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Special: सरकार सिर्फ एक दिन ही करती है हमें याद, फिर तो अपने भरोसे हमारा सफर और जिंदगी : दिव्यांग Player

बचपन से ही दिव्यांगता ने जिनका दामन थाम लिया था, तब जिन्होंने ठीक से चलना भी नहीं सीखा था कि लोगों के तानों की गूंज सुनाई देने लगी थी. लेकिन उन तानों को अनसुना करते हुए अपने हौसलों के दम पर ऐसे ही कुछ दिव्यांगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को नई पहचान दिलाई. ऐसे सैकड़ों दिव्यांग हिंदुस्तान का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन जब उनके संघर्ष भरे सफर की दास्तां सुनी तो सरकारों की अनदेखी का उनका बरसों पुराना दर्द छलक ही पड़ा.

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अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर दिव्यांग खिलाड़ियों को लेकर खास रिपोर्ट
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Published : Dec 3, 2019, 1:35 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 2:25 PM IST

जयपुर. आज यानि 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस है. लेकिन क्या दिव्यांगों को उनका हक मिल पा रहा है. इस बात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम दिव्यांग खिलाड़ियों के बीच पहुंची. यहां पर दिव्यांग खिलाड़ियों से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. दिव्यांग खिलाड़ियों का एक ही कहना था कि चाहे कोई भी राज्य सरकार हो या फिर केंद्र सरकार दिव्यांगों को उनका हक कहीं से भी नहीं मिल पा रहा है.

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर दिव्यांग खिलाड़ियों को लेकर खास रिपोर्ट

केवल आज ही के दिन इसे लेकर गुणगान किया जाता है और इसके बाद सरकार फिर चुप हो जाती है. हमसे कई वादे किए जाते हैं, लेकिन उन वादों को अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है. ऐसे वक्त हमें ज्यादा दुख होता है, जब हम दिल से मेहनत करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करते हैं. लेकिन फिर भी हमें कोई सहयोग नहीं मिल पाता, जो हमें मिलना चाहिए.

यह भी पढ़ें : विश्व दिव्यांग दिवस के उपलक्ष्य में दिव्यांगों के लिए नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन, देशभर से 8 टीमें ले रही भाग

दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें एक स्वस्थ खिलाड़ी के जितना सम्मान नहीं चाहिए. लेकिन उनका आधा यानी 50 प्रतिशत सहयोग भी मिल जाए तो हम ज्यादा दिल लगाकर अपने खेल कौशल का प्रदर्शन कर पाएंगे. किसी भी हालत में अपना लोहा उन सभी से ज्यादा मनाएंगे.

दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें खेलने के लिए अच्छा सा ग्राउंड भी उपलब्ध नहीं है. जब नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता खेलने के लिए जयपुर आए तो उन्हें जगह भी नहीं मिल पा रही थी. इस मौके पर आमेर में महाराजा विनायक ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने उन्हें खेलने के लिए ग्राउंड उपलब्ध कराया. इसके साथ ही सारी सुविधाएं भी दी गई. दिव्यांग खिलाड़ी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं. नेशनल दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का परचम लहरा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर सात अजूबों के बीच पहुंच कर दिव्यांगों ने उकेरे खुशी के रंग

भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट मुकेश कंचन का कहना है कि दिव्यांगों के लिए कोई भी सरकार काम नहीं कर पा रही. समाजसेवियों के जरिए ही दिव्यांगों को सहारा मिल रहा है. दिव्यांग खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर साबित किया है कि वह भी भारत का नाम रोशन कर सकते हैं. जिस राष्ट्रीय ध्वज को सामान्य खिलाड़ी ऊपर करता है, उसी राष्ट्रीय ध्वज को दिव्यांग खिलाड़ी भी ऊंचा करके भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन करता है.

दिव्यांग खिलाड़ियों को हर क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए. खेल में भी दिव्यांगों को विशेष आरक्षण दिया जाए. ताकि, वह भारत का नाम रोशन कर सके. दिव्यांग खिलाड़ियों को भी बीसीसीआई में मौका मिलना चाहिए. बता दें कि राजधानी जयपुर के आमेर स्थित निजी विश्वविद्यालय में दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देश भर से 8 टीमें भाग ले रही है. इस दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में 13 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

जयपुर. आज यानि 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस है. लेकिन क्या दिव्यांगों को उनका हक मिल पा रहा है. इस बात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम दिव्यांग खिलाड़ियों के बीच पहुंची. यहां पर दिव्यांग खिलाड़ियों से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. दिव्यांग खिलाड़ियों का एक ही कहना था कि चाहे कोई भी राज्य सरकार हो या फिर केंद्र सरकार दिव्यांगों को उनका हक कहीं से भी नहीं मिल पा रहा है.

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर दिव्यांग खिलाड़ियों को लेकर खास रिपोर्ट

केवल आज ही के दिन इसे लेकर गुणगान किया जाता है और इसके बाद सरकार फिर चुप हो जाती है. हमसे कई वादे किए जाते हैं, लेकिन उन वादों को अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है. ऐसे वक्त हमें ज्यादा दुख होता है, जब हम दिल से मेहनत करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करते हैं. लेकिन फिर भी हमें कोई सहयोग नहीं मिल पाता, जो हमें मिलना चाहिए.

यह भी पढ़ें : विश्व दिव्यांग दिवस के उपलक्ष्य में दिव्यांगों के लिए नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन, देशभर से 8 टीमें ले रही भाग

दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें एक स्वस्थ खिलाड़ी के जितना सम्मान नहीं चाहिए. लेकिन उनका आधा यानी 50 प्रतिशत सहयोग भी मिल जाए तो हम ज्यादा दिल लगाकर अपने खेल कौशल का प्रदर्शन कर पाएंगे. किसी भी हालत में अपना लोहा उन सभी से ज्यादा मनाएंगे.

दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें खेलने के लिए अच्छा सा ग्राउंड भी उपलब्ध नहीं है. जब नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता खेलने के लिए जयपुर आए तो उन्हें जगह भी नहीं मिल पा रही थी. इस मौके पर आमेर में महाराजा विनायक ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने उन्हें खेलने के लिए ग्राउंड उपलब्ध कराया. इसके साथ ही सारी सुविधाएं भी दी गई. दिव्यांग खिलाड़ी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं. नेशनल दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का परचम लहरा रहे हैं.

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भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट मुकेश कंचन का कहना है कि दिव्यांगों के लिए कोई भी सरकार काम नहीं कर पा रही. समाजसेवियों के जरिए ही दिव्यांगों को सहारा मिल रहा है. दिव्यांग खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर साबित किया है कि वह भी भारत का नाम रोशन कर सकते हैं. जिस राष्ट्रीय ध्वज को सामान्य खिलाड़ी ऊपर करता है, उसी राष्ट्रीय ध्वज को दिव्यांग खिलाड़ी भी ऊंचा करके भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन करता है.

दिव्यांग खिलाड़ियों को हर क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए. खेल में भी दिव्यांगों को विशेष आरक्षण दिया जाए. ताकि, वह भारत का नाम रोशन कर सके. दिव्यांग खिलाड़ियों को भी बीसीसीआई में मौका मिलना चाहिए. बता दें कि राजधानी जयपुर के आमेर स्थित निजी विश्वविद्यालय में दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देश भर से 8 टीमें भाग ले रही है. इस दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में 13 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

Intro:जयपुर
एंकर- बदनसीबी ने जिन का दामन बचपन से ही थाम लिया, अभी सही से चलना सीखा भी नहीं था कि लोगों के ताने सुनने को मिल रहे थे। लेकिन उन तानो को सुने बगैर एक तरफ करके आज कुछ दिव्यांग तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान बना चुके हैं। दिव्यांग हिंदुस्तान का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करते हुए नजर आ रहे हैं।


Body:आज 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस है। लेकिन क्या दिव्यांगों को उनका हक मिल पा रहा है इस बात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम दिव्यांग खिलाड़ियों के बीच पहुंची। यहां पर दिव्यांग खिलाड़ियों से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा। दिव्यांग खिलाड़ियों का एक ही कहना था कि चाहे कोई भी राज्य सरकार हो या फिर केंद्र सरकार दिव्यांगों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। केवल आज के दिन हमारा गुणगान करके सरकार चुप हो जाती है। हमें वादे किये जाते है लेकिन उन वादों को अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है। ऐसे वक्त हमें ज्यादा दुख होता है जब हम दिल से मेहनत करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करते हैं। लेकिन फिर भी हमें सहयोग नहीं मिल पाता जो हमें मिलना चाहिए।
दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें एक स्वस्थ खिलाड़ी के बराबर मान सम्मान नहीं चाहिए। लेकिन उनका आधा यानी 50 प्रतिशत सहयोग भी मिल जाए तो हम ज्यादा दिल लगाकर काम कर पाएंगे किसी भी हालत में अपना लोहा उन सभी से ज्यादा मनाएंगे।
दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें खेलने के लिए अच्छा सा ग्राउंड भी उपलब्ध नहीं है जब नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता खेलने के लिए जयपुर आए तो उन्हें जगह भी नहीं मिल पा रही थी। इस मौके पर आमेर में महाराजा विनायक ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने उन्हें खेलने के लिए ग्राउंड उपलब्ध कराया इसके साथ ही सारी सुविधाएं भी दी गई। दिव्यांग खिलाड़ी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। नेशनल दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का परचम लहरा रहे हैं।

भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट मुकेश कंचन का कहना है कि दिव्यांगों के लिए कोई भी सरकार काम नहीं कर पा रही। समाजसेवियों के जरिये ही दिव्यांगों को सहारा मिल रहा है। दिव्यांग खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर साबित किया है कि वह भी भारत का नाम रोशन कर सकते हैं। जिस राष्ट्रीय ध्वज को सामान्य खिलाड़ी ऊपर करता है उसी राष्ट्रीय ध्वज को दिव्यांग खिलाड़ी भी ऊंचा करके भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन करता है। दिव्यांग खिलाड़ियों को हर क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए। खेल में भी दिव्यांगों को विशेष आरक्षण दिया जाए ताकि वह भारत का नाम रोशन कर सके। दिव्यांग खिलाड़ियों को भी बीसीसीआई में मौका मिलना चाहिए।
बता दें कि राजधानी जयपुर के आमेर स्थित निजी विश्वविद्यालय में दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश भर से 8 टीमें भाग ले रही है। इस दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में 13 खिलाड़ी ऐसे हैं। जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।


बाईट- सूरज मनकेले, दिव्यांग खिलाड़ी( अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके)
बाईट- रंजीत गुर्जर, दिव्यांग खिलाड़ी( टीम कैप्टन)
बाईट- निशांत कुमार उपाध्याय, दिव्यांग खिलाड़ी
बाईट- मुकेश कंचन, ऑल इंडिया प्रेसिडेंट, भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड
बाईट- चिराग गांधी, गुजरात टीम कप्तान






Conclusion:
Last Updated : Dec 3, 2019, 2:25 PM IST
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