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बाल आश्रमों में बढ़ी दानदाताओं की संख्या, लोगों ने बढ़ चढ़कर की लोगों की सहायता

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Published : Sep 19, 2020, 10:32 PM IST

Updated : Sep 20, 2020, 8:24 AM IST

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बाद लोगों का अध्यात्म की ओर ज्यादा रुझान गया. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के समय लोगों ने जरूरतमंद लोगों को खाना तो खिलाया ही, साथ ही बाल आश्रमों में भी खूब दान किया.

Child Protection Commission,  corona period
बाल आश्रमों में बढ़ी दानदाताओं की संख्या

जयपुर. कोरोना एक ऐसा वायरस जो मार्च के महीने राजस्थान में विदेशी पर्यटकों के जरिये प्रवेश करता है और 6 महीने बीतने के बाद 1 लाख के करीब लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. प्रदेश में लगातार पॉजिटिव केसों की संख्या में इजाफे के साथ मृत्युदर के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. राज्य सरकार अपने हर स्तर पर इसके बचाव के इंतजामात कर रही है. इस बीच इसका असर निजी कंपनियों और प्राइवेट सेक्टर पर ज्यादा पड़ा. हालांकि इसका कमोबेस असर तो सभी जगह पड़ा है, लेकिन इस बीच ईटीवी भारत जब राजधानी जयपुर के कुछ बाल आश्रमों में कोविड इम्पेक्ट की पड़ताल करने निकली तो सामने आया कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बाद लोगों का अध्यात्म की ओर ज्यादा रुझान गया.

बाल आश्रमों में बढ़ी दानदाताओं की संख्या

कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के समय लोगों ने जरूरतमंद लोगों को खाना तो खिलाया ही, साथ ही बाल आश्रमों में भी खूब दान किया. इस बीच राजधानी में सुरमन संस्थान के नाम से चलने वाले बाल संस्था में 125 से अधिक बच्चे यहां रहते हैं. संस्था की संचालिका और पूर्व बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी बताती है कि लॉकडाउन के दौरान एक बार तो लगा कि संस्थान के संचालन में दिक्कत आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि डोनेशन देने वालों की संख्या में ज्यादा इजाफा हुआ. हालांकि जो नियमित देते थे उसमें तो कुछ कमी आई, लेकिन बाकी दूसरे दानदाताओं के मदद को लकेर सामने आने के बाद यह सब बेलेंस हो गया.

पढ़ेंः SPECIAL: लड़कियों की शादी की क्या हो सही उम्र, सामाजिक समस्या को कानूनी रूप से निपटाना कितना सही?

राजस्थान के बाल आश्रम पर नजर डाले तो जयपुर में करीब 35 से 40 बाल आश्रम है. वहीं प्रदेश में इनकी संख्या 350 से 400 के करीब है. इनमें से ज्यादातर सरकार और आमजन के सहयोग से संचालित हो रहे है. जबकि कई बाल आश्रम दानदाताओं के सहयोग पर निर्भर है. जयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर चंदवाजी के पास चलने वाले बाल संभाल संस्था के संस्थापक पंचशील जैन बताते है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने खुद दिल खोलकर लोगों की मदद की. हमारी जैसी संस्थाओं में दानदाताओं को खूब सहयोग रहा. उनका मानना है कि कोरोना की वजह से लोगों को अध्यात्म की तरफ लगाव बढ़ा है. साथ ही लॉकडाउन के दौरान जब गरीब जरूरतमंदों पर भोजन का संकट आया तो बड़ी संख्या में लोग आगे निकल कर आए.

जयपुर. कोरोना एक ऐसा वायरस जो मार्च के महीने राजस्थान में विदेशी पर्यटकों के जरिये प्रवेश करता है और 6 महीने बीतने के बाद 1 लाख के करीब लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. प्रदेश में लगातार पॉजिटिव केसों की संख्या में इजाफे के साथ मृत्युदर के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. राज्य सरकार अपने हर स्तर पर इसके बचाव के इंतजामात कर रही है. इस बीच इसका असर निजी कंपनियों और प्राइवेट सेक्टर पर ज्यादा पड़ा. हालांकि इसका कमोबेस असर तो सभी जगह पड़ा है, लेकिन इस बीच ईटीवी भारत जब राजधानी जयपुर के कुछ बाल आश्रमों में कोविड इम्पेक्ट की पड़ताल करने निकली तो सामने आया कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बाद लोगों का अध्यात्म की ओर ज्यादा रुझान गया.

बाल आश्रमों में बढ़ी दानदाताओं की संख्या

कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के समय लोगों ने जरूरतमंद लोगों को खाना तो खिलाया ही, साथ ही बाल आश्रमों में भी खूब दान किया. इस बीच राजधानी में सुरमन संस्थान के नाम से चलने वाले बाल संस्था में 125 से अधिक बच्चे यहां रहते हैं. संस्था की संचालिका और पूर्व बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी बताती है कि लॉकडाउन के दौरान एक बार तो लगा कि संस्थान के संचालन में दिक्कत आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि डोनेशन देने वालों की संख्या में ज्यादा इजाफा हुआ. हालांकि जो नियमित देते थे उसमें तो कुछ कमी आई, लेकिन बाकी दूसरे दानदाताओं के मदद को लकेर सामने आने के बाद यह सब बेलेंस हो गया.

पढ़ेंः SPECIAL: लड़कियों की शादी की क्या हो सही उम्र, सामाजिक समस्या को कानूनी रूप से निपटाना कितना सही?

राजस्थान के बाल आश्रम पर नजर डाले तो जयपुर में करीब 35 से 40 बाल आश्रम है. वहीं प्रदेश में इनकी संख्या 350 से 400 के करीब है. इनमें से ज्यादातर सरकार और आमजन के सहयोग से संचालित हो रहे है. जबकि कई बाल आश्रम दानदाताओं के सहयोग पर निर्भर है. जयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर चंदवाजी के पास चलने वाले बाल संभाल संस्था के संस्थापक पंचशील जैन बताते है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने खुद दिल खोलकर लोगों की मदद की. हमारी जैसी संस्थाओं में दानदाताओं को खूब सहयोग रहा. उनका मानना है कि कोरोना की वजह से लोगों को अध्यात्म की तरफ लगाव बढ़ा है. साथ ही लॉकडाउन के दौरान जब गरीब जरूरतमंदों पर भोजन का संकट आया तो बड़ी संख्या में लोग आगे निकल कर आए.

Last Updated : Sep 20, 2020, 8:24 AM IST
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