से जुड़े खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा हुआ है.

स्टेडियम में बढ़ी खिलाड़ियों की संख्या

पढ़ें: टोक्यो पैरालंपिक : अवनि लेखरा का एक और कमाल, गोल्ड के बाद जीता ब्रॉन्ज मेडल...CM गहलोत ने दी बधाई

मुख्य खेल अधिकारी वीरेंद्र पूनिया का कहना है कि काफी समय बाद देश के खिलाड़ियों ने ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन किया है. पूनिया का कहना है कि हाल ही में राजस्थान में सरकार ने आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का तोहफा भी दिया है. जिसका असर भी देखने को मिला है. अब अभिभावक अपने बच्चों को खेल मैदान पर भेजने लगे हैं.

पढ़ें: सुरक्षाचक्र में शिक्षण : स्कूल में बच्चों को कोरोना से बचाने का प्रयास, शिक्षा विभाग और प्रशासन के अधिकारी मैदान में

सुविधाओं को तरस रहे खिलाड़ी

अभी भी सवाई मानसिंह स्टेडियम के एथलीट ग्राउंड पर खिलाड़ी सुविधाओं को तरस रहे हैं. खिलाड़ी अपने खर्चे पर खेलों की तैयारी कर रहे हैं और खेल विभाग की ओर से किसी तरह की मदद खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रही है. ऐसे में एथलीट मैदान पर खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले कोच अनिल पूनिया का कहना है कि बीते कुछ समय से खेलों के प्रति अभिभावक जागरूक हुए हैं.

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को खेल मैदान पर भी भेज रहे हैं. लेकिन अभी भी खिलाड़ी अपने खर्चे पर ही खेलों से जुड़ी तैयारी कर रहे हैं.ऐसे में यदि खिलाड़ियों को कुछ आर्थिक सहायता उपलब्ध हो या फिर खेल मैदान से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो तो आने वाले समय में राजस्थान के खिलाड़ी भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.

जयपुर. टोक्यो में आयोजित हो रहे पैरालंपिक खेलों में राजस्थान के खिलाड़ियों ने पदकों की झड़ी लगा दी है. अकेले राजस्थान से अब तक 4 पदक खिलाड़ियों ने अपने नाम किए हैं. जिसके बाद धीरे-धीरे खेलों के प्रति लोगों की रुचि बढ़ने लगी है और मैदान में खिलाड़ियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.

जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम की बात करें तो मैदान पर खिलाड़ियों की संख्या बढ़ने लगी है. खेल अधिकारियों और कोच का कहना है कि हाल ही में देश के खिलाड़ियों ने ओलंपिक में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. इसके अलावा पैरालंपिक खेलों में भी राजस्थान के खिलाड़ियों ने देश के लिए पदक जीतकर राजस्थान का नाम रोशन किया है. जिसके बाद धीरे-धीरे एथलीट मैदान में अलग-अलग खेलों से जुड़े खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा हुआ है.

स्टेडियम में बढ़ी खिलाड़ियों की संख्या

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मुख्य खेल अधिकारी वीरेंद्र पूनिया का कहना है कि काफी समय बाद देश के खिलाड़ियों ने ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन किया है. पूनिया का कहना है कि हाल ही में राजस्थान में सरकार ने आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का तोहफा भी दिया है. जिसका असर भी देखने को मिला है. अब अभिभावक अपने बच्चों को खेल मैदान पर भेजने लगे हैं.

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सुविधाओं को तरस रहे खिलाड़ी

अभी भी सवाई मानसिंह स्टेडियम के एथलीट ग्राउंड पर खिलाड़ी सुविधाओं को तरस रहे हैं. खिलाड़ी अपने खर्चे पर खेलों की तैयारी कर रहे हैं और खेल विभाग की ओर से किसी तरह की मदद खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रही है. ऐसे में एथलीट मैदान पर खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले कोच अनिल पूनिया का कहना है कि बीते कुछ समय से खेलों के प्रति अभिभावक जागरूक हुए हैं.

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को खेल मैदान पर भी भेज रहे हैं. लेकिन अभी भी खिलाड़ी अपने खर्चे पर ही खेलों से जुड़ी तैयारी कर रहे हैं.ऐसे में यदि खिलाड़ियों को कुछ आर्थिक सहायता उपलब्ध हो या फिर खेल मैदान से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो तो आने वाले समय में राजस्थान के खिलाड़ी भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.

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