जयपुर. जयपुर में इस बार दो नगर निगम के चुनाव होने हैं, जिसमें हेरिटेज नगर निगम जयपुर में 100 वार्ड हैं. जबकि नगर निगम ग्रेटर में 150 वार्ड हैं. कई वार्ड पर विधायक और संगठन की ओर से बनाए गए पैनलों के नाम लगभग समान हैं. वहीं संघ की ओर से भेजे गए नामों पर भी एक राय है, लेकिन मालवीय नगर, सांगानेर, हवामहल, किशनपोल और आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र के कई ऐसे वार्ड हैं. जहां पर जो सूची संघ की तरफ से आई, उस पर बीजेपी विधायकों को आपत्ति है.
वहीं संगठन की ओर से किए गए सर्वे और आकलन के बाद जो नाम शामिल हैं, उन नामों को भी विधायकों ने एतराज जताया. यही कारण है कि शनिवार को कई दौर की वार्ता के बावजूद प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी नहीं हो पाई.
विधायकों से मांगे थे हर वार्ड से तीन नाम, लेकिन कई वार्डों में दिए एक नाम
प्रदेश संगठन ने अपने विधायक को विधायक प्रत्याशियों से हर वार्ड के लिए तीन-तीन नामों का पैनल मांगा था. लेकिन हर विधानसभा क्षेत्र से कई विधायकों ने कुछ वार्डों में सिंगल नाम दिए और यह भी साफ कर दिया कि यही जिताऊ प्रत्याशी है. मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र में तो विधायक कालीचरण सराफ ने यह तक कह दिया कि जो नाम संगठन को दिए हैं. वह शत-प्रतिशत जीतने वाले उम्मीदवार हैं.
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वहीं संगठन के सामने समस्या यह है कि जो सूची संगठन ने तैयार की है. उनमें से कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां पर विधायक के प्रत्याशी बनाए जाने वाले उम्मीदवार के नाम मैच नहीं खाते या फिर कहे तो संगठन नहीं चाहता कि यहां विधायक के अनुसार ही टिकट मिले. बस लड़ाई इसी बात की है और अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में पार्षद प्रत्याशियों की सूची अटकी हुई है.
संघ के स्तर पर भी होगी चर्चा
अब बीजेपी से जुड़े नेता जयपुर शहर के संघ पदाधिकारियों से इस बारे में चर्चा कर प्रत्याशियों के चयन को अंतिम रूप देंगे. हालांकि सीधे तौर पर संघ यही कहता आया है कि चुनाव में संघ का कोई लेना-देना या दखल नहीं होता. लेकिन पर्दे के पीछे संघ की राय को महत्व देकर ही टिकट का वितरण होता है. बताया यह भी जा रहा है कि अब जयपुर से जुड़े संघ पदाधिकारियों के साथ बीजेपी के नेता बैठक कर जिन वार्डों में समस्या आ रही है, उस बारे में चर्चा करेंगे. ताकि दोपहर या देर शाम तक सूची जारी की जा सके.
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केंद्रीय मंत्रियों का दबाव भी नहीं आया काम
नगर निगम के चुनाव भले ही छोटे हैं, लेकिन पिछले 2-3 चुनाव में इन टिकट को फाइनल करने से पहले वसुंधरा राजे की सलाह ली जाती रही है. वर्तमान में वसुंधरा राजे बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. लेकिन इस बार प्रदेश संगठन ने वसुंधरा राजे की तुलना में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी को आगे रखा. इसके पीछे प्रदेश संगठन की मंशा यही थी कि जो विधायक प्रत्याशियों के चयन हर बार की तरह अपनी दादागिरी जताएंगे, उन्हें इन केंद्रीय मंत्रियों के जरिए दबाया जा सके. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं, बल्कि बैठक में विधायकों ने खुलकर अपनी बात रखी और यह भी साफ कर दिया कि हमारे बताए गए उम्मीदवारों को प्रत्याशी नहीं बनाया गया तो फिर उस क्षेत्र में जीत को लेकर हमारी कोई गारंटी नहीं है.