जयपुर. आज यानि 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस है. लेकिन क्या दिव्यांगों को उनका हक मिल पा रहा है. इस बात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम दिव्यांग खिलाड़ियों के बीच पहुंची. यहां पर दिव्यांग खिलाड़ियों से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. दिव्यांग खिलाड़ियों का एक ही कहना था कि चाहे कोई भी राज्य सरकार हो या फिर केंद्र सरकार दिव्यांगों को उनका हक कहीं से भी नहीं मिल पा रहा है.
केवल आज ही के दिन इसे लेकर गुणगान किया जाता है और इसके बाद सरकार फिर चुप हो जाती है. हमसे कई वादे किए जाते हैं, लेकिन उन वादों को अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है. ऐसे वक्त हमें ज्यादा दुख होता है, जब हम दिल से मेहनत करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करते हैं. लेकिन फिर भी हमें कोई सहयोग नहीं मिल पाता, जो हमें मिलना चाहिए.
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दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें एक स्वस्थ खिलाड़ी के जितना सम्मान नहीं चाहिए. लेकिन उनका आधा यानी 50 प्रतिशत सहयोग भी मिल जाए तो हम ज्यादा दिल लगाकर अपने खेल कौशल का प्रदर्शन कर पाएंगे. किसी भी हालत में अपना लोहा उन सभी से ज्यादा मनाएंगे.
दिव्यांग खिलाड़ियों का कहना है कि हमें खेलने के लिए अच्छा सा ग्राउंड भी उपलब्ध नहीं है. जब नेशनल क्रिकेट प्रतियोगिता खेलने के लिए जयपुर आए तो उन्हें जगह भी नहीं मिल पा रही थी. इस मौके पर आमेर में महाराजा विनायक ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने उन्हें खेलने के लिए ग्राउंड उपलब्ध कराया. इसके साथ ही सारी सुविधाएं भी दी गई. दिव्यांग खिलाड़ी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं. नेशनल दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत का परचम लहरा रहे हैं.
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भारतीय दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ऑल इंडिया प्रेसिडेंट मुकेश कंचन का कहना है कि दिव्यांगों के लिए कोई भी सरकार काम नहीं कर पा रही. समाजसेवियों के जरिए ही दिव्यांगों को सहारा मिल रहा है. दिव्यांग खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर साबित किया है कि वह भी भारत का नाम रोशन कर सकते हैं. जिस राष्ट्रीय ध्वज को सामान्य खिलाड़ी ऊपर करता है, उसी राष्ट्रीय ध्वज को दिव्यांग खिलाड़ी भी ऊंचा करके भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन करता है.
दिव्यांग खिलाड़ियों को हर क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए. खेल में भी दिव्यांगों को विशेष आरक्षण दिया जाए. ताकि, वह भारत का नाम रोशन कर सके. दिव्यांग खिलाड़ियों को भी बीसीसीआई में मौका मिलना चाहिए. बता दें कि राजधानी जयपुर के आमेर स्थित निजी विश्वविद्यालय में दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देश भर से 8 टीमें भाग ले रही है. इस दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में 13 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.