जयपुर. नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग ने बजट में हुई घोषणाओं के नोटिफिकेशन जारी करने का काम शुरू कर दिया है. ताकि प्रशासन शहरों के संग अभियान में इन्हें लागू कर अभियान को गति दी जा सके. हालांकि अब तक चले अभियान में शहरों में लक्ष्य के महज 25 फीसदी ही पट्टे बांटे जा सके हैं. अब नई रूपरेखा पर काम करते हुए मार्च में अभियान को दोबारा शुरू करने की तैयारी की जा रही है.
राज्य सरकार ने बीते साल 2 अक्टूबर से (Prashasan shehron ke sang abhiyan 2021) प्रशासन शहरों के संग अभियान की शुरुआत की थी. अभियान के तहत नगरीय निकायों में अब तक 1 लाख 57 हज़ार 597 बांटे गए हैं. जबकि विकास प्राधिकरण और विकास न्यास की बात की जाए तो यहां फिलहाल 1 लाख 211 पट्टे ही बांटे गए हैं. यानी अभियान को लेकर जो लक्ष्य तय किया गया था, उसमें नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग 25 फीसदी तक ही पहुंच पाया है. अभियान की इस धीमी गति का एक कारण कोरोना की वजह से शिविर स्थगित करना भी बताया जाता है.
हालांकि अब कोरोना का असर कम हुआ है और राज्य सरकार ने अभियान को लेकर दोबारा शिविर शुरू करने की तैयारी भी की है. चूंकि अब तक अभियान में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है. ऐसे में रूपरेखा में फिर बदलाव किए गए हैं. डीएलबी डायरेक्टर हृदेश शर्मा ने बताया कि मंत्री शांति धारीवाल के साथ यूडीएच, एलएसजी और हाउसिंग के अधिकारियों ने बैठकर मंथन किया और नई रूपरेखा तैयार करते हुए अब जल्द अभियान शुरू होगा.
उन्होंने बताया कि जो नई घोषणा की गई है, उनको लेकर नोटिफिकेशन निकालने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. साथ ही कुछ सर्वे रिपोर्ट जो जिला प्रशासन स्तर पर पेंडिंग है, उन्हें भी मंगवाया जा रहा है. अब नगरीय निकायों में कच्ची बस्ती, स्टेट ग्रांट एक्ट और धारा 69ए के तहत बांटे जाने वाले पट्टों में आ रही बाधाओं को दूर करने के निर्देश दिए जा रहे हैं. साथ ही कृषि से अकृषि उपयोग पर नियमन दरें भी घटाई गई हैं, ताकि अभियान को गति दी जा सके.
अभियान के मद्देनजर यह है नई रूपरेखा
- कृषि से अकृषि उपयोग पर नियमन दरें घटाकर आवासीय के लिए ₹50 से ₹100 और बाकी उपयोग के लिए भी ₹500 प्रति वर्ग मीटर की है.
- कृषि से अकृषि लैंड यूज करने की प्रीमियम दरें 300 की जगह 500 वर्गमीटर तक लागू.
- किश्त की बकाया राशि या ब्याज एक मुश्त जमा कराने पर आवंटन बहाल कर ब्याज पेनल्टी में शत प्रतिशत छूट दी जाए.
- तीनों प्राधिकरणों को 17 जून 1999 से पहले की योजनाओं के लेआउट प्लान मंजूर करने, 3 हजार वर्गगज तक के भूखंडों की स्वीकृति का अधिकार दिया.
- फ्री होल्ड पट्टों के पुनर्ग्रहण राशि में 50 फीसदी की छूट, फ्रीहोल्ड लेने पर 3 साल शुल्क नहीं लगेगा.
- लॉटरी से आवंटित भूखंडों पर 10 साल से पहले हस्तांतरण की लेवी चार्ज आधी की.
- भू उपयोग परिवर्तन के निर्धारण के लिए बनाई गई पांच कमेटियां.
- निकाय क्षेत्रों में आने वाली ग्राम पंचायतों की आबादी कृषि से अकृषि भू-परिवर्तन का अधिकार जिला कलेक्टरों को दिया.
- 90 ए वाली कॉलोनियों के 17 जून 1999 तक की बसावट की सीमा को बदलकर 31 दिसंबर 2018 तक पट्टे देने का नियम किया.
- हाउसिंग बोर्ड की अवाप्त जमीनों पर बसी कालोनियों और खाली भूखंडों के बेचान, नियमन का अधिकार बोर्ड को एक्ट बदलकर देने की तैयारी.
- कच्ची बस्तियों में पट्टा धारक अब 3 साल बाद मकान-प्लाट बेच सकेंगे.
- धारा 69-ए के पुरानी बस्तियों के नियम बदले. एफिडेविट से पट्टे का आवेदन कर सकेंगे. चेन ऑफ डॉक्यूमेंट के लिए मूल आवंटी की जरूरत नहीं.
- निकायों को 2000 वर्गमीटर तक के भूखंडों का नक्शा पास करने, 18 मीटर ऊंचाई तक के मकानों के बिल्डिंग एप्रूवल का अधिकार दिया.