जयपुर. राजस्थान में एमसैंड पॉलिसी के तहत मैन्युफैक्चर्ड सैंड के रूप में बजरी सस्ती और आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए एमसैंड इकाइयों को उद्योग का दर्जा देने के साथ ही राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना 2019 के तहत इन इकाइयों को परीलाभ देने का निर्णय प्रदेश सरकार कर चुकी है.
अब राजस्थान सरकार के खान विभाग ने एमसैंड इकाई लगाने वाले निवेशकों को ऐसी जगह प्लॉट उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है, जहां बड़ी मात्रा में खानों का मलबा पड़ा हो. सरकार के इस निर्णय से एमसेंड यूनिट लगाने वाले व्यापारियों को मलबे के पास ही एमसेंड यूनिट लगाने की जगह मिल जाएगी, ताकि वो एमसेंड आसानी से तैयार कर सकें.
इसके लिए खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने अपने अधिकारियों से ऐसे प्लॉट चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं, जहां खान का मलबा पड़ा हो. यह प्लॉट खान विभाग की ओर से नीलामी के जरिए इच्छुक लोगों को उपलब्ध करवाए जाएंगे. यह प्लॉट 3 लाख टन वार्षिक क्षमता की एमसेंटड इकाई के लिए 4 लाख टन खानों के मलबे की आवश्यकता सालाना मानते हुए 10 साल की अवधि के लिए चार मिलियन टन मलबे की आवश्यकता को देखते हुए चिन्हित किए जाएंगे.
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मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बयान जारी कर जानकारी दी कि खनिज अभियंता, भू वैज्ञानिक और अन्य तकनीकी अधिकारी संयुक्त रूप से निरीक्षण कर प्लॉटों के चिन्हीकरण की कार्रवाई इस आकलन के साथ करेंगे कि जहां प्लॉट चिन्हित किया गया है वहां कितना मलबा उपलब्ध है, ताकि एमसैंड यूनिट लगाने वाले व्यापारी को कम से कम 10 साल तक उस मलबे से बजरी तैयार करने का माल मिल सके.
वहीं, ओवरबर्डन डम्पस के प्लॉट चिन्हित करने के लिए करीब 2 हेक्टेयर भूमि अतिरिक्त शामिल करने के लिए भी अधिकारियों को कहा गया है. इसके साथ ही पहले से स्थापित की जा चुकी इकाइयों के पास कच्चा माल आपूर्ति का स्रोत नहीं होने की स्थिति में कुछ प्लॉटों का बिना अतिरिक्त राजकीय भूमि को सम्मिलित कर प्लॉट चिन्हित किए जाएंगे.