जयपुर. प्रदेश के कॉलेज और यूनिवर्सिटी में फर्स्ट ईयर, सेकंड ईयर के छात्रों को प्रोविजनल प्रमोट करने के बजाए दूसरे राज्यों की तर्ज पर बिना परीक्षा प्रमोट करने की मांग उठ रही है. एनएसयूआई ने छात्रों के हित में राज्य सरकार के सामने छात्रों को प्रमोट करने, मकान और हॉस्टल का किराया माफ कराने और सेमेस्टर फीस माफ करने जैसी मांग रखी.
कोरोना के चलते उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की शिक्षा पर लॉकडाउन का असर हुआ है. लॉकडाउन में कॉलेज की क्लासेज के साथ-साथ परीक्षाओं को भी स्थगित करना पड़ा. हालांकि अब विद्यार्थियों की परीक्षाएं करवाने को लेकर कवायद शुरू की गई है. उच्च शिक्षा विभाग ने अंतिम वर्ष की कक्षाओं की परीक्षा जुलाई में कराने के निर्देश दिए हैं.
पढ़ें- भाजपा कार्यकर्ता स्वप्रेरणा से करेंगे चीनी उत्पादों का बहिष्कार: सतीश पूनिया
वहीं फर्स्ट ईयर, सेकंड ईयर और पीजी प्रीवियस ईयर के छात्रों को प्रोविजनल प्रमोट करने के निर्देश दिए. हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार के निर्देश छात्रों को रास नहीं आ रहे. इस संबंध में एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया ने कहा कि छात्र 4 महीने से लॉकडाउन में फंसा हुआ है और अब जुलाई में छात्रों की परीक्षा आयोजित कराने का फरमान निकाला गया है.
पढ़ें- सुरजेवाला पर राजेंद्र राठौड़ का पलटवार, कहा- देश की आत्मा के साथ खिलवाड़ कर रही है कांग्रेस
उन्होंने हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए छात्रों को प्रोविजनल प्रमोट की बजाए बिना परीक्षा प्रमोट किए जाने की मांग की. इसके साथ ही पूनिया ने कहा कि राजस्थान के अधिकतर छात्र ग्रामीण परिवेश से आते हैं. कोरोना काल में उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है. ऐसे में छात्र वर्ग का मकान और हॉस्टल का किराया, सेमेस्टर फीस माफ करने के उचित आदेश निकालने की सरकार से मांग की.
इस दौरान एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष ने देशभर में उनके संगठन की ओर से चलाए जा रहे 'मेरी आवाज' कार्यक्रम की भी जानकारी दी. जिसमें छात्र अपनी मांग 2 मिनट के वीडियो के माध्यम से सरकार के समक्ष रख सकता है.